अरविंद केजरीवाल (फाइल फोटो)
                                                                                                                        - उत्तराखंड में आप के सदस्य पार्टी छोड़ रहे हैं
 - आप के टिकट पर चुनाव लड़ चुके जनवादी कवि बल्ली सिंह चीमा ने पार्टी छोड़ी
 - आप छोड़ने वाले सदस्यों ने एक शिकायती वीडियो में अपनी बात रखी है
 
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                                                                                नई दिल्ली: 
                                        उत्तराखंड में एक के बाद एक कार्यकर्ता आम आदमी पार्टी को अलविदा कह रहे हैं. पहले उत्तराखंड प्रदेश कार्यकारिणी के अध्यक्ष अनूप नौटियाल के साथ 50 लोगों ने एक साथ पार्टी छोड़ी और इसके बाद अब जनवादी कवि और आप के टिकट पर चुनाव लड़ चुके बल्ली सिंह चीमा ने शनिवार को पार्टी से इस्तीफा दे दिया है.
चीमा ने अपनी चिट्ठी में कहा है 'अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसोदिया ईमानदार, सच्चे और अच्छे व्यक्ति होने के बावजूद पार्टी के भीतर आंतरिक लोकतन्त्र को ज़िंदा नहीं रखा पाये.'
 
चीमा ने 2014 में आप के टिकट पर नैनीताल सीट से चुनाव लड़ा था. अब सवाल उठ रहा है कि क्या उत्तराखंड में आम आदमी पार्टी के भीतर मचा घमासान अरविंद केजरीवाल और केंद्रीय नेताओं की राज्य में दिलचस्पी न लेने के कारण है?
फेसबुक पर वाइरल हो रहा एक वीडियो यही बताता है. इसमें पार्टी की राज्य इकाई के अध्यक्ष अनूप नौटियाल और 8 दूसरे नेताओं ने अरविंद केजरीवाल से शिकायत की है कि आम आदमी पार्टी के उत्तराखंड में दिलचस्पी न लेने के कारण वे लोग उकता गये हैं. अरविंद केजरीवाल अक्सर अपनी बात जनता तक पहुंचाने के लिये अपने समर्थकों को तकनीक के इस्तेमाल के नये नये तरीके बताते रहते हैं. केंद्रीय नेताओं से नाराज़ उत्तराखंड के इन कार्यकर्ताओं ने डिजिटल प्लेटफॉर्म पर यह वीडियो डालकर वही काम किया है.
अनूप नौटियाल और आप के 8 नेता इस करीब पौने तीन मिनट के वीडियो में अपना दर्द बयां कर रहे हैं कि उन्होंने अपनी नौकरी और भविष्य को छोड़कर भ्रष्टाचार के खिलाफ मुहिम का हिस्सा बनने के लिये आप में आने का फैसला लिया था लेकिन इन लोगों को निराशा ही हाथ लगी.
'आम आदमी पार्टी को उत्तराखंड के लोगों की ओर से ढेर सारी शुभकामनायें पर केजरीवाल साहब अब आप हमें माफ कीजिये. धन्यवाद. जय हिन्द. जय उत्तराखंड' इन शब्दों के साथ खत्म होने वाले वीडियो से वह असंतोष ज़ाहिर होता है जिसके बारे में उत्तराखंड में पिछले दिनों खुलकर बात होने लगी थी. राज्य के ये नेता बार बार सवाल उठा रहे थे कि आप पंजाब और गोवा में जैसी दिलचस्पी ले रही है वैसी दिलचस्पी वह उत्तराखंड में क्यों नहीं दिखा रही.
 
 अनूप नौटियाल
नौटियाल के साथ आप के 50 नेताओं ने पिछली 15 सितम्बर को एक साथ पार्टी से नाता तोड़ लिया है और इससे पहले अभी कई और लोगों के बाहर निकलने की बात की जा रही है.
