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This Article is From Dec 08, 2021

अमेरिका के बाद अब ऑस्ट्रेलिया भी करेगा ​बीजिंग विंटर ओलिम्पिक का राजनयिक बहिष्कार

इससे पहले अमेरिका ने भी राजनयिक बहिष्कार का निर्णय लिया था. वाशिंगटन ने झिंजियांग क्षेत्र में उइगर अल्पसंख्यक के चीन के नरसंहार और अन्य मानवाधिकारों के हनन के विरोध में यह निर्णय लिया है. इस पर बीजिंग ने अमेरिका को धमकी दी थी कि उसे इसकी "कीमत चुकानी होगी".

अमेरिका के बाद अब ऑस्ट्रेलिया भी करेगा ​बीजिंग विंटर ओलिम्पिक का राजनयिक बहिष्कार
बीजिंग में फरवरी में होने जा रहे शीतकालीन ओलंपिक में ऑस्ट्रेलिया अपने अधिकारियों को नहीं भेजेगा.
सिडनी:

बीजिंग में फरवरी में होने जा रहे शीतकालीन ओलिम्पिक में ऑस्ट्रेलिया अपने अधिकारियों को नहीं भेजेगा, प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन ने बुधवार को यह जानकारी देते हुए खेलों के राजनयिक बहिष्कार में अमेरिका के साथ आने की पुष्टि की. कैनबरा का यह निर्णय चीन के साथ उन मुद्दों पर असहमति के चलते आया है, जिनके कारण 1989 के तियानमेन स्क्वायर क्रैकडाउन के बाद से ही दोनो के संबंध गंभीर संकट में हैं. मॉरिसन ने झिंजियांग में मानवाधिकारों के हनन और ऑस्ट्रेलिया के साथ बीजिंग का मंत्रिस्तरीय संपर्क बंद करने का भी हवाला दिया. मॉरिसन ने कहा, "ऑस्ट्रेलिया अपनी उस मजबूत स्थिति से पीछे नहीं हटेगा, जो हमने ऑस्ट्रेलिया के हितों के लिए खड़ी की है और जाहिर है कि यह कोई आश्चर्य की बात नहीं है कि हम ऑस्ट्रेलियाई अधिकारियों को उन खेलों में नहीं भेजेंगे."

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निर्णय, जिसने एथलीटों को 2022 ओलिम्पिक में भाग लेने से रोकने से रोक दिया, संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा अपने राजनयिक बहिष्कार की घोषणा के एक दिन बाद आया है.

इससे पहले अमेरिका ने भी राजनयिक बहिष्कार का निर्णय लिया था. वाशिंगटन ने झिंजियांग क्षेत्र में उइगर अल्पसंख्यक के चीन के नरसंहार और अन्य मानवाधिकारों के हनन के विरोध में यह निर्णय लिया है. इस पर बीजिंग ने अमेरिका को धमकी दी थी कि उसे इसकी "कीमत चुकानी होगी".

कैनबरा में चीनी दूतावास के एक प्रवक्ता ने कहा कि यह "चीन-ऑस्ट्रेलिया संबंधों में सुधार के लिए सार्वजनिक रूप से स्पष्ट की गई अपनी (कैनबरा की) उम्मीद के विपरीत है." हालांकि मानवाधिकार समूहों ने इस कदम का स्वागत किया है. ह्यूमन राइट्स वॉच चीन की निदेशक सोफी रिचर्डसन ने इसे "उइगर और अन्य तुर्किक समुदायों को लक्षित मानवता के खिलाफ चीनी सरकार के अपराधों को चुनौती देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम" बताया.

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प्रचारकों का कहना है कि कम से कम दस लाख उइगर और अन्य तुर्क-भाषी, ज्यादातर मुस्लिम अल्पसंख्यकों को शिनजियांग के शिविरों में कैद किया गया है, जहां चीन पर महिलाओं की जबरन नसबंदी करने और जबरन श्रम करवाने का भी आरोप लगाया गया है. बीजिंग ने इस्लामिक चरमपंथ की अपील को कम करने के उद्देश्य से इन शिविरों को व्यावसायिक प्रशिक्षण केंद्रों का नाम दिया है.

(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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