फाइल फोटो
नई दिल्ली:
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और उत्तर कोरियाई नेता किम जोंग उन के बीच हुई ऐतिहासिक शिखर वार्ता को एक महीने से ज्यादा समय बीत चुका है. इसके बाद भी अमेरिका द्वारा संयुक्त राष्ट्र में उत्तर कोरिया पर लगाए गए प्रतिबंधों को ‘‘पूर्ण प्रभावी’’ बनाने की अपील यह रेखांकित करने के लिये काफी है कि परमाणु निरस्त्रीकरण की दिशा में असल प्रगति हासिल करने में काफी मुश्किलें आ रही हैं. सिंगापुर में 12 जून को हुई ऐतिहासिक शिखर वार्ता के बाद संयुक्त घोषणापत्र में उत्तर कोरियाई शासक ने ‘‘कोरियाई प्रायद्वीप में पूर्ण निरस्त्रीकरण’’ को लेकर एक बार फिर अपनी प्रतिबद्धता व्यक्त की थी. इस वार्ता की असली प्रगति कैसे और किस समय तक होगी और कैसे उत्तर कोरिया के परमाणु कार्यक्रम को खत्म किया जाएगा, इस पर हालांकि अभी बात होनी बाकी है.
परमाणु निरस्त्रीकरण की योजना के क्रियान्वयन को लेकर अमेरिका के विदेश मंत्री तीसरी बार पहुंचे उत्तर कोरिया
उस समय अमेरिकी प्रशासन ने निरस्त्रीकरण की ‘‘ अत्यावश्यकता ’’ पर जोर दिया था जिससे इसके ‘‘बेहद जल्दी’’ शुरू होने की उम्मीद थी. अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ ने कहा था कि हमें उम्मीद है कि राष्ट्रपति ट्रंप के मौजूदा कार्यकाल के खत्म होने से पहले हम 2020 तक इसे पूरा कर पाएंगे. वार्ता के 40 दिनों और पोम्पिओ के उत्तर कोरिया के एक बेनतीजा दौरे के बाद अमेरिका के सुर अब निश्चित रूप से बदल गए हैं.
रणनीति इंट्रो: ट्रंप-किम की ऐतिहासिक मुलाकात
ट्रंप ने संवाददाताओं से कहा , ‘‘हमारे पास कोई समयसीमा नहीं है. हमारे पास कोई गति सीमा नहीं है.’’ सुर में बदलाव के बारे में पूछे जाने पर विदेश विभाग की प्रवक्ता हीथर नॉर्ट ने कहा, ‘‘इसके लिये हमारे दल हैं जो प्रतिदिन इस मुद्दे पर बेहद कठिन परिश्रम से काम कर रहे हैं. हमनें कहा था कि अभी इस मामले में काफी काम किया जाना बाकी है.’ कई विशेषज्ञों ने पहले ही सिंगापुर वार्ता को लेकर की जा रही बड़ी-बड़ी अपेक्षाओं पर चिंता व्यक्त करते हुए इसे एक कठिन प्रक्रिया बताया था और अब वे असल हालातों का स्वागत करने को कह रहे हैं.
(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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उस समय अमेरिकी प्रशासन ने निरस्त्रीकरण की ‘‘ अत्यावश्यकता ’’ पर जोर दिया था जिससे इसके ‘‘बेहद जल्दी’’ शुरू होने की उम्मीद थी. अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ ने कहा था कि हमें उम्मीद है कि राष्ट्रपति ट्रंप के मौजूदा कार्यकाल के खत्म होने से पहले हम 2020 तक इसे पूरा कर पाएंगे. वार्ता के 40 दिनों और पोम्पिओ के उत्तर कोरिया के एक बेनतीजा दौरे के बाद अमेरिका के सुर अब निश्चित रूप से बदल गए हैं.
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ट्रंप ने संवाददाताओं से कहा , ‘‘हमारे पास कोई समयसीमा नहीं है. हमारे पास कोई गति सीमा नहीं है.’’ सुर में बदलाव के बारे में पूछे जाने पर विदेश विभाग की प्रवक्ता हीथर नॉर्ट ने कहा, ‘‘इसके लिये हमारे दल हैं जो प्रतिदिन इस मुद्दे पर बेहद कठिन परिश्रम से काम कर रहे हैं. हमनें कहा था कि अभी इस मामले में काफी काम किया जाना बाकी है.’ कई विशेषज्ञों ने पहले ही सिंगापुर वार्ता को लेकर की जा रही बड़ी-बड़ी अपेक्षाओं पर चिंता व्यक्त करते हुए इसे एक कठिन प्रक्रिया बताया था और अब वे असल हालातों का स्वागत करने को कह रहे हैं.
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