100% ब्रेकथ्रू की गारंटी हैं नेहरा
यदि यह कहा जाए कि टीम इंडिया की गेंदबाजी नेहरा पर निर्भर दिख रही है, तो गलत नहीं होगा क्योंकि उनके अलावा रवींद्र जडेजा का ही इकोनॉमी रेट ही बेहतर है, लेकिन वह भी नेहरा जैसे ब्रेकथ्रू नहीं दिला पाए हैं। अब जरा इस वर्ल्ड टी-20 में उनके रिकॉर्ड पर नजर डाल लीजिए-
आशीष नेहरा ने इस टूर्नामेंट में 4 मैच खेले हैं। इस दौरान उन्होंने 15 ओवर फेंके और 4 विकेट लिए, लेकिन यह विकेट भी उन्होंने बेहद अहम मौकों पर लिए हैं। उनका बेस्ट 20 रन पर एक विकेट रहा।
इकोनॉमी रेट, जो टी-20 का तो लगता ही नहीं
नेहरा के इकोनॉमी रेट के तो क्या कहने। ऐसा लगता है जैसे कि यह टी-20 का नहीं बल्कि वनडे या मॉडर्न क्रिकेट के हिसाब से टेस्ट का है। आप खुद ही देख लीजिए: 5.93. यह रेट कम से कम टी-20 का तो नहीं लगता, क्योंकि टी-20 में यदि कोई गेंदबाज 7 रन प्रति ओवर भी दे, तो विशेषज्ञ उसे अच्छा मानते हैं। पर नेहरा ने 6 से कम का रेट रखकर कमाल कर दिया है।
अब जरा 4 मैचों में उनकी गेंदबाजी पर नजर डालिए
न्यूजीलैंड के खिलाफ : वर्ल्ड टी-20 में टीम इंडिया का यह पहला मैच था। अब जरा नेहरा के पहले ओवर पर नजर डालिए- 1-1-0-1. इसमें उन्होंने शुरुआत से ही दबाव बना लिया था और मेडन करते हुए एक विकेट लिया था, जबकि अश्विन ने पारी का पहला ओवर किया था और एक विकेट लेकर 13 रन लुटा दिए थे। नेहरा ने इस मैच में 3 ओवर में 20 रन दिए थे और एक विकेट लिया था।
पाकिस्तान के खिलाफ : पहला मैच हारने के बाद टीम इंडिया के लिए यह मैच बेहद महत्वपूर्ण था। विकेट में काफी टर्न था और गेंद बल्ले पर रुककर आ रही थी। ऐसे में पाकिस्तान को बड़ा स्कोर बनाने से रोकने की जिम्मेदारी गेंदबाजों पर थी। विकेट तेज गेंदबाजी के ज्यादा अनुकूल नहीं था, फिर भी नेहरा ने इसमें 4 ओवर में एक विकेट लेकर महज 20 रन दिए, जो 5 रन प्रति ओवर की दर से थे। इतना ही नहीं उन्होंने 17वें ओवर में शोएब मलिक का महत्वपूर्ण विकेट भी लिया, जो 16 गेंदों में 22 रन बनाकर खेल रहे थे और अंतिम ओवरों में खतरनाक साबित हो सकते थे और पाक टीम बड़ा स्कोर खड़ा कर लेती, जिसे हासिल करना मुश्किल हो जाता। उनकी गेंदों पर महज दो चौके लगे।
बांग्लादेश के खिलाफ : इस मैच में नेहरा थोड़े महंगे साबित हुए और 4 ओवर में 29 रन देकर एक विकेट लिया, जिसमें उनका इकोनॉमी रेट 7.25 रहा, लेकिन उन्होंने एक बार फिर खतरनाक दिख रहे सौम्य सरकार (21) को पैवेलियन लौटाकर बड़ी सफलता दिलाई। इस मैच में भी नेहरा ने पहले ही ओवर में लगभग सफलता दिला ही दी थी कि तमीम का कैच छूट गया।
ऑस्ट्रेलिया 'नॉकआउट' : मोहाली में खेले गए इस मैच में टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी कर रही ऑस्ट्रेलियाई टीम ने पावरप्ले के पहले छह ओवर में ताबड़तोड़ 59 रन जोड़ लिए। जसप्रीत बुमराह और अश्विन दोनों की जमकर पिटाई हुई। ऐसे में 5वें ओवर में आशीष नेहरा ने उस्मान ख़्वाजा (16 गेंद, 26 रन) का विकेट लेकर बड़ी राहत दिलाई। उन्होंने 4 ओवर में 20 रन दिए और एक विकेट लिया। इकोनॉमी रेट फिर 5.0 का रहा, उनकी गेंदों पर महज तीन चौके लगे। 18वें ओवर में उन्होंने महज 4 रन दिए।
आशीष नेहरा ने बढ़ती उम्र के बावजूद जबर्दस्त जज्बा दिखाया है (फाइल फोटो) टीम इंडिया के अन्य गेंदबाजों का प्रदर्शनअश्विन : टी-20 वर्ल्ड कप में अश्विन ने 4 मैचों में 4 विकेट लिए और उनका इकोनॉमी रेट 7.30 का रहा। उम्मीद के विपरीत उन्होंने ज्यादा रन खर्च किए हैं।
