अफगानिस्तान में लोकतांत्रिक तरीके से प्रथम सत्ता हस्तांतरण के तहत राष्ट्रपति हामिद करजई के उत्तराधिकारी के निर्वाचन के लिए तालिबान हिंसा के खतरे के बावजूद आज बड़ी संख्या में अफगान नागरिकों ने वोट डाला।
तालिबान की धमकी के बावजूद मतदान ज्यादातर शांतिपूर्ण रहा। देश के करीब 6000 मतदान केंद्रों पर मतदाताओं की लंबी लंबी लाइनें देखी गयी। चुनाव के सिलसिले में सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं।
तालिबान ने चुनाव को एक विदेशी साजिश बताकर उसे अस्वीकार किया था और अपने लड़ाकों से चुनावकर्मियों, मतदाताओं और सुरक्षा बलों पर हमला करने को कहा था। वैसे पूरे दिन कहीं से बड़े हमले की खबर नहीं आयी।
इंडिपेंडेंट इलेक्शन कमीशन के प्रमुख अहमद युसूफ नुरिस्तानी ने बताया कि मतदान में उम्मीदों से ज्यादा लोगों ने हिस्सा लिया। हालांकि उन्होंने कोई आंकड़ा नहीं दिया लेकिन गांवों की तुलना में शहरों में ज्यादा मतदान हुआ।
उन्होंने कहा, 'हमें खबर मिली कि कुछ क्षेत्रों में मतपत्र कम पड़ रहे हैं और हमने क्षेत्रीय एवं प्रांतीय केंद्रों को अतिरिक्त मतदान सामग्री उपलब्ध कराने को कहा।' मतदान केंद्र शाम पांच बजे बंद होने लगे, लेकिन अधिकारियों ने कहा कि जो लोग कतार में खड़े हैं उन्हें वोट डालने दिया जाएगा।
चुनाव अभियान के दौरान कई घातक हमलों का दंश झेलने वाले काबुल में मतदान केंद्रों पर हिंसा की धमकी के बावजूद सैकड़ों लोगों की भीड़ नजर आई। गृहणी लैला नियाजी ने कहा, 'मुझे तालिबान की धमकी का डर नहीं है। हमें एक दिन तो मरना ही है। मैं चाहती हूं कि मेरा वोट तालिबान के चेहरे पर एक तमाचा हो।'
गौरतलब है कि संविधान के अनुसार करजई फिर से राष्ट्रपति चुनाव में खड़े नहीं हो सकते थे। इस बार राष्ट्रपति पद के लिए पूर्व विदेश मंत्री जलमई रसूल, अब्दुल्ला अब्दुल्ला और अशरफ गनी उम्मीदवार हैं।
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