इस्लामाबाद:
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के प्रशासन ने पाकिस्तानी सैनिकों को प्रशिक्षित करने के अपने दशक पुराने कार्यक्रम को निलंबित कर दिया है. रूसी रक्षा केंद्रों में पाकिस्तानी सैनिकों को प्रशिक्षण देने के संबंध में इस्लामाबाद और मॉस्को के बीच एक समझौते पर हस्ताक्षर होने के कुछ दिनों बाद मीडिया रिपोर्टों में यह दावा किया गया है. रावलपिंडी में पाकिस्तान और रूस के बीच मंगलवार को हुई पहली संयुक्त सैन्य सलाहकार समिति (जेएमसीसी) की बैठक के बाद दोनों ने एक समझौते पर हस्ताक्षर किए थे. बैठक में दोनों पक्षों ने द्विपक्षीय रक्षा संबंधों की वर्तमान स्थिति पर चर्चा की और पाकिस्तानी सैनिकों के रूसी प्रशिक्षण संस्थानों में प्रशिक्षण पर सहमति जतायी.समाचार पत्र ‘डॉन’ ने आधिकारिक सूत्रों के हवाले से कहा कि अमेरिकी सैन्य संस्थान उन 66 स्थानों को भरने की कोशिश कर रहा है जिसे अगले वर्ष के अकादमिक सत्र के लिए पाकिस्तान के लिए रखा गया था. ट्रंप प्रशासन ने उनके प्रशिक्षण के लिए कोष देने से भी इनकार कर दिया है.
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रिपोर्ट में कहा गया कि पाकिस्तानी सैनिकों के प्रशिक्षण के लिए कोष अमेरिकी सरकार के अंतरराष्ट्रीय सैन्य शिक्षा एवं प्रशिक्षण कार्यक्रम (आईएमईटी) से आता था लेकिन ट्रंप प्रशासन ने पाकिस्तान के लिए अगले साल के अकादमिक सत्र के लिए कोई कोष उपलब्ध नहीं कराया है. गौरतलब है कि पाकिस्तान और अमेरिका के बीच संबंधों में जनवरी में उस समय खटास आ गई थी जब राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इस्लामाबाद पर वाशिंगटन से ‘‘धोखा एवं छल’’ करने और आतंकवादियों को सुरक्षित पनाह देने का आरोप लगाया था. अमेरिकी कांग्रेस ने पाकिस्तान रक्षा सहायता को कम कर 15 करोड़ डालर करने के लिए एक विधेयक भी पास किया था. यह सालाना इस मद में मिलने वाली एक अरब डालर की राशि से काफी कम है.
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(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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रिपोर्ट में कहा गया कि पाकिस्तानी सैनिकों के प्रशिक्षण के लिए कोष अमेरिकी सरकार के अंतरराष्ट्रीय सैन्य शिक्षा एवं प्रशिक्षण कार्यक्रम (आईएमईटी) से आता था लेकिन ट्रंप प्रशासन ने पाकिस्तान के लिए अगले साल के अकादमिक सत्र के लिए कोई कोष उपलब्ध नहीं कराया है. गौरतलब है कि पाकिस्तान और अमेरिका के बीच संबंधों में जनवरी में उस समय खटास आ गई थी जब राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इस्लामाबाद पर वाशिंगटन से ‘‘धोखा एवं छल’’ करने और आतंकवादियों को सुरक्षित पनाह देने का आरोप लगाया था. अमेरिकी कांग्रेस ने पाकिस्तान रक्षा सहायता को कम कर 15 करोड़ डालर करने के लिए एक विधेयक भी पास किया था. यह सालाना इस मद में मिलने वाली एक अरब डालर की राशि से काफी कम है.
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