हार्दिक पांड्या : इस टूर्नामेंट में पांड्या ने 4 मैचों में 10 ओवर किए और 5 विकेट लिए। उनका बेस्ट 2/29 रहा, लेकिन वह खासे महंगे साबित हुए और 10.00 रन प्रति की दर से रन लुटाए।
रवींद्र जडेजा : टीम इंडिया की ओर से नेहरा के बाद जडेजा ही गेंदबाजी में प्रभावी रहे, लेकिन वह बल्लेबाजी में कुछ नहीं कर पाए। खास बात यह कि वह ऑलराउंडर की हैसियत से टीम में हैं। उन्होंने 4 मैच में 15 ओवर किए और 4 विकेट लिए। उनका इकोनॉमी रेट 5.86 रहा।
जसप्रीत बुमराह : इनसे काफी उम्मीदें थी, लेकिन बुमराह ने 4 मैच में 16 ओवर करते हुए 3 विकेट लिए और रन बहुत खर्च कर दिए। उनका इकोनॉमी रेट न्यूजीलैंड के खिलाफ 3.75 रहा, तो अन्य के खिलाफ 8 का रहा।
उम्र को दे रहे मात
अप्रैल, 2016 में 37 साल के होने जा रहे आशीष नेहरा की उम्र तक आते-आते अधिकांश खिलाड़ी संन्यास के बारे में सोचने लगते हैं या संन्यास ले लेते हैं, क्योंकि उनके रिफ्लेक्सेस कमजोर होने लगते हैं और वे आउट ऑफ फॉर्म हो जाते हैं। खासतौर से तेज गेंदबाजों के लिए तो यह और भी मुश्किल हो जाता है, लेकिन नेहरा ने पॉजिटिव एप्रोच अपनाई। उन्होंने हौसला बनाए रखा और अपने शानदार प्रदर्शन से चयनकर्ताओं को उन्हें टीम में रखने पर मजबूर कर दिया।
निभा रहे मेंटर की भूमिका
आशीष नेहरा खुद तो अच्छा प्रदर्शन कर ही रहे हैं, साथियों को भी प्रेरित कर रहे हैं। बांग्लादेश के खिलाफ रोमांचक को ही याद कर लीजिए, जब उन्होंने हार्दिक पांड्या को अंतिम ओवर में लगातर प्रेरित किया।
नेहरा ने स्वीकार भी किया, ‘‘मैं इसका लुत्फ उठा रहा हूं। मेरी भूमिका महत्वपूर्ण है। मैंने पिछले 16 साल में जो अनुभव हासिल किया है मैं उसे बुमराह, शमी और भुवनेश्वर कुमार तक पहुंचाता हूं। मुझे पूरा विश्वास है कि मैं उनकी मदद कर रहा हूं।’’
आईपीएल में जबर्दस्त प्रदर्शन
आईपीएल 2015 में आशीष नेहरा चेन्नई सुपर किंग्स की ओर से उतरे। कप्तान एमएस धोनी ने भी नेहरा पर भरोसा किया और उनके पुराने प्रदर्शन और काबिलियत के आधार उन्हें तेज गेंदबाजी की कमान सौंप दी। फिर क्या था उन्होंने पूरे लीग के दौरान 22 विकेट झटके। उन्हें तीन बार 'मैन ऑफ द मैच' का खिताब भी मिला। उन्होंने न केवल नई बॉल से कमाल किया, बल्कि डेथ ओवर्स में भी बल्लेबाजों को जमकर परेशान किया और उन्हें खुलकर नहीं खेलने दिया। आईपीएल 2015 में वे सबसे अधिक विकेट लेने वाले गेंदबाजों की सूची में चौथे नंबर पर रहे। उनके आईपीएल रिकॉर्ड पर नजर डालें, तो उन्होंने 74 मैच में 84 विकेट लिए हैं।
चोट से रहे परेशान, फिर भी हार नहीं मानी
नेहरा का प्रदर्शन हमेशा ही अच्छा रहा है। वे ज्यादातर चोट की वजह से बाहर हुए हैं और फिर किसी अन्य ने उनकी जगह ले ली। उनकी कमर, एंकल, अंगुली, हाथ, पसलियों सभी जगह चोट लग चुकी है। उन्होंने अपना अंतिम वनडे 2011 वर्ल्ड कप के सेमाफाइनल में पाकिस्तान के खिलाफ मोहाली में खेला था और उसमें कमाल की गेंदबाजी की थी। उस अतिमहत्वपूर्ण मैच में उन्होंने 10 ओवर में 33 रन देकर 2 विकेट लिए थे और टीम इंडिया को फाइनल में पहुंचाने में अहम भूमिका निभाई थी। हालांकि इस दौरान वे चोटिल हो गए और मुंबई में हुए फाइनल में नहीं खेल पाए।