- रायबरेली पुलिस ने कफ सिरप के फर्जी बिल बनाकर ऊंचे दाम में बेचने वाले प्रियांशु गौतम को गिरफ्तार कर लिया है.
- प्रियांशु ने पूछताछ में स्वीकार किया कि उसने दिवाकर सिंह के साथ मिलकर फर्जी बिल बनाकर कारोबार किया.
- दूसरी और इलाहाबाद HC ने मुख्य आरोपी शुभम अग्रवाल समेत सभी आरोपियों की याचिकाएं खारिज कर दीं.
उत्तर प्रदेश के बहुचर्चित कफ सिरप मामले में एक और गिरफ्तारी हुई है. रायबरेली पुलिस ने एक आरोपी प्रियांशु गौतम को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है. प्रियांशु के खिलाफ कोडीन युक्त कफ सीरप के फर्जी बिल तैयार कराकर ऊंचे दाम में बेचने का आरोप था. अभी हाल ही में रायबरेली पुलिस ने कोडीन युक्त कफ सीरप की अवैध सप्लाई के आरोपी अजय फार्मा के संचालक दिवाकर सिंह को गिरफ्तार किया था. आज एक और आरोपी प्रियांशु गौतम को पुलिस ने गिरफ्तार किया है.
पूछताछ में आरोपी प्रियांशु गौतम ने स्वीकार किया कि उसकी मेडिसिन हाउस के नाम से दुकान है. वह अजय फार्मा के संचालक दिवाकर सिंह की बातों में आ गया और दोनों ने मिलकर कोडिंग युक्त कफ सिरप के फर्जी बिल बनाकर उसे ऊंचे दाम में बेचा और पैसे कमाए. जब उसकी दुकान पर ड्रग इंस्पेक्टर की टीम पहुंची तो उसे पहले से पता चल गया और वो दुकान बंद करके वहां से भाग गया था.
मुख्य आरोपी शुभम अग्रवाल की याचिका खारिज
दूसरी और इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मुख्य आरोपी शुभम अग्रवाल समेत सभी आरोपियों द्वारा दाखिल की गई एफआईआर रद्द कराने और गिरफ्तारी पर रोक लगाने की मांग वाली अर्जी खारिज कर दी. शुक्रवार को दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आरोपियों की गिरफ्तारी पर रोक से इनकार कर दिया है. इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने ऐसे मामलों में एनडीपीएस एक्ट के तहत मुकदमा चलाए जाने को पूरी तरह सही ठहराते हुए 22 मामलों में आरोपियों की रिट याचिकाओं को खारिज कर दिया है.
इसके साथ ही कोर्ट ने 22 मामलों में आरोपियों द्वारा अरेस्ट स्टे की रिट याचिकाओं को भी खारिज कर दिया है. कोर्ट के इस फैसले को योगी सरकार की सख्त ड्रग नीति और कोर्ट में प्रभावी पैरवी की बड़ी जीत के रूप में देखा जा रहा है. इलाहाबाद उच्च न्यायालय में कोडीनयुक्त सिरप के कुल 22 मामलों में एनडीपीएस एक्ट के तहत कार्रवाई न किए जाने की मांग को लेकर रिट याचिकाएं दायर की गई थीं. इन याचिकाओं में यह तर्क दिया गया था कि कोडीनयुक्त कफ सिरप पर एनडीपीएस एक्ट की धाराएं लागू नहीं होतीं और इस आधार पर इनके खिलाफ दर्ज मुकदमों को रद्द किया जाए.
साथ ही कई याचिकाकर्ताओं ने गिरफ्तारी पर रोक (अरेस्ट स्टे) की भी मांग की थी, लेकिन कोर्ट ने सभी तर्कों को सिरे से खारिज कर दिया. इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने स्पष्ट कहा कि यदि कोडीनयुक्त सिरप का इस्तेमाल या भंडारण अवैध रूप से, बिना वैध लाइसेंस और निर्धारित मानकों के बाहर किया जाता है, तो वह एनडीपीएस एक्ट के दायरे में आता है और उस पर सख्त कार्रवाई पूरी तरह वैध है.
इन 22 मामलों में शुभम जायसवाल और आसिफ मोहम्मद के खिलाफ दर्ज दो अलग-अलग मामले भी शामिल थे. इन आरोपियों ने न केवल एनडीपीएस एक्ट के तहत मुकदमा चलाए जाने को चुनौती दी थी, बल्कि अपनी गिरफ्तारी पर रोक लगाने के लिए भी हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था.
हाईकोर्ट ने उनकी अरेस्ट स्टे से जुड़ी रिट याचिकाओं को भी खारिज कर दिया, जिससे अब उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई का रास्ता पूरी तरह साफ हो गया है.
सरकारी पक्ष ने यह भी बताया कि कफ सिरप की आड़ में नशे का अवैध कारोबार किया जा रहा है, जिससे समाज और युवाओं पर गंभीर दुष्प्रभाव पड़ रहा है. ऐसे मामलों में यदि एनडीपीएस एक्ट जैसी कड़ी कानूनी धाराएं लागू न की जाएं, तो नशे के नेटवर्क को तोड़ना मुश्किल हो जाएगा. हाईकोर्ट ने अपने आदेश में एफएसडीए (फूड सेफ्टी एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन) और पुलिस एसटीएफ द्वारा प्रस्तुत किए गए साक्ष्यों को भी महत्वपूर्ण माना.
रिपोर्टर- फ़ैज़ अब्बास
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