
बर्लिन:
यूरोपीय संघ (ईयू) ने मीडिया में आई उस रिपोर्ट पर रविवार को अमेरिका से तत्काल स्पष्टीकरण मांगा है, जिसमें कहा गया है कि अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसी (एनएसए) ने ईयू के कार्यालयों की खुफियागीरी की है। ईयू ने कहा है कि इस खुफियागीरी के अभूतपूर्व परिणाम हो सकते हैं।
जर्मन पत्रिका 'डेर स्पीगल' ने एक रिपोर्ट में कहा है कि अमेरिका ने वाशिंगटन स्थित ईयू प्रतिनिधि कार्यालय में बग्स लगाकर वहां के कम्प्यूटर नेटवर्क में घुसपैठ की और सारी जानकारी हासिल कर ली। इस तरह के साइबर हमले न्यूयार्क एवं वाशिंगटन में ब्रसेल्स के खिलाफ भी किए गए।
सीएनएन ने यूरोपीय संसद के अध्यक्ष मार्टिन स्कल्ज की ओर से जारी एक बयान के हवाले से कहा है, "मैं इन आरोपों को लेकर बहुत चिंतित और अचंभित हूं।"
स्कल्ज ने कहा है, "यदि आरोप सही साबित होते हैं, तो यह एक अत्यंत गंभीर मामला होगा, जिसका ईयू-अमेरिका संबंधों पर गहरा असर होगा। यूरोपीय संसद की ओर से मैं अमेरिकी प्रशासन से इन आरोपों के संबंध में तत्काल पूर्ण स्पष्टीकरण चाहता हूं।"
जर्मनी के न्याय मंत्रालय के प्रवक्ता एंडर्स मर्जलुफ के अनुसार, जर्मन न्याय मंत्री सबीन ल्यूथसर-स्कनरेनबर्गर ने कहा है कि यदि आरोप सच है तो यह शीतयुद्ध की याद ताजा कराने वाली घटना है।
डेर स्पीगल में प्रकाशित जानकारी आईएसआई के पूर्व कर्मचारी एडवर्ड स्नोडेन से हासिल गोपनीय दस्तावेजों से प्राप्त हुई है।
पत्रिका की रिपोर्ट में कहा गया है, "सितंबर 2010 के एक अत्यंत गोपनीय दस्तावेज से पता चलता है कि एनएसए ने किस तरह वाशिंगटन स्थित यूरोपीय संघ के राजनयिक मिशन पर हमला किया है।"
रिपोर्ट में कहा गया है कि यूरोपीय संघ की इमारत में ऐसे बग्स लगाए गए हैं, जो आंतरिक कंप्यूटर नेटवर्क में घुसकर सारी जानकारी हासिल कर लेते हैं। इसके जरिए अमेरिकी खुफिया यूरोपीय संघ की बैठकों, ई-मेल्स और आंतरिक दस्तावेजों तक पहुंच स्थापित कर सकती है। डेर स्पीगल की रिपोर्ट पर वाशिंगटन की ओर से तत्काल कोई जवाब नहीं आया है।
ईयू प्रवक्ता मर्लिन होल्जनर ने कहा है, "हमने वाशिंगटन डीसी और ब्रसेल्स स्थित अमेरिकी अधिकारियों से तत्काल संपर्क स्थापित किया है और पत्रिका की रिपोर्ट के बारे में उन्हें बताया है। उन्होंने हमसे कहा है कि वे शनिवार को प्रकाशित हुई इस जानकारी की सत्यता की जांच कर रहे हैं और उसके बाद वे हमसे संपर्क करेंगे।"
उल्लेखनीय है कि गोपनीय दस्तावेजों को लीक करने की बात स्वीकार कर चुके स्नोडेन इस समय रूस में हैं और वह इक्वाडोर में शरण लेने की जुगत में हैं।
सीआईए के लिए काम कर चुके स्नोडेन पिछले महीने हांगकांग भाग गए थे और वहां उन्होंने एनएसए द्वारा संचालित गोपनीय निगरानी परियोजना का खुलासा किया था, जिसका कूट नाम 'पीआरआईएसएम' है। यह परियोजना दुनियाभर में ई-मेल्स और फोन काल्स को पकड़ने में सक्षम है।
