एक नए शोध के मुताबिक, ऐसे संक्रमण दुनिया भर में तेजी से बढ़ रहे हैं जो एंटीबायोटिक दवाओं के प्रभाव को नकारते हैं. पिछले तीन दशकों में दक्षिण एशिया के उपचार-प्रतिरोधी टाइफाइड ने लगभग 200 बार अपने देश की सीमा को पार कर दूसरे इलाके के लोगों को प्रभावित किया है.
ब्लूमबर्ग के मुताबिक, 2014 और 2019 के बीच, वैज्ञानिकों ने S.Typhi के 3,489 मामलों से जीनोम का सिक्वेंसिंग किया. गौरतलब है कि S.Typhi बैक्टीरिया टाइफाइड बुखार का कारण बनता है और हरेक साल लगभग 100,000 से अधिक लोगों की मौत का कारण बनता है. बांग्लादेश, भारत, नेपाल और पाकिस्तान के आंकड़ों को 113 साल की अवधि में 70 से अधिक देशों के 4,169 समान नमूनों के विश्लेषण के साथ जोड़ा गया. ये अपनी तरह का सबसे बड़ा अध्ययन है. ,
इस अध्ययन को बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन की तरफ से आर्थिक मदद मिली है. लेकिन इस अध्ययन की अपनी एक सीमा है जिसके तहत उप-सहारा अफ्रीका और ओशिनिया जैसे स्थानिक क्षेत्रों से सैम्पल्स को ज्यादा शामिल नहीं किया जा सका.
द लैंसेट माइक्रोब में प्रकाशित निष्कर्षों से पता चलता है कि यह वैश्विक मुद्दा बना हुआ है. अध्ययन में पाया गया कि दो महत्वपूर्ण प्रकार के एंटीबायोटिक्स मैक्रोलाइड्स और क्विनोलोन पर काबू पाने में सक्षम स्ट्रेन की संख्या तेजी से बढ़ी और अक्सर अन्य देशों में फैल गई.
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