अनूप नौटियाल ने कहा 'अरविंद केजरीवाल जिस तरह की राजनीति की बात करते हैं वैसी राजनीति की राज्य को सख्त ज़रूरत है. उत्तराखंड भ्रष्टाचार में अग्रणी और गवर्नेंस में बहुत पीछे है. यह सोचकर बहुत से कार्यकर्ताओं ने बड़ा बलिदान दिया और त्याग किया लेकिन अरविंद केजरीवाल यहां रुचि नहीं ले रहे हैं. उनका ध्यान गोवा और पंजाब में ही केंद्रित है.'
नौटियाल ने यह भी कहा कि पिछले दिनों उन्होंने रावत सरकार के खिलाफ भ्रष्टाचार के कई मुद्दे उठाये लेकिन केंद्रीय नेतृत्व से उन्हें सहयोग नहीं मिला. उनके मुताबिक राज्य के प्रभारी विवेक यादव का रुख उत्तराखंड के मुद्दों पर काफी ठंडा रहा है.
'उत्तराखंड पावर कॉरपोरेशन में करोड़ों के भ्रष्टाचार के मामले को हमने उठाने की कोशिश की लेकिन केंद्रीय नेतृत्व ने कोई मदद नहीं की. यह करीब 240 करोड़ की खरीद का मामला है जिसमें बिडिंग (बोली) को लेकर फर्ज़ीवाड़ा किया गया है. हमने मामले में सीबीआई जांच की मांग उठाने को कहा लेकिन विवेक यादव ने हमसे कहा कि इस मामले में राज्य की एजेंसी से ही जांच की मांग होनी चाहिये. इस बारे में मैंने तथ्यों समेत 4 पेज की एक चिट्ठी बनाकर भेजी जिसे सतर्कता विभाग को भेजा जाना था लेकिन विवेक यादव ने उसे एक पेज की कमज़ोर सी चिट्ठी में तब्दील कर दिया.'
 
 विवेक यादव
इस बारे में एनडीटीवी इंडिया की ओर से भेजे गये लिखित सवालों के विवेक यादव ने जवाब नहीं दिये. उन्होंने फोन पर सिर्फ इतना कहा कि 'इन लोगों (जो पार्टी छोड़ रहे हैं) ने पार्टी नहीं छोड़ी है. इन्हें पार्टी से निकाला गया है. इन लोगों को पार्टी ने नोटिस भी जारी किया था. अगर कोई आम आदमी पार्टी में आता है तब ख़बर नहीं बनती है लेकिन जैसे ही कोई पार्टी छोड़ता है तो मीडिया ख़बर बना देता है.'
आम आदमी पार्टी के मीडिया प्रभारी दीपक वाजपेयी ने फोन पर कहा 'उत्तराखंड पावर कॉर्पोरेशन के मामले में हमने कुछ नहीं किया यह कहना बिल्कुल गलत है. राज्य में पार्टी ने इसे पूरी ताकत से उठाया है. आम आदमी पार्टी भ्रष्टाचार के हर मामले में गंभीर है.' लेकिन उत्तराखंड में आप कार्यकर्ता इन दावों को गलत बता रहे हैं और उनका कहना है कि केंद्रीय नेतृत्व ने इस बारे में कुछ नहीं किया. बात बात पर ट्वीट करने वाले अरविंद केजरीवाल ने इन घोटालों पर आज तक कुछ नहीं बोला.
आप के कार्यकर्ता उत्तराखंड में असंतोष के लिये दिल्ली में बैठे प्रभारी को ज़िम्मेदार ठहरा रहे हैं. इस्तीफे के साथ लिखी चिट्ठी में बल्ली सिंह चीमा ने कहा है 'उत्तराखंड में दिल्ली से आये ऑब्जर्वरों की ज्यादतियां, सहप्रभारी की संविधान विरोधी कार्यशैली और तानाशाही रवैये के खिलाफ उठी कार्यकर्ताओं की जायज आवाज़ को भी दिल्ली नेतृत्व ने अनसुना कर दिया....'
