
- सीरिया के स्वेइदा प्रांत में ड्रूज मिलिशिया और सुन्नी बेदुइन कबीलों के बीच सांप्रदायिक हिंसा भड़क उठी है.
- अमेरिका की युद्धविराम कोशिशें असफल रहीं और विदेश मंत्री ने सीरियाई सेना से जिहादियों को रोकने का आग्रह किया.
- संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, झड़पों में 940 से अधिक लोग मारे गए और 80,000 से ज्यादा विस्थापित हुए हैं.
सीरिया के दक्षिणी स्वेइदा प्रांत में एक बार फिर सांप्रदायिक हिंसा भड़क उठी है. इस हफ्ते पूरे इलाके में भारी मशीनगनों की गूंज और मोर्टार के धमाके सुनाई दिए, जबकि अमेरिका की ओर से युद्धविराम की कोशिशें भी नाकाम हो गईं. हालात बिगड़ते देख अमेरिका के विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने सार्वजनिक तौर पर सीरियाई सेना से आग्रह किया कि वह जिहादियों को घुसपैठ और "नरसंहार" से रोके.
यह संघर्ष पिछले रविवार को तब शुरू हुआ जब लंबे समय से चला आ रहा तनाव ड्रूज मिलिशिया और सुन्नी बेदुइन कबीलों के बीच खुली लड़ाई में बदल गया. सीरियाई बलों ने शुरुआत में हालात काबू में लाने की बात कही, लेकिन जल्दी ही वे बेदुइन पक्ष के समर्थन में दिखे — जिससे ड्रूज समुदाय और भड़क गया.
स्वेइदा से हटी सीरियाई सेना की टुकड़ियां
सीरिया के सूचना मंत्री हम्जा अल मुस्तफा ने कहा कि स्थिति को स्थायी संघर्ष में बदलने से रोकने के लिए एक युद्धविराम की घोषणा की गई है, जिससे मौजूदा झड़पें रोकी जा सकें और राजनीतिक समाधान का रास्ता खोला जा सके.
इसी बीच इजरायल ने दमिश्क में टार्गेटेड एयरस्ट्राइक की. यह कहते हुए कि इसका मकसद ड्रूज नागरिकों की सुरक्षा करना था. सीरियाई सेना ने अब स्वेइदा से काफी हद तक अपनी टुकड़ियां हटा ली हैं, लेकिन इसी दौरान ड्रूज लड़ाकों द्वारा बेदुइन बस्तियों पर बदले की कार्रवाई की खबरें भी सामने आईं.
दुश्मन कबीलों को ठहराया जिम्मेदार
अपने टेलीविजन संबोधन में राष्ट्रपति अल-शराआ ने “अवैध समूहों और दुश्मन कबीलों” को इस अभूतपूर्व संकट का जिम्मेदार बताया.
सीरियन ऑब्जर्वेटरी फॉर ह्यूमन राइट्स के मुताबिक अब तक 940 से ज्यादा लोग मारे जा चुके हैं. संयुक्त राष्ट्र का कहना है कि एक हफ्ते में ही 80,000 लोग अपने घर छोड़ने पर मजबूर हुए हैं. जैसे-जैसे कूटनीति संघर्ष के पीछे छूट रही है, सवाल उठता है कि क्या यह युद्धविराम इस सांप्रदायिक आग को रोक पाएगा?
वहीं अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा पश्चिम एशिया में शांति लाने के दावे जमीन पर सच साबित नहीं हो रहे हैं. गाजा से यमन और लेबनान से लेकर ईरान और अब सीरिया तक पूरा क्षेत्र अस्थिरता और रक्तपात की गिरफ्त में है.
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