नई दिल्ली:
सेना ने मंगलवार को कहा कि उत्तराखंड के चौबटिया के जंगल में आतंकवाद निरोधक और आतंकवाद के खिलाफ अभियान पर केंद्रित दो सप्ताह चलने वाला भारत-अमेरिका संयुक्त सैन्य अभ्यास बहुत सफल रहा.
मंगलवार को समाप्त होने वाला अभ्यास ‘युद्ध अभ्यास..2016’ दोनों रणनीतिक साझेदारों द्वारा समग्र रक्षा सहयोग बढ़ाने के प्रयासों के तहत संचालित किया गया. इस अभ्यास में भारतीय सेना की एक इंफेंट्री बटालियन के एक कंपनी ग्रुप और अमेरिकी सेना की 20वीं इंफेंट्री रेजीमेंट की पांचवीं बटालियन ने हिस्सा लिया.
अभ्यास समाप्त होने पर अमेरिकी सेना के मेजर जनरल थॉमस जेम्स ने कहा कि भारत और अमेरिका की सेनाओं के बीच संबंध इससे पहले कभी इतने मजबूत नहीं रहे हैं और इस अभ्यास से परस्पर कार्यक्षमता बढ़ाने में काफी मदद मिली. सेना ने कहा कि संयुक्त अभ्यास ‘निश्चित तौर पर’ अभूतपूर्व रूप से सफल रहा. यह अभ्यास युद्ध अभ्यास सीरीज का 12वां था जिसकी शुरुआत 2004 में अमेरिका सेना के प्रशांत साझेदारी कार्यक्रम के तहत हुई थी. इसमें अमेरिकी सेना के करीब 225 कर्मियों और भारतीय सेना के इतनी ही संख्या में जवानों ने हिस्सा लिया.
पिछले कुछ वर्षों में दोनों देशों ने संयुक्त अभ्यास के कार्यक्षेत्र और तत्व को उत्तरोत्तर रूप से बढ़ाने का निर्णय किया. इस अभ्यास ने दोनों देशों के कर्मियों को विशेष तौर पर पर्वतीय क्षेत्रों में आतंकवाद निरोधक और आतंकवाद के खिलाफ अभियान में अपने अनुभव साझा करने का एक आदर्श मंच प्रदान किया. मेजर जनरल आर के रैना ने अपने संबोधन में कहा कि दोनों देश ‘विभाजनकारी’ चरमपंथी और अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी ताकतों की ओर से एक जैसी चुनौतियों का सामना कर रहे हैं तथा जो तालमेल हासिल हुआ वह दोनों पक्षों को जरूरत पड़ने पर साथ काम करने के लिए सक्षम बनाएगा.’
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
मंगलवार को समाप्त होने वाला अभ्यास ‘युद्ध अभ्यास..2016’ दोनों रणनीतिक साझेदारों द्वारा समग्र रक्षा सहयोग बढ़ाने के प्रयासों के तहत संचालित किया गया. इस अभ्यास में भारतीय सेना की एक इंफेंट्री बटालियन के एक कंपनी ग्रुप और अमेरिकी सेना की 20वीं इंफेंट्री रेजीमेंट की पांचवीं बटालियन ने हिस्सा लिया.
अभ्यास समाप्त होने पर अमेरिकी सेना के मेजर जनरल थॉमस जेम्स ने कहा कि भारत और अमेरिका की सेनाओं के बीच संबंध इससे पहले कभी इतने मजबूत नहीं रहे हैं और इस अभ्यास से परस्पर कार्यक्षमता बढ़ाने में काफी मदद मिली. सेना ने कहा कि संयुक्त अभ्यास ‘निश्चित तौर पर’ अभूतपूर्व रूप से सफल रहा. यह अभ्यास युद्ध अभ्यास सीरीज का 12वां था जिसकी शुरुआत 2004 में अमेरिका सेना के प्रशांत साझेदारी कार्यक्रम के तहत हुई थी. इसमें अमेरिकी सेना के करीब 225 कर्मियों और भारतीय सेना के इतनी ही संख्या में जवानों ने हिस्सा लिया.
पिछले कुछ वर्षों में दोनों देशों ने संयुक्त अभ्यास के कार्यक्षेत्र और तत्व को उत्तरोत्तर रूप से बढ़ाने का निर्णय किया. इस अभ्यास ने दोनों देशों के कर्मियों को विशेष तौर पर पर्वतीय क्षेत्रों में आतंकवाद निरोधक और आतंकवाद के खिलाफ अभियान में अपने अनुभव साझा करने का एक आदर्श मंच प्रदान किया. मेजर जनरल आर के रैना ने अपने संबोधन में कहा कि दोनों देश ‘विभाजनकारी’ चरमपंथी और अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी ताकतों की ओर से एक जैसी चुनौतियों का सामना कर रहे हैं तथा जो तालमेल हासिल हुआ वह दोनों पक्षों को जरूरत पड़ने पर साथ काम करने के लिए सक्षम बनाएगा.’
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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