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This Article is From Oct 25, 2020

14 साल की छात्रा ने कोरोना संक्रमण से निजात दिलाने में मददगार हो सकने वाले इलाज की खोज की

अमेरिका में बसी भारतीय मूल की आठवीं कक्षा की 14 साल की एक छात्रा ने इस घातक संक्रमण से निजात दिलाने में मददगार हो सकने वाले इलाज की खोज करके बड़ी इनामी रकम जीती है.

14 साल की छात्रा ने कोरोना संक्रमण से निजात दिलाने में मददगार हो सकने वाले इलाज की खोज की
छात्रा ने कोरोना संक्रमण से निजात दिलाने में मददगार हो सकने वाले इलाज की खोज की है.
नई दिल्ली:

कोरोना वायरस (Coronavirus) के इलाज की खोज में एक ओर जहां दुनियाभर के वैज्ञानिक दिनरात मेहनत कर रहे हैं वहीं अमेरिका में बसी भारतीय मूल की आठवीं कक्षा की 14 साल की एक छात्रा ने इस घातक संक्रमण से निजात दिलाने में मददगार हो सकने वाले इलाज की खोज करके बड़ी इनामी रकम जीती है.

अमेरिका की एक प्रमुख विनिर्माण कंपनी 3एम हर वर्ष देश में माध्यमिक विद्यालय स्तर पर यंग साइंटिस्ट चैलेंज प्रतियोगिता का आयोजन करती है. इस प्रतियोगिता में देशभर के विज्ञान में रुचि रखने वाले विद्यार्थी अपनी किसी खोज अथवा आविष्कार के साथ आवेदन करते हैं. इस वर्ष इस प्रतियोगिता में चुने गए शीर्ष 10 युवा वैज्ञानिकों में अनिका भी शामिल हैं, जिन्होंने कोरोना के इलाज में मददगार तकनीक विकसित करके 25 हजार डालर का इनाम जीता है.

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टैक्सास के फ्रिस्को में रहने वाली अनिका नेल्सन मिडिल स्कूल में आठवी कक्षा में पढ़ती हैं. अपनी इस उपलब्धि पर अनिका का कहना है कि पिछले वर्ष वह ‘इन्फ्लूएंजा' के गंभीर संक्रमण का शिकार हो गई थीं. वह इस बीमारी का इलाज तलाश करने पर काम कर रही थीं. उस समय तक कोरोना वायरस के संक्रमण का दूर दूर तक कुछ अता पता नहीं था, लेकिन इस वर्ष के शुरू में कोरोना के महामारी का रूप लेने के बाद अनिका ने अपना ध्यान इसकी तरफ केंद्रित किया और ढेरों कंप्यूटर प्रोग्राम्स का इस्तेमाल करके यह पता लगाने का प्रयास किया कि वायरस को किस तरह से कमजोर किया जा सकता है.

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दुनिया को कोरोना संक्रमण से मुक्त होकर जल्द से जल्द सामान्य स्थिति में देखने की आकांक्षा रखने वाली अनिका ने बताया कि यह घातक वायरस अपने प्रोटीन के जरिए संक्रमण फैलाता है और उन्होंने इस वायरस के प्रसार के लिए जिम्मेदार प्रोटीन को निष्क्रिय करने के लिए एक मॉलिक्यूल अर्थात अणु की खोज की है. अनिका ने इन-सिलिको प्रक्रिया का इस्तेमाल कर इस मॉलिक्यूल को खोज निकाला, जो सार्स कोविड-2 वायरस के स्पाइक प्रोटीन को निष्प्रभावी कर सकता है.

अविका को उम्मीद है कि वह एक दिन मेडिकल रिसर्चर और प्रोफेसर बनेंगी. वह विज्ञान के प्रति अपनी रुचि का श्रेय अपने दादा को देती हैं. वह कहती हैं, ‘‘जब मैं छोटी थी तो मेरे दादाजी मुझे विज्ञान पढ़ने के लिए प्रेरित करते थी. वह खुद भी केमिस्ट्री के प्रोफेसर थे और उनके मार्गदर्शन में धीरे धीरे मुझे विज्ञान की पढ़ाई और इसके प्रयोगों में मजा आने लगा. इंटरनेट को शताब्दी की सबसे उपयोगी खोज बताने वाली अनिका का कहना है कि इंटरनेट की मदद से किसी भी तरह की जानकारी एकत्र की जा सकती है. इसकी वजह से ज्ञान का खजाना बस आपसे कुछ ही क्लिक के फासले पर है और किसी भी समय, कहीं भी और कैसी भी जानकारी चाहिए हो, इंटरनेट एक भरोसेमंद दोस्त की तरह आपकी मदद के लिए तैयार रहता है. आज इंटरनेट के बिना इस दुनिया की कल्पना करना भी मुश्किल है.

सुनने की क्षमता कम कर रहा है कोरोना वायरस!

(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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