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4 महीने बाद 160 किमी दूर से मार: कौन सा है हमास का वो रॉकेट, जिसने इजरायल के कवच को भेद डाला

हमास द्वारा खुद तैयार किए गए आर-160 ( R-160) रॉकेट के बारे में उसका दावा है कि वह 60 किलोग्राम विस्फोटक ले जा सकता है.

4 महीने बाद 160 किमी दूर से मार: कौन सा है हमास का वो रॉकेट, जिसने इजरायल के कवच को भेद डाला
प्रतीकात्मक तस्वीर.

फिलिस्तीनी आतंकी संगठन हमास (Hamas) ने एक बार फिर से इजरायल (Israel) की राजधानी तेल अवीव पर 'बड़ा मिसाइल' हमला किया है. तेल अवीव में हमले का संकेत देने वाले एयर सायरन बजे. इजरायल के एयर डिफेंस सिस्टम ने दावा किया है कि उसने हमास के हमलों को नाकाम कर दिया है. इजरायल का एयर डिफेंस का आयरन डोम सिस्टम सबसे मजबूत माना जाता है और दावा किया जाता है कि उसे कोई नहीं भेद सकता. हालांकि हमास के पास ऐसा भी रॉकेट है जिसके इजरायल के इस मजबूत कवच को भेदने का दावा किया गया है.      

यह हमास द्वारा खुद तैयार किया गया आर-160 ( R-160) रॉकेट है. हमास का दावा है कि उसका यह हथियार 60 किलोग्राम विस्फोटक ले जा सकता है. रॉकेट गाजा पट्टी से दागे गए थे. पिछले चार महीनों से तेल अवीव में रॉकेट सायरन नहीं सुना गया था. इजरायली सेना ने सायरन का कारण तुरंत नहीं बताया है.

यह वही आर-160 रॉकेट है जो पूर्व में एक बार हमास की ओर से इजरायल को निशाना बनाकर छोड़ गया था लेकिन फेल होकर गाजा शहर में अल अहली बैपटिस्ट अस्पताल पर जा गिरा था. इस हमले का आरोप इजरायली डिफेंस फोर्स (आईडीएफ) पर लगाया गया था. हालांकि आईडीएफ इस आरोप को झूठा साबित करने में सफल हुआ था. 

हमास आतंकवादी संगठन का आर-160 रॉकेट (Rantisi 160) एक लंबी दूरी तक मार करने वाला रॉकेट है. हमास का दावा है कि रॉकेट की मारक क्षमता 160 किलोमीटर है और यह 60 किलो विस्फोटक ले जा सकता है.

यह रॉकेट पहली बार जुलाई 2014 में ऑपरेशन प्रोटेक्टिव एज के दौरान सामने आया था. यह सीरियाई एम-302 रॉकेट का मॉडिफाइड वर्जन हो सकता है, जिसकी रेंज आर-160 के बराबर है. एम-302 को आईडीएफ ने मार्च 2014 में इंटरसेप्ट किया था.

रॉकेट का नामकरण हमास के एक संस्थापक के नाम पर

रॉकेट का नामकरण किस आधार पर किया गया, यह रोचक है. इसमें "आर" (R) का उपयोग हमास के संस्थापकों में से एक अब्द अल-अजीज अल-रंतीसी के लिए किया गया है. रंतीसी को सन 2004 में इजरायली सेना ने मार डाला था. रॉकेट के नाम में जुड़े '160' के अंक का तात्पर्य निश्चित तौर पर उस अनुमानित दूरी से है जहां तक वह मार कर सकता है. 

ऑपरेशन प्रोटेक्टिव एज के दौरान उत्तरी इजरायली शहर हाइफा को निशाना बनाते हुए इस तरह के दो रॉकेट दागे गए थे. इन रॉकेटों का मलबा कई किलोमीटर दूर तक पाया गया था. तब इजरायल हमास की इस क्षमता से अनभिज्ञ था. हमास का दावा है कि उसने 11 अक्टूबर 2023 को हाइफा क्षेत्र को निशाना बनाते हुए आर-160 रॉकेट लॉन्च किए थे.
हमास के पास हथियारों का विशाल भंडार

हमास के पास हथियारों का विशाल जखीरा कोई नई बात नहीं है. वह इजरायल के खिलाफ दशकों से घातक हथियारों का इस्तेमाल करता रहा है.

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इजरायल के खिलाफ पहले इंतिफादा विद्रोह के दौरान 1980 के दशक में हमास का गठन हुआ था और बाद में सन 2007 में उसका गाजा पर नियंत्रण हो गया था. हमास तटीय फिलिस्तीनी क्षेत्र में आईडीएफ के नाकेबंदी के अनेक प्रयासों के बावजूद हथियार जुटाने में कामयाब होता रहा. इजरायल और अमेरिका ईरान पर हमास के सैन्य बल अल-कसम ब्रिगेड को हथियार हासिल करने में मदद करने का आरोप लगाते रहे हैं. हमास भी खुले तौर पर सहायता के लिए ईरान की प्रशंसा करता रहा है. 

रविवार को किए गए ताजा हमले को लेकर टेलीग्राम चैनल पर एक बयान में, अल-कसम ब्रिगेड ने कहा है कि रॉकेट नागरिकों के खिलाफ ज़ायोनी नरसंहार के जवाब में लॉन्च किए गए थे. इजरायली इमरजेंसी मेडिकल सर्विसेज ने कहा है कि उन्हें किसी के हताहत होने की कोई रिपोर्ट नहीं मिली है. 

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