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परमाणु बम को ईरान के लिए 'दवा' बताने वाले टॉप साइंटिस्ट को इजरायल ने मार डाला, जानिए कौन थे अब्बासी

अब्बासी ईरान के न्‍यूक्लियर के एनर्जी संगठन के पूर्व प्रमुख रह चुके थे. दो दशकों से उन्‍हें ईरान के परमाणु कार्यक्रम और इसके डेवलपमेंट का एक अहम शख्‍स करार दिया जा रहा था.

तेहरान:

'अगर हम हमला नहीं करते तो 100 फीसदी तय है कि हम मारे जाएंगे,' शुक्रवार को कुछ इन शब्‍दों के साथ इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्‍याहू ने ईरान के परमाणु ठिकानों को नष्‍ट करने के बाद देश और दुनिया को एक संदेश दिया. इजरायल ने ईरान के लिए रणनीतिक तौर पर महत्‍वपूर्ण न्‍यूक्लियर फैस‍िलिटीज को निशाना बनाया है. इजरायली सेनाओं ने नातान्‍ज और बाकी संवेदनशील जगहों पर टारगेटेड हमले किए हैं. इन हमलों में ईरान के न्‍यूक्लियर साइंटिस्‍ट फेरेदून अब्बासी की भी मौत हो गई है. अब्‍बासी को यूनाइटेड नेशंस ने भी बैन किया हुआ था. यह बात और है कि वह हमेशा ईरान के परमाणु कार्यक्रम को 'शांति की मकसद' से शुरू किया हुआ प्रोग्राम बताते थे. 

ईरान के एक्‍यू खान 

अब्बासी ईरान के न्‍यूक्लियर के एनर्जी संगठन के पूर्व प्रमुख रह चुके थे. दो दशकों से उन्‍हें ईरान के परमाणु कार्यक्रम और इसके डेवलपमेंट का एक अहम शख्‍स करार दिया जा रहा था. अब्बासी अक्‍सर कहते थे कि ईरान के परमाणु प्रयास शांतिपूर्ण हैं और यह राष्‍ट्रीय संप्रभुता के लिए जरूरी हैं. अब्‍बासी को आप ईरान का एक्‍यू खान कह सकते हैं. एक्‍यू खान वह शख्‍स थे जिनकी वजह से पाकिस्‍तान परमाणु क्षमता से लैस हुआ था. 

2010 में बचे थे बाल-बाल 

अब्बासी साल 2010 में उस समय बाल-बाल बचे थे जब तेहरान में एक मोटरसाइकिल सवार ने उनकी कार में एक्‍सप्‍लोसिव डिवाइस लगा दी थी. यह घटना ईरान के परमाणु वैज्ञानिकों को निशाना बनाकर किये गए हमलों की सीरीज का ही हिस्‍सा थी. हालांकि इसका दोष भी इजरायल को दिया गया था. साल 2007 में ईरान ने अपनी कुछ न्‍यूक्लियर फैसिलिटीज को दुनियाभर की मीडिया के लिए खोला था. उसी समय से अब्‍बासी इंटरनेशनल मीडिया में चर्चा का विषय बने हुए थे. 

ईरान की इस्‍फहान सिटी में यूरेनियम एनरिचमेंट फैसिलिटी सेंटर पर अब्‍बासी ने कुछ जर्नलिस्‍ट्स से मुलाकात भी की थी. अब्‍बासी उन दिनों आधिकारिक तौर पर उत्‍तरी तेहरान में शाहिद बेहेश्टी यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर थे और वेबसाइट की मानें तो वह स्‍टूडेंट्स एंड कल्‍चरल अफेयर्स के डिप्‍टी थे. उन छात्र स्वास्थ्य देखभाल और हॉस्‍टल की जिम्‍मेदारी थी. उन्होंने यूनिवर्सिटी में न्‍यूक्लियर इंजीनियरिंग भी पढ़ाई. 

न्‍यूक्लियर रिसर्च को किया प्रोत्साहित 

अब्बासी का काम का मुख्य तौर पर घरेलू ईरानी न्‍यूक्लियर रिसर्च को प्रोत्साहित करना था. वह मानते थे कि विदेशों में ईरानी छात्रों पर लगे बैन ने ईरानी छात्रों के लिए इस फील्‍ड में रिसर्च को मुश्किल बना दिया है. एक इंटरव्‍यू में उन्‍होंने कहा, 'पश्चिमी देशों ने ईरानी छात्रों पर जो बैन लगाया है उसका मकसद सिर्फ उन्हें परमाणु क्षेत्र और संबंधित इंजीनियरिंग क्षेत्रों में रिसर्च और काम करने से रोकना है. ऐसे में हमनें उन्‍हें इस क्षेत्र का ज्ञान देने के लिए एक प्रयास शुरू करने का फैसला किया.' 

'मैं बनाऊंगा ईरान के लिए बम' 

ईरान के परमाणु कार्यक्रम पर दुनियाभर की चिंताओं को अब्‍बासी सिर्फ एक ऐसा जरिया मानते थे जो उनके देश पर दबाव बना सकता था. उन्‍होंने सीएनएन और वॉल स्‍ट्रीट जनरल के साथ काम कर चुके जर्नलिस्‍ट नाथन हॉज को 2007 में दिए इंटरव्‍यू में कहा था, 'ईरान का परमाणु मुद्दा कुछ ऐसा है जैसे तेल, दवा, कृषि. और उन्हें पता होना चाहिए कि अगर आप चाकू से संतरे का छिलका छील सकते हैं तो आप इससे किसी को भी मार सकते हैं.'  

एक कट्टरपंथी विचारधारा वाले अब्बासी 2020 से 2024 तक संसद के सदस्य थे. मई में उन्‍होंने एक इंटरव्‍यू दिया था. इसमें उनसे पूछा गया था कि वह खुशी-खुशी हथियार बनाने में मदद करेंगे? मिडिल ईस्ट मीडिया रिसर्च इंस्टीट्यूट की रिपोर्ट के अनुसार, उन्होंने ईरान के आउटलेट एसएनएन से कहा, 'अभी तक हमें परमाणु बम बनाने का आदेश नहीं मिला है. लेकिन अगर वो मुझे इसे बनाने के लिए कहते हैं, तो मैं इसे बनाऊंगा.' 

मौत के डर को टाल गए 

इसी इंटरव्‍यू में अब्‍बासी से मौत के डर के बारे में पूछा गया था और वह इस सवाल को टाल गए थे. उन्‍होंने कहा था कि परमाणु कार्यक्रम पर उनका काम युवा पीढ़ी के साथ जीवित रहेगा. जब उनसे परमाणु हथियार बनाने की समय सीमा के बारे में पूछा गया तो उनका जवाब था, 'छह महीने, एक महीना, एक साल या एक दिन, कोई समयसीमा तय करना एक गलती है. एक बार फैसला हो जाने के बाद, आपको कुछ छोटे बदलाव करने होंगे. अगर आप यूरेनियम के साथ काम करते हैं तो आपको 90 प्रतिशत एनरिच्‍ड यूरेनियम की जरूरत होगी. अब्बासी ने यह दावा भी किया था कि अगर ईरान का परमाणु बुनियादी ढांचा नष्ट हो जाता है, तो भी 'कुछ नहीं होगा'. 

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