वाशिंगटन:
अमेरिका के एक प्रमुख मुस्लिम संगठन ने पाकिस्तान में ईशनिंदा के आरोपों में 11 वर्षीय एक लड़की की गिरफ्तारी की आलोचना की है और उसे तुरंत रिहा करने की मांग की है।
लड़की की पहचान रिमशा मसीह के रूप में हुई है और बताया जाता है कि वह डाउन सिंड्रोम से पीड़ित है। कुरान की आयत के पन्ने जलाने के आरोप में वह मौत की सजा का सामना कर रही है।
वॉशिंगटन स्थित काउंसिल ऑन अमेरिकन इस्लामिक रिलेशंस ने कहा, यह आवश्यक है पाकिस्तान रिमशा मसीह को तुरंत रिहा करे और उसकी एवं उसके परिवार और समुदाय की सुरक्षा सुनिश्चित करे। ऐसी बच्ची खासकर जब वह मानसिक रूप से अस्वस्थ है तो उसकी गिरफ्तारी इस्लामी सिद्धांतों का गंभीर उल्लंघन है। सीएआईआर ने कहा कि इस तरह के मानवाधिकारों के उल्लंघन की निंदा होनी चाहिए और इसे सिर्फ इसलिए चुनौती नहीं दी जानी चाहिए कि कमजोर लोगों के खिलाफ यह बड़ा अन्याय है, बल्कि इसलिए भी दी जानी चाहिए कि इस्लाम के नाम पर उन्हें गलत फंसाया जा रहा है।
सीएआईआर ने कहा, खबर है कि इस गिरफ्तारी के पीछे एक क्रुद्ध भीड़ है और हम पाकिस्तानी अधिकारियों से कहते हैं कि उन घटनाओं की जांच करें। मीडिया और मानवाधिकार संगठनों की खबरों से पता चलता है कि स्थानीय अधिकारियों एवं चरमपंथी नेताओं की कार्रवाई अन्यायपूर्ण है और इस्लाम की शिक्षाओं के खिलाफ है। इसने कहा कि उस लड़की ने इस्लाम के सिद्धांतों का उल्लंघन नहीं किया, बल्कि उन चरमपंथियों ने किया।
लड़की की पहचान रिमशा मसीह के रूप में हुई है और बताया जाता है कि वह डाउन सिंड्रोम से पीड़ित है। कुरान की आयत के पन्ने जलाने के आरोप में वह मौत की सजा का सामना कर रही है।
वॉशिंगटन स्थित काउंसिल ऑन अमेरिकन इस्लामिक रिलेशंस ने कहा, यह आवश्यक है पाकिस्तान रिमशा मसीह को तुरंत रिहा करे और उसकी एवं उसके परिवार और समुदाय की सुरक्षा सुनिश्चित करे। ऐसी बच्ची खासकर जब वह मानसिक रूप से अस्वस्थ है तो उसकी गिरफ्तारी इस्लामी सिद्धांतों का गंभीर उल्लंघन है। सीएआईआर ने कहा कि इस तरह के मानवाधिकारों के उल्लंघन की निंदा होनी चाहिए और इसे सिर्फ इसलिए चुनौती नहीं दी जानी चाहिए कि कमजोर लोगों के खिलाफ यह बड़ा अन्याय है, बल्कि इसलिए भी दी जानी चाहिए कि इस्लाम के नाम पर उन्हें गलत फंसाया जा रहा है।
सीएआईआर ने कहा, खबर है कि इस गिरफ्तारी के पीछे एक क्रुद्ध भीड़ है और हम पाकिस्तानी अधिकारियों से कहते हैं कि उन घटनाओं की जांच करें। मीडिया और मानवाधिकार संगठनों की खबरों से पता चलता है कि स्थानीय अधिकारियों एवं चरमपंथी नेताओं की कार्रवाई अन्यायपूर्ण है और इस्लाम की शिक्षाओं के खिलाफ है। इसने कहा कि उस लड़की ने इस्लाम के सिद्धांतों का उल्लंघन नहीं किया, बल्कि उन चरमपंथियों ने किया।
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