जनकवि चीमा ने अपनी चिट्ठी के आखिर में लिखा है -
“भूल बैठे आप भी, अपने प्रिय संविधान को
फंस गया स्वराज भी ऑब्जर्वरों के जाल में,
जो बदलना चाहते थे पांच सालों में निज़ाम
उनको सिस्टम ने बदल कर रख दिया दो साल में”
उत्तराखंड में आम आदमी पार्टी के नेताओं की शिकायत पिछले कई महीनों से सुनाई दे रही है. पार्टी कार्यकर्ताओं को लग रहा है कि आप उत्तराखंड चुनाव न लड़कर एक बड़े अवसर को गंवा रही हैं. जबकि दिल्ली में पार्टी के एक नेता ने कहा 'हमारे पास संसाधनों की कमी है और हम पंजाब और गोवा में एक-एक रुपया जमा करके चुनाव लड़ा रहे हैं. हमें अपनी प्राथमिकतायें तय करनी हैं.'
लेकिन उत्तराखंड में पार्टी के नेता संसाधनों की कमी की बात को बहानेबाज़ी बता रहे हैं. पार्टी से किनारा कर चुके आप की राज्य इकाई के कोषाध्यक्ष रणबीर सिंह चौधरी के मुताबिक 'संसाधनों की बात करना बहानेबाज़ी है. अभी तक राज्य में कार्यकर्ता खुद ही सारे फंड का इंतज़ाम करते रहे हैं और दिल्ली भी फंड भेजती रही है. हमें केंद्र से कोई मदद नहीं मिली है. अगर पार्टी लड़ना चाहती तो उत्तराखंड की जनता पैसे की मदद के लिये तैयार है क्योंकि उसे अभी एक विकल्प चाहिये.'
अब आम आदमी पार्टी को छोड़कर इन नेताओं ने राज्य में हमारा उत्तराखंडजन मंच (HUM) बनाया है और इन लोगों को कहना है कि वह आने वाले विधानसभा चुनावों में ऐसे लोगों का साथ देंगे जो राज्य के लिये कुछ करना चाहते हैं. रणबीर सिंह चौधरी ने कहा 'राज्य में बहुत सारे लोग एक तीसरे मोर्चे का प्रयोग करते रहे हैं लेकिन प्रयोग बहुत सफल नहीं रहा. हमारे पास एक अलग आइडिया है. हम उत्तराखंड के मुद्दों पर केंद्रित राजनीति करना चाहते हैं. राज्य के बाहर बहुत सारे लोग हैं जो उत्तराखंड के लिये फिक्रमंद हैं लेकिन आम आदमी पार्टी के साथ सहज महसूस नहीं करते. वह लोग हमारे साथ आना चाहते हैं.'
                                                                        
                                    
                                चीमा ने अपनी चिट्ठी में कहा है 'अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसोदिया ईमानदार, सच्चे और अच्छे व्यक्ति होने के बावजूद पार्टी के भीतर आंतरिक लोकतन्त्र को ज़िंदा नहीं रखा पाये.'

चीमा ने 2014 में आप के टिकट पर नैनीताल सीट से चुनाव लड़ा था. अब सवाल उठ रहा है कि क्या उत्तराखंड में आम आदमी पार्टी के भीतर मचा घमासान अरविंद केजरीवाल और केंद्रीय नेताओं की राज्य में दिलचस्पी न लेने के कारण है?
फेसबुक पर वाइरल हो रहा एक वीडियो यही बताता है. इसमें पार्टी की राज्य इकाई के अध्यक्ष अनूप नौटियाल और 8 दूसरे नेताओं ने अरविंद केजरीवाल से शिकायत की है कि आम आदमी पार्टी के उत्तराखंड में दिलचस्पी न लेने के कारण वे लोग उकता गये हैं. अरविंद केजरीवाल अक्सर अपनी बात जनता तक पहुंचाने के लिये अपने समर्थकों को तकनीक के इस्तेमाल के नये नये तरीके बताते रहते हैं. केंद्रीय नेताओं से नाराज़ उत्तराखंड के इन कार्यकर्ताओं ने डिजिटल प्लेटफॉर्म पर यह वीडियो डालकर वही काम किया है.
अनूप नौटियाल और आप के 8 नेता इस करीब पौने तीन मिनट के वीडियो में अपना दर्द बयां कर रहे हैं कि उन्होंने अपनी नौकरी और भविष्य को छोड़कर भ्रष्टाचार के खिलाफ मुहिम का हिस्सा बनने के लिये आप में आने का फैसला लिया था लेकिन इन लोगों को निराशा ही हाथ लगी.
'आम आदमी पार्टी को उत्तराखंड के लोगों की ओर से ढेर सारी शुभकामनायें पर केजरीवाल साहब अब आप हमें माफ कीजिये. धन्यवाद. जय हिन्द. जय उत्तराखंड' इन शब्दों के साथ खत्म होने वाले वीडियो से वह असंतोष ज़ाहिर होता है जिसके बारे में उत्तराखंड में पिछले दिनों खुलकर बात होने लगी थी. राज्य के ये नेता बार बार सवाल उठा रहे थे कि आप पंजाब और गोवा में जैसी दिलचस्पी ले रही है वैसी दिलचस्पी वह उत्तराखंड में क्यों नहीं दिखा रही.

नौटियाल के साथ आप के 50 नेताओं ने पिछली 15 सितम्बर को एक साथ पार्टी से नाता तोड़ लिया है और इससे पहले अभी कई और लोगों के बाहर निकलने की बात की जा रही है.
अनूप नौटियाल ने कहा 'अरविंद केजरीवाल जिस तरह की राजनीति की बात करते हैं वैसी राजनीति की राज्य को सख्त ज़रूरत है. उत्तराखंड भ्रष्टाचार में अग्रणी और गवर्नेंस में बहुत पीछे है. यह सोचकर बहुत से कार्यकर्ताओं ने बड़ा बलिदान दिया और त्याग किया लेकिन अरविंद केजरीवाल यहां रुचि नहीं ले रहे हैं. उनका ध्यान गोवा और पंजाब में ही केंद्रित है.'
नौटियाल ने यह भी कहा कि पिछले दिनों उन्होंने रावत सरकार के खिलाफ भ्रष्टाचार के कई मुद्दे उठाये लेकिन केंद्रीय नेतृत्व से उन्हें सहयोग नहीं मिला. उनके मुताबिक राज्य के प्रभारी विवेक यादव का रुख उत्तराखंड के मुद्दों पर काफी ठंडा रहा है.
'उत्तराखंड पावर कॉरपोरेशन में करोड़ों के भ्रष्टाचार के मामले को हमने उठाने की कोशिश की लेकिन केंद्रीय नेतृत्व ने कोई मदद नहीं की. यह करीब 240 करोड़ की खरीद का मामला है जिसमें बिडिंग (बोली) को लेकर फर्ज़ीवाड़ा किया गया है. हमने मामले में सीबीआई जांच की मांग उठाने को कहा लेकिन विवेक यादव ने हमसे कहा कि इस मामले में राज्य की एजेंसी से ही जांच की मांग होनी चाहिये. इस बारे में मैंने तथ्यों समेत 4 पेज की एक चिट्ठी बनाकर भेजी जिसे सतर्कता विभाग को भेजा जाना था लेकिन विवेक यादव ने उसे एक पेज की कमज़ोर सी चिट्ठी में तब्दील कर दिया.'

इस बारे में एनडीटीवी इंडिया की ओर से भेजे गये लिखित सवालों के विवेक यादव ने जवाब नहीं दिये. उन्होंने फोन पर सिर्फ इतना कहा कि 'इन लोगों (जो पार्टी छोड़ रहे हैं) ने पार्टी नहीं छोड़ी है. इन्हें पार्टी से निकाला गया है. इन लोगों को पार्टी ने नोटिस भी जारी किया था. अगर कोई आम आदमी पार्टी में आता है तब ख़बर नहीं बनती है लेकिन जैसे ही कोई पार्टी छोड़ता है तो मीडिया ख़बर बना देता है.'
आम आदमी पार्टी के मीडिया प्रभारी दीपक वाजपेयी ने फोन पर कहा 'उत्तराखंड पावर कॉर्पोरेशन के मामले में हमने कुछ नहीं किया यह कहना बिल्कुल गलत है. राज्य में पार्टी ने इसे पूरी ताकत से उठाया है. आम आदमी पार्टी भ्रष्टाचार के हर मामले में गंभीर है.' लेकिन उत्तराखंड में आप कार्यकर्ता इन दावों को गलत बता रहे हैं और उनका कहना है कि केंद्रीय नेतृत्व ने इस बारे में कुछ नहीं किया. बात बात पर ट्वीट करने वाले अरविंद केजरीवाल ने इन घोटालों पर आज तक कुछ नहीं बोला.
आप के कार्यकर्ता उत्तराखंड में असंतोष के लिये दिल्ली में बैठे प्रभारी को ज़िम्मेदार ठहरा रहे हैं. इस्तीफे के साथ लिखी चिट्ठी में बल्ली सिंह चीमा ने कहा है 'उत्तराखंड में दिल्ली से आये ऑब्जर्वरों की ज्यादतियां, सहप्रभारी की संविधान विरोधी कार्यशैली और तानाशाही रवैये के खिलाफ उठी कार्यकर्ताओं की जायज आवाज़ को भी दिल्ली नेतृत्व ने अनसुना कर दिया....'
जनकवि चीमा ने अपनी चिट्ठी के आखिर में लिखा है -
“भूल बैठे आप भी, अपने प्रिय संविधान को
फंस गया स्वराज भी ऑब्जर्वरों के जाल में,
जो बदलना चाहते थे पांच सालों में निज़ाम
उनको सिस्टम ने बदल कर रख दिया दो साल में”
उत्तराखंड में आम आदमी पार्टी के नेताओं की शिकायत पिछले कई महीनों से सुनाई दे रही है. पार्टी कार्यकर्ताओं को लग रहा है कि आप उत्तराखंड चुनाव न लड़कर एक बड़े अवसर को गंवा रही हैं. जबकि दिल्ली में पार्टी के एक नेता ने कहा 'हमारे पास संसाधनों की कमी है और हम पंजाब और गोवा में एक-एक रुपया जमा करके चुनाव लड़ा रहे हैं. हमें अपनी प्राथमिकतायें तय करनी हैं.'
लेकिन उत्तराखंड में पार्टी के नेता संसाधनों की कमी की बात को बहानेबाज़ी बता रहे हैं. पार्टी से किनारा कर चुके आप की राज्य इकाई के कोषाध्यक्ष रणबीर सिंह चौधरी के मुताबिक 'संसाधनों की बात करना बहानेबाज़ी है. अभी तक राज्य में कार्यकर्ता खुद ही सारे फंड का इंतज़ाम करते रहे हैं और दिल्ली भी फंड भेजती रही है. हमें केंद्र से कोई मदद नहीं मिली है. अगर पार्टी लड़ना चाहती तो उत्तराखंड की जनता पैसे की मदद के लिये तैयार है क्योंकि उसे अभी एक विकल्प चाहिये.'
अब आम आदमी पार्टी को छोड़कर इन नेताओं ने राज्य में हमारा उत्तराखंडजन मंच (HUM) बनाया है और इन लोगों को कहना है कि वह आने वाले विधानसभा चुनावों में ऐसे लोगों का साथ देंगे जो राज्य के लिये कुछ करना चाहते हैं. रणबीर सिंह चौधरी ने कहा 'राज्य में बहुत सारे लोग एक तीसरे मोर्चे का प्रयोग करते रहे हैं लेकिन प्रयोग बहुत सफल नहीं रहा. हमारे पास एक अलग आइडिया है. हम उत्तराखंड के मुद्दों पर केंद्रित राजनीति करना चाहते हैं. राज्य के बाहर बहुत सारे लोग हैं जो उत्तराखंड के लिये फिक्रमंद हैं लेकिन आम आदमी पार्टी के साथ सहज महसूस नहीं करते. वह लोग हमारे साथ आना चाहते हैं.'
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