अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा (फाइल फोटो)।
वॉशिंगटन:
अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने कहा है कि इस हफ्ते पुलिस द्वारा अश्वेत व्यक्ति पर घातक गोलीबारी व्यापक नस्ली भेदभाव की सूचक है और सभी अमेरिकियों को इस तरह की घिनौनी घटनाओं से तकलीफ होनी चाहिए।
ओबामा ने कहा, "इस तरह के हमले से हम सभी अमेरिकियों को तकलीफ होनी चाहिए क्योंकि ये अपनी तरह की अकेली घटनाएं नहीं हैं। ये तो हमारी आपराधिक न्याय प्रणाली में मौजूद व्यापक नस्ली भेदभाव की सूचक हैं।" आंकड़ों के मुताबिक अश्वेत लोगों के गिरफ्तार होने और पुलिस द्वारा उन्हें गोली मारने की संभावना कहीं ज्यादा होती है। ओबामा ने इन आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा, "श्वेत लोगों के मुकाबले अफ्रीकी-अमेरिकी लोगों के साथ बल प्रयोग करने की आशंका 30 फीसदी ज्यादा होती है। बल प्रयोग के बाद अफ्रीकी-अमेरिकी और हिस्पानवी लोगों की तलाशी लिए जाने की आशंका तीन गुना ज्यादा होती है।"
(अमेरिका : डलास में प्रदर्शन के दौरान 4 पुलिसकर्मी मारे गए, संदिग्ध ने चेताया 'चारों तरफ बम है')
'जेल में बंद लोगों में आधे से ज्यादा अश्वेत'
पोलैंड के वारसा में नाटो सम्मेलन में शामिल होने आए ओबामा ने एक आधिकारिक वक्तव्य में कहा, "बीते साल श्वेत लोगों की तुलना में पुलिस ने दो गुना ज्यादा अफ्रीकी-अमेरिकी लोगों को गोली मारी है। अफ्रीकी-अमेरिकी अभियुक्तों पर ऐसे आरोप लगाए जाने की संभावना 75 फीसदी ज्यादा होती है जिनमें न्यूनतम अवधि के लिए जेल की सजा मुकर्रर होती है। समान अपराध के दोषी अश्वेत लोगों को श्वेत लोगों की तुलना में 10 फीसदी लंबा दंड मिलने की संभावना होती है।" उन्होंने आगे कहा, "आप इन आंकड़ों को जोड़ कर देखेंगे तो पाएंगे कि अफ्रीकी-अमेरिकी और हिस्पानवी लोगों की आबादी जो कुल आबादी में महज 30 फीसदी है, जेल की सलाखों के पीछे बंद लोगों में उनकी संख्या आधे से भी ज्यादा है। ये तथ्य हैं।"
'हर अमेरिकी को इन घटनाओं से तकलीफ होनी चाहिए'
ओबामा ने कहा, "और जब ऐसी घटनाएं होती हैं तो बड़ी संख्या में हमारे साथी नागरिकों को ऐसा लगता है कि उनकी त्वचा के रंग के कारण उनके साथ समान व्यवहार नहीं होता है। यह तकलीफदेह है। इससे हम सभी को तकलीफ होनी चाहिए।" उन्होंने कहा, "यह मुद्दा केवल अश्वेत लोगों से जुड़ा नहीं है बल्कि हिस्पानवी लोगों के साथ भी ऐसा ही होता है। यह अमेरिका से जुड़ा मसला है इसलिए हमें इससे सरोकार रखना चाहिए। खुले विचारों वाले सभी लोगों का इससे सरोकार होना चाहिए।" ओबामा का यह बयान मिनेसोटा में हुई उस घटना के बाद आया था जिसमें पुलिस ने एक अश्वेत व्यक्ति पर हमला किया था। किसी व्यक्ति ने इस घटना का वीडियो बना लिया था जो जल्द ही वायरल हो गया और अफ्रीकी-अमेरिकी लोगों के साथ पुलिस की बर्बरता पर नए सिरे से बहस शुरू हो गई।
लुसियाना में मंगलवार को हुई एक ऐसी ही घटना का वीडियो सामने आया था जिसमें एक स्टोर के बाहर पुलिस के साथ उलझ रहे एक अश्वेत व्यक्ति को दो श्वेत पुलिसकर्मियों ने मार डाला था।
'हर जिंदगी महत्वपूर्ण है'
ओबामा ने कहा, "अगर समुदायों को पुलिस पर, उन पुलिसकर्मियों पर भरोसा नहीं होगा जो अपना काम अच्छी तरह और सही तरीके से कर रहे हैं तो उनके लिए काम करना बेहद मुश्किल हो जाएगा।" उन्होंने आगे कहा, "इसलिए जब लोग कहते हैं कि अश्वेतों का जीवन मायने रखता है, तो इसका मतलब यह नहीं है कि किसी दूसरे समुदाय का जीवन महत्व नहीं रखता, बल्कि इसके मायने ये हैं कि सभी जिंदगियां महत्व रखती हैं। लेकिन वर्तमान में सबसे बड़ी चिंता यह है कि अश्वेत लोग के इस तरह की घटनाओं का शिकार बनने की आशंका ज्यादा होती है।"