जर्मन पत्रिका 'डेर स्पीगल' ने एक रिपोर्ट में कहा है कि अमेरिका ने वाशिंगटन स्थित ईयू प्रतिनिधि कार्यालय में बग्स लगाकर वहां के कम्प्यूटर नेटवर्क में घुसपैठ की और सारी जानकारी हासिल कर ली। इस तरह के साइबर हमले न्यूयार्क एवं वाशिंगटन में ब्रसेल्स के खिलाफ भी किए गए।
सीएनएन ने यूरोपीय संसद के अध्यक्ष मार्टिन स्कल्ज की ओर से जारी एक बयान के हवाले से कहा है, "मैं इन आरोपों को लेकर बहुत चिंतित और अचंभित हूं।"
स्कल्ज ने कहा है, "यदि आरोप सही साबित होते हैं, तो यह एक अत्यंत गंभीर मामला होगा, जिसका ईयू-अमेरिका संबंधों पर गहरा असर होगा। यूरोपीय संसद की ओर से मैं अमेरिकी प्रशासन से इन आरोपों के संबंध में तत्काल पूर्ण स्पष्टीकरण चाहता हूं।"
जर्मनी के न्याय मंत्रालय के प्रवक्ता एंडर्स मर्जलुफ के अनुसार, जर्मन न्याय मंत्री सबीन ल्यूथसर-स्कनरेनबर्गर ने कहा है कि यदि आरोप सच है तो यह शीतयुद्ध की याद ताजा कराने वाली घटना है।
डेर स्पीगल में प्रकाशित जानकारी आईएसआई के पूर्व कर्मचारी एडवर्ड स्नोडेन से हासिल गोपनीय दस्तावेजों से प्राप्त हुई है।
पत्रिका की रिपोर्ट में कहा गया है, "सितंबर 2010 के एक अत्यंत गोपनीय दस्तावेज से पता चलता है कि एनएसए ने किस तरह वाशिंगटन स्थित यूरोपीय संघ के राजनयिक मिशन पर हमला किया है।"
रिपोर्ट में कहा गया है कि यूरोपीय संघ की इमारत में ऐसे बग्स लगाए गए हैं, जो आंतरिक कंप्यूटर नेटवर्क में घुसकर सारी जानकारी हासिल कर लेते हैं। इसके जरिए अमेरिकी खुफिया यूरोपीय संघ की बैठकों, ई-मेल्स और आंतरिक दस्तावेजों तक पहुंच स्थापित कर सकती है। डेर स्पीगल की रिपोर्ट पर वाशिंगटन की ओर से तत्काल कोई जवाब नहीं आया है।
ईयू प्रवक्ता मर्लिन होल्जनर ने कहा है, "हमने वाशिंगटन डीसी और ब्रसेल्स स्थित अमेरिकी अधिकारियों से तत्काल संपर्क स्थापित किया है और पत्रिका की रिपोर्ट के बारे में उन्हें बताया है। उन्होंने हमसे कहा है कि वे शनिवार को प्रकाशित हुई इस जानकारी की सत्यता की जांच कर रहे हैं और उसके बाद वे हमसे संपर्क करेंगे।"
उल्लेखनीय है कि गोपनीय दस्तावेजों को लीक करने की बात स्वीकार कर चुके स्नोडेन इस समय रूस में हैं और वह इक्वाडोर में शरण लेने की जुगत में हैं।
सीआईए के लिए काम कर चुके स्नोडेन पिछले महीने हांगकांग भाग गए थे और वहां उन्होंने एनएसए द्वारा संचालित गोपनीय निगरानी परियोजना का खुलासा किया था, जिसका कूट नाम 'पीआरआईएसएम' है। यह परियोजना दुनियाभर में ई-मेल्स और फोन काल्स को पकड़ने में सक्षम है।
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं