
- उत्तराखंड में 15 दवाइयों के सैंपल केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन की जांच में फेल.
- पूरे देश से मई-जून में लगभग 128 तरह की दवाइयों के सैंपल लिए गए थे.
- पिछले साल भी राज्य में कई दवाइयां गुणवत्ता मानकों पर खरी नहीं उतरी थीं.
उत्तराखंड में एक बार फिर से दो दर्जन से ज्यादा दवाइयों के सैंपल फेल हो गए हैं. प्रदेश में बनी 15 दवाइयां मानकों में फेल पाई गई हैं. भारत सरकार के केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (CDSCO) की जांच में पाया गया कि दवा कंपनियों की कई दवाइयां मानकों पर खरी नहीं उतरी हैं.
सीडीएससीओ ने जून 2025 की रिपोर्ट में बताया है कि मई से जून के बीच पूरे देश भर से ये सैंपल लिए गए थे. इनमें लगभग 128 तरह की दवाइयों के सैंपल थे. जांच में पाया गया कि उत्तराखंड में बनाई जा रही 15 दवाइयां मानकों के अनुरूप नहीं हैं. इनमें बुखार, शुगर, कमजोरी, एलर्जी, एंटीबायोटिक,मानसिक बीमारी और कई अन्य तरह के इलाज की दवाएं शामिल हैं.
दूसरे राज्यों में बन रहीं नकली दवाएं
उत्तराखंड के देहरादून ,हरिद्वार, रुड़की और उधम सिंह नगर में 286 दवा कंपनियां अलग-अलग प्रकार की दवाइयां बनाती हैं. जांच से पता चला कि कई कंपनियां ऐसी हैं जो उत्तराखंड के नाम से रजिस्टर्ड बताई गईं लेकिन दूसरे राज्यों में चल रही हैं. इन कंपनियों पर छापे मारे गए तो असलियत का पता चला. कई कंपनियां उत्तराखंड में रजिस्टर्ड नहीं हैं, फिर भी उत्तराखंड के नाम से दूसरे राज्यों में नकली दवाइयां बना रही थीं.
पहले भी फेल होते रहे हैं सैंपल
ऐसा नहीं है कि उत्तराखंड में पहली बार दवाइयां मानकों के उलट मिली हैं. इससे पहले पिछले साल दिसंबर से लेकर इस साल अप्रैल तक भी कई दवाइयां गुणवत्ता पर खरी नहीं उतरी थीं. इतना ही नहीं, राज्य में पिछले बीते समय में नकली दवाईयों की खेप भी पकड़ी गई है.
राज्य में 2023-24 में दवाओं के 497 सैंपल लिए गए थे. इनमें 403 सैंपल स्टैंडर्ड पाए गए और 94 सैंपल मानकों के अनुरूप नहीं थे. साल 2024-25 में 528 सैंपल लिए गए थे. इनमें से 465 सैंपल स्टैंडर्ड मिले और 63 सैंपल मानकों पर खरे नहीं उतरे.
अपर आयुक्त ने क्या कहा?
दवाइयों के सैंपल फेल होने पर राज्य के अपर आयुक्त (औषधि नियंत्रक) ताजवर सिंह ने कहा कि राज्य में दवा कंपनियां के लिए साफ निर्देश हैं कि दवाइयां मानकों पर खरी नहीं उतरीं तो कड़ी कार्रवाई की जाएगी. लाइसेंस भी रद्द किया जा सकता है. उन्होंने बताया कि गुणवत्ता कायम रखने के लिए राज्य के ड्रग इंस्पेक्टर समय-समय पर दवा कंपनियों में जाकर इंस्पेक्शन करते रहते हैं. मेडिकल स्टोर में बिकने वाली दवाइयां के सैंपल लेकर भी जांच की जाती है.
अपर आयुक्त (औषधि नियंत्रक) ताजवर सिंह ने बताया कि केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) ने अपनी वेबसाइट पर दवाओं के अलर्ट्स डाले हैं. जिन कंपनियों की दवाइयां मानकों के विपरीत हैं, उन्हें 28 दिन का समय दिया जाता है ताकि वे अपनी दवाइयों को सही साबित कर सकें.
क्यों फेल होती हैं दवाएं?
बहुत सी कंपनियों की दवाएं अक्सर मानकों पर इसलिए फेल हो जाती हैं क्योंकि उन पर बैच नंबर, मैन्यूफैक्चरिंग, एक्सपायरी डेट, कंपनी का नाम-पता, मार्केटिंग कंपनी का पता साफ-साफ नहीं लिखा होता. इसके अलावा दवाओं पर ये लिखा होना भी जरूरी है कि वह कितने मिलीग्राम की है, उसकी डोज क्या है, क्या सावधानी रखी जानी चाहिए. कंपनी के लाइसेंस की पूरी जानकारी भी दवाई पर लिखी होनी चहिए.
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