उत्तराखंड में धर्मांतरण विरोधी विधेयक का संतों ने किया स्वागत

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने विधेयक पारित होने को महत्वपूर्ण उपलब्धि बताते हुए कहा कि धर्मांतरण पर रोक के लिए बने कठोर कानून को प्रदेश में दृढ़ता से लागू किया जाएगा.

उत्तराखंड में धर्मांतरण विरोधी विधेयक का संतों ने किया स्वागत

(प्रतीकात्मक तस्वीर)

देहरादून:

उत्तराखंड में कठोर प्रावधानों वाला जबरन धर्मांतरण विरोधी विधेयक पारित होने का स्वागत करते हुए प्रमुख साधु-संतों ने अन्य राज्यों को भी इसका अनुसरण करने को कहा है. अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष स्वामी रविंद्र पुरी ने कहा कि धामी ने धर्मांतरण विरोधी विधेयक पारित कराके एक ऐतिहासिक काम किया है. उन्होंने कहा, ‘‘अन्य सरकारों को भी ऐसा ही कानून अपने राज्यों में बनाना चाहिए.''

जूना अखाड़े के महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरि ने कहा कि धर्मांतरण आत्मा का व्यापार व अमानवीयता की पराकाष्ठा है और धर्मांतरण के विरुद्ध प्रभावी कानून बनाकर उसे रोकने के लिए उत्तराखंड के मुख्यमंत्री के प्रयास सराहनीय हैं. 

उन्होंने कहा, ‘‘बलात और हठात, भय, लोभ, छल-कपट या प्रपंच द्वारा धर्मांतरण व्यक्ति की निजता, स्वतंत्रता और स्वछंदता पर प्रहार है जिसके खिलाफ मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने शंखनाद किया है. इसके लिए सरकार बधाई की पात्र है.''

जगतगुरु शंकराचार्य और अयोध्या में श्रीराम मंदिर निर्माण के लिए बनाए गए श्रीरामजन्म भूमि तीर्थ क्षेत्र के ट्रस्टी स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती महाराज ने कहा कि उत्तराखंड सरकार ने बलात धर्मांतरण पर प्रतिबंध लगा दिया है जो प्रदेश, देश और समाज के लिए हितकारी है.

हिंदू धर्म प्रचारक और विश्व हिंदू परिषद की नेता साध्वी प्राची ने कहा कि धामी ने जबरन धर्मांतरण कराने वालों को 10 साल की सजा वाला विधेयक पारित कर एक बहुत अच्छी पहल की है. राज्य विधानसभा में बुधवार को पारित उत्तराखंड धर्म स्वतंत्रता (संशोधन) विधेयक-2022 में जबरन धर्म परिवर्तन के दोषियों के लिए 10 साल तक की सजा का सख्त प्रावधान किया गया है.

विधेयक में विधि विरुद्ध धर्म परिवर्तन को संज्ञेय और गैरजमानती अपराध बनाते हुए इसके दोषी के लिए न्यूनतम तीन साल से लेकर अधिकतम 10 साल तक के कारावास का प्रावधान है. 

इसके अलावा, इसके तहत दोषी पाये जाने पर कम से कम 50 हजार रुपये के जुर्माने का भी प्रावधान किया गया है. विधेयक के तहत अपराध करने वाले को कम से कम पांच लाख रुपये की मुआवजा राशि का भुगतान करना पड़ सकता है जो पीडि़त को देय होगा.

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने विधेयक पारित होने को महत्वपूर्ण उपलब्धि बताते हुए कहा कि धर्मांतरण पर रोक के लिए बने कठोर कानून को प्रदेश में दृढ़ता से लागू किया जाएगा.

देवभूमि उत्तराखंड में धर्मांतरण जैसी चीजों को 'बहुत घातक' बताते हुए धामी ने कहा, ‘‘सरकार ने यह निर्णय लिया था कि प्रदेश में धर्मांतरण पर रोक के लिए कठोर से कठोर कानून बने। इस कानून को पूरी दृढ़ता से प्रदेश में लागू किया जाएगा.''

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(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)