(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
ओबामा ने कहा, "इस तरह के हमले से हम सभी अमेरिकियों को तकलीफ होनी चाहिए क्योंकि ये अपनी तरह की अकेली घटनाएं नहीं हैं। ये तो हमारी आपराधिक न्याय प्रणाली में मौजूद व्यापक नस्ली भेदभाव की सूचक हैं।" आंकड़ों के मुताबिक अश्वेत लोगों के गिरफ्तार होने और पुलिस द्वारा उन्हें गोली मारने की संभावना कहीं ज्यादा होती है। ओबामा ने इन आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा, "श्वेत लोगों के मुकाबले अफ्रीकी-अमेरिकी लोगों के साथ बल प्रयोग करने की आशंका 30 फीसदी ज्यादा होती है। बल प्रयोग के बाद अफ्रीकी-अमेरिकी और हिस्पानवी लोगों की तलाशी लिए जाने की आशंका तीन गुना ज्यादा होती है।"
(अमेरिका : डलास में प्रदर्शन के दौरान 4 पुलिसकर्मी मारे गए, संदिग्ध ने चेताया 'चारों तरफ बम है')
'जेल में बंद लोगों में आधे से ज्यादा अश्वेत'
पोलैंड के वारसा में नाटो सम्मेलन में शामिल होने आए ओबामा ने एक आधिकारिक वक्तव्य में कहा, "बीते साल श्वेत लोगों की तुलना में पुलिस ने दो गुना ज्यादा अफ्रीकी-अमेरिकी लोगों को गोली मारी है। अफ्रीकी-अमेरिकी अभियुक्तों पर ऐसे आरोप लगाए जाने की संभावना 75 फीसदी ज्यादा होती है जिनमें न्यूनतम अवधि के लिए जेल की सजा मुकर्रर होती है। समान अपराध के दोषी अश्वेत लोगों को श्वेत लोगों की तुलना में 10 फीसदी लंबा दंड मिलने की संभावना होती है।" उन्होंने आगे कहा, "आप इन आंकड़ों को जोड़ कर देखेंगे तो पाएंगे कि अफ्रीकी-अमेरिकी और हिस्पानवी लोगों की आबादी जो कुल आबादी में महज 30 फीसदी है, जेल की सलाखों के पीछे बंद लोगों में उनकी संख्या आधे से भी ज्यादा है। ये तथ्य हैं।"
'हर अमेरिकी को इन घटनाओं से तकलीफ होनी चाहिए'
ओबामा ने कहा, "और जब ऐसी घटनाएं होती हैं तो बड़ी संख्या में हमारे साथी नागरिकों को ऐसा लगता है कि उनकी त्वचा के रंग के कारण उनके साथ समान व्यवहार नहीं होता है। यह तकलीफदेह है। इससे हम सभी को तकलीफ होनी चाहिए।" उन्होंने कहा, "यह मुद्दा केवल अश्वेत लोगों से जुड़ा नहीं है बल्कि हिस्पानवी लोगों के साथ भी ऐसा ही होता है। यह अमेरिका से जुड़ा मसला है इसलिए हमें इससे सरोकार रखना चाहिए। खुले विचारों वाले सभी लोगों का इससे सरोकार होना चाहिए।" ओबामा का यह बयान मिनेसोटा में हुई उस घटना के बाद आया था जिसमें पुलिस ने एक अश्वेत व्यक्ति पर हमला किया था। किसी व्यक्ति ने इस घटना का वीडियो बना लिया था जो जल्द ही वायरल हो गया और अफ्रीकी-अमेरिकी लोगों के साथ पुलिस की बर्बरता पर नए सिरे से बहस शुरू हो गई।
लुसियाना में मंगलवार को हुई एक ऐसी ही घटना का वीडियो सामने आया था जिसमें एक स्टोर के बाहर पुलिस के साथ उलझ रहे एक अश्वेत व्यक्ति को दो श्वेत पुलिसकर्मियों ने मार डाला था।
'हर जिंदगी महत्वपूर्ण है'
ओबामा ने कहा, "अगर समुदायों को पुलिस पर, उन पुलिसकर्मियों पर भरोसा नहीं होगा जो अपना काम अच्छी तरह और सही तरीके से कर रहे हैं तो उनके लिए काम करना बेहद मुश्किल हो जाएगा।" उन्होंने आगे कहा, "इसलिए जब लोग कहते हैं कि अश्वेतों का जीवन मायने रखता है, तो इसका मतलब यह नहीं है कि किसी दूसरे समुदाय का जीवन महत्व नहीं रखता, बल्कि इसके मायने ये हैं कि सभी जिंदगियां महत्व रखती हैं। लेकिन वर्तमान में सबसे बड़ी चिंता यह है कि अश्वेत लोग के इस तरह की घटनाओं का शिकार बनने की आशंका ज्यादा होती है।"
(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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