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अरब लीग के विदेशमंत्रियों ने संयुक्त राष्ट्र और अंतरराष्ट्रीय समुदाय से अपील की है कि दमिश्क के पास सीरियाई शासन द्वारा किए गए रासायनिक हमलों के खिलाफ वे ‘कड़े’ कदम उठाएं।
हालांकि अरब लीग ने अमेरिका द्वारा प्रस्तावित सैन्य हमले का समर्थन नहीं किया है और उसमें अमेरिका के इस प्रस्ताव पर सहमति नहीं है क्योंकि यहां के कई देश सीरिया में विदेशी हस्तक्षेप के खिलाफ हैं।
अरब लीग के विदेशमंत्रियों ने कल एक बयान में कहा, संयुक्त राष्ट्र और अमेरिका से संयुक्त राष्ट्र घोषणा पत्र और अंतरराष्ट्रीय कानून के मुताबिक कड़े कदम उठाकर अपनी जिम्मेदारियां निभाने की अपील की जा रही है। काहिरा में बैठक करने वाले मंत्रियों ने कहा कि इन हमलों के लिए सीरियाई ‘शासन’ जिम्मेदार है। अमेरिका के मुताबिक, जहरीली गैस के इन हमलों में हजारों लोग मारे गए।
उधर, अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने कहा है कि पिछले माह सीरियाई राजधानी के उपनगरीय इलाकों में हुए हमलों के संदर्भ में दमिश्क शासन के खिलाफ किसी तरह का हमला करने से पहले वह अमेरिकी कांग्रेस की मंजूरी लेंगे।
संयुक्त राष्ट्र के रासायनिक हथियार जांचकर्ताओं ने संदिग्ध घटनास्थलों की जांच की, जहां से नमूने लेकर आज से यूरोपीय प्रयोगशालाओं में भेजा जाएगा। हालांकि, संयुक्त राष्ट्र ने इनके विश्लेषण के लिए किसी भी समयसीमा की घोषणा करने से इंकार कर दिया है।
अमेरिका के विदेश मंत्री जॉन कैरी ने एनबीसी के मीट द प्रेस कार्यक्रम में कहा कि अमेरिका को उपलब्ध कराए गए नमूनों से बालों और रक्त के नमूनों में जहरीली गैस की मौजूदगी की पुष्टि हुई है।
अरब लीग में शामिल देशों के विदेश मंत्रियों ने कहा कि सीरिया में जहरीली गैस खुली छोड़ने के जिम्मेदार लोगों पर ‘दूसरे युद्ध अपराधियों’ की तरह अंतरराष्ट्रीय अदालत के समक्ष मुकदमा चलाया जाना चाहिए। बहरहाल, उन्होंने अमेरिका और फ्रांस के प्रस्तावित सैन्य हमलों की योजना का समर्थन नहीं किया।
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