अज़रबैजान (Azerbaijan) के ईरान के लिए राजदूत अली अलीज़ादा ने ट्विटर पर एक वीडियो (Video) शेयर की है जिसमें दिखाया जा रहा है कि एक व्यक्ति सारे घर में पहले पैट्रोल / डीज़ल छिड़कता है और फिर आग लगा देता है. इस वीडियो को शेयर करते हुए अज़रबैजान के अलीजादा ने कहा है, "यह आर्मेनिया (Armenia) के लोग हैं जो कई सालों तक अज़रबैजान की सीमा में रहे, अज़रबैजान की रोटी खाई, पानी पिया और अब इतने साल यहां रहने के बाद जब उन्हें लाचिन छोड़ना पड़ रहा है तो वो उसी घर को आग लगा रहे हैं जहां वो इतने साल तक रहे. "
A real example of Armenian hatred.
— Ali Alizada 🇦🇿 (@Ali_F_Alizada) August 14, 2022
This damned #Armenia'n, who lived for many years in the territory of #Azerbaijan, eating Azerbaijani bread and drinking its water, is now burning down the house where he stayed for all these years before leaving #Lachin, Aze🇦🇿.
Allah Kareem! pic.twitter.com/4ln9ePPS1t
लेकिन लाचिन, आर्मेनिया और अज़रबैजान की कहानी इतनी आसान नहीं है. लाचिन आर्मेनिया और अज़रबैजान के बीच एक पहाड़ी इलाका है और आर्मेनिया को विवादित इलाके नार्गोनो-काराबाख (Nagorno- Karabakh) से जोड़ने वाला एक मात्र रास्ता है. आर्मेनिया और अज़रबैजान दोनों इस इलाके पर अपना दावा करते हैं. हाल ही में एक बार फिर आर्मेनिया और अज़रबैजान के बीच युद्ध की स्तिथि बनी थी और अज़बैजान ने आर्मेनिया के कब्जे वाले कुछ इलाकों को अपने कब्जे में कर लिया था.
इस इलाके पर नज़र रखने वाले ओपन कॉकस मीडिया के अनुसार, इसके बाद 5 अगस्त को नागोर्नो-काराबाख के एडमिनिस्ट्रेशन की तरफ से लाचिन कॉरीडोर के निकट बसे गांव-कस्बों को आदेश दिया गया था कि वो 25 अगस्त कर अपना घर छोड़ दें, क्योंकि इसके बाद इन इलाकों को अज़रबैजान को सौंप दिया जाएगा. मिनिस्ट्री ऑफ टेरिटोरियल एडमिनिस्ट्रेशन ऑफ नागोर्नो-काराबाख ने कहा कि इन निवासियों को यहां से हटने के बारे में एक एक नागिरक सुरक्षा मीटिंग के बाद बताया गया.
इस खबर के बाद लाचिन और अघवानो के निवासियों ने खुद को हटाए जाने का विरोध किया . आर्मेनिया और अज़रबैजान के बीच 2020 में हुए दूसरे युद्ध के बाद इन इलाकों में केवल यहीं पर आर्मेनियाई आबादी बची रह गई थी. लेकिन अब विरोध के बावजूद कुछ लोग इस इलाके में अपने घरों को छोड़ कर जाने को मजबूर हैं.
क्योंकि 2020 में आर्मेनिया और अज़रबैजान के बीच शांति समझौता रूस ने करवाया था, ऐसे में रूसी शांति सेनाएं लाचिन कॉरीडोर की निगरानी कर रहीं थीं.
साल 2020 में हुए समझौते के अनुसार, लाचिन कॉरीडोर से अलग एक आर्मेनिया से नार्गोनो-काराबाख को जोड़ने वाली एक सड़क के बनने तक यह इलाका रूसी सेना के कब्जे में रहता और इसके बाद आर्मेनिया यह इलाका अज़रबैजान को सौंप देता. लेकिन अब हालात जटिल हो गए हैं. आर्मेनियाई मीडिया हैटक के अनुसार, फिलहाल यह साफ नहीं है कि इस इलाके पर अभी किसका नियंत्रण है. वहीं आर्मेनिया के अधिकारी कह रहे हैं कि दूसरी सड़क 2023 के अंत तक पूरी नहीं होगी. जैम न्यूज़ के अनुसार, रूसी सेनाएं भी इस इलाके से हटने लगी हैं और वहीं अज़रबैजान के मीडिया अज़र न्यूज़ ने अज़री राष्ट्रपति हिकमत हाजिएव के हवाले से लिखा है कि आर्मेनिया ने लाचिन को 1992 में कब्जे में लेने के बाद यहां अवैध बस्तियां बसा ली थीं.
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