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This Article is From Dec 21, 2018

Flashback 2018: यूपी में योगी आदित्यनाथ के शासनकाल में हुईं 7 घटनाएं, जिन्होंने देश को झकझोर दिया

यूपी में वर्ष 2018 में सात ऐसी घटनाएं हुईं, जिन्होंने योगी आदित्यनाथ सरकार(Yogi Adityanath Govt) में कानून-व्यवस्था को न केवल कटघरे में खड़ा किया, बल्कि पूरे देश को भी झकझोर दिया.

Flashback 2018: यूपी में योगी आदित्यनाथ के शासनकाल में हुईं 7 घटनाएं, जिन्होंने देश को झकझोर दिया
पीएम मोदी के साथ योगी आदित्यनाथ की फाइल फोटो.
  • वर्ष 2018 में यूपी में हुई सात घटनाओं ने देख को झकझोरा
  • कहीं भीड़ ने इंस्पेक्टर को मारा तो कहीं आम इंसान को
  • कहीं पुलिस ने गोली मारकर आम आदमी को उतारा मौत के घाट
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नई दिल्ली:

कानून-व्यवस्था के मुद्दे पर समाजवादी पार्टी को बुरी तरह घेरकर सत्ता में आई बीजेपी(BJP) भी भयमुक्त शासन फिलहाल नहीं दे सकी है. वर्ष 2018 में ऐसी कई बड़ी घटनाएं हुईं, जिन्होंने योगी आदित्यनाथ सरकार(Yogi Adityanath government) को कटघरे में खड़ा  किया. कहीं सत्ताधारी दल के विधायक नाबालिग लड़की से बलात्कार में फंसे तो शिकायतकर्ता पिता की ही उल्टे पीट-पीटकर हत्या हो गई. कहीं एक इंस्पेक्टर को भीड़ ने सरेआम मार दिया तो कहीं थाने में एक गरीब रिक्शा चालक की पीट-पीटकर कथित हत्या का मामला सामने आया. रोती-बिलखती बेटियों को झकझोर देने वाला वीडियो वायरल हुआ तो मामले ने सबको झकझोर दिया. वर्ष 2018 की शुरुआत में गणतंत्र दिवस भी सांप्रदायिक हिंसा से अछूता नहीं रहा, जब तिरंगा यात्रा के दौरान एक युवक की जान चली गई. वर्ष 2018 की विदाई में कुछ ही दिन शेष बचे हैं. इसी बहाने आइए जानते हैं यूपी की जनवरी से लेकर अब तक की उन घटनाओं के बारे में, जिन्होंने पूरे देश को हिला दिया. 

बुलंदशहर हिंसा में इंस्पेक्टर की मॉब लिंचिंग
उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर में दिसंबर के पहले हफ्ते में गोकशी के शक में हिंसा भड़क उठी. जिसमें इंस्पेक्टर सुबोध सिंह ही भीड़ ने हत्या कर दी. घटना में बजरंग दल से जुड़े योगेश राज का हाथ सामने आया.  वह अब भी फरार है. जबकि दूसरे आरोपी विशाल त्यागी  ने कोर्ट में सरेंडर कर दिया. त्यागी को बाद में 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेजा दिया गया. इस तरह इस मामले में अब 18 लोगों की गिरफ्तारी हो चुकी है. लेकिन मुख्य आरोपी बजरंग दल के नेता योगेश राज को पुलिस अभी तक नहीं ढूंढ़ पाई है.बुलंदशहर जिले के एक गांव में कथित रूप से गायों के अवशेष मिलने के बाद करीब 400 लोगों की भीड़ इकट्ठा हो गई थी. भीड़ को जब समझाने पुलिस पहुंची तो उसने पुलिस पर ही हमला कर दिया. इसके बाद भड़की हिंसा में एक पुलिस इंस्पेक्टर और एक नागरिक की मौत हो गई. घटना के दो सप्ताह बाद भी पुलिस अभी मुख्य आरोपी योगेश राज की तलाश कर रही है. 

उन्नाव बलात्कार कांड और पीड़िता के पिता की हत्या
अप्रैल में इस घटना ने देश में तूफान ला दिया. जब उन्नाव से बीजेपी के विधायक कुलदीप सिंह सेंगर पर नाबालिक छात्रा ने बलात्कार का आरोप लगाया. शिकायत करने पर बाद में लड़की के पिता को बेरहमी से पीटकर मौत के घाट उतार दिया गया. यह घटना तब सामने आई जब सीएम योगी आदित्यनाथ के घर के सामने लड़की ने आग लगाकर आत्महत्या करने की कोशिश की. केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने उन्नाव बलात्कार मामले की पीड़िता के पिता की हिरासत में मौत के सिलसिले में भाजपा विधायक कुलदीप सिंह सेंगर के भाई और चार अन्य के खिलाफ आज अपना पहला आरोप पत्र दायर किया .  बलात्कार करने के आरोप में भाजपा विधायक जेल में हैं. जांच एजेंसी ने विधायक के भाई जयदीप सिंह उर्फ अतुल सिंह सेंगर, उसके साथी विनीत मिश्रा उर्फ विनय मिश्रा, बीरेंद्र सिंह उर्फ बऊवा, रामशरण सिंह उर्फ सोनू सिंह और शशि प्रताप सिंह उर्फ सुमन सिंह के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया है.  सभी राज्य के उन्नाव जिले के माखी गांव के निवासी हैं. सीबीआई के एक प्रवक्ता ने दिल्ली में बताया कि एजेंसी ने आरोपी पर हत्या और अन्य संबंधित अपराधों के आरोप लगाए हैं. सत्तरह साल की लड़की ने आरोप लगाया था कि भाजपा विधायक कुलदीप सिंह सेंगर ने अपने आवास पर पिछले साल उससे उस वक्त बलात्कार किया जब वह नौकरी मांगने के लिये अपने एक रिश्तेदार के साथ वहां गई थी. वह न्याय पाने के लिये दर-दर भटक रही थी और उसने पुलिस पर निष्क्रियता का आरोप लगाते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के आवास के सामने आत्मदाह करने का प्रयास भी किया था.

हापुड़ का चर्चित मॉब लिंचिंग केस
इसी साल 18 जून को उत्तर प्रदेश के हापुड़ में एक शख्स पर भीड़ के हमले का मोबाइल वीडियो वायरल हो गया. वीडियो में 45 साल के एक मीट कारोबारी क़ासिम क़ुरैशी को बुरी तरह पीटा गया, जिससे बाद में उसकी मौत हो गई. भीड़ ने 65 साल के समीउद्दीन को भी मारा, इस दौरान कई बार उसकी दाढ़ी खींची और गाय को मारने का आरोप लगाते हुए गालियां भी दीं. इस मामले में पुलिस ने नौ लोगों को गिरफ़्तार किया. उन पर दंगा करने, हत्या की कोशिश और हत्या के आरोप लगाए गए. इतने गंभीर आरोपों के बावजूद इन नौ आरोपियों में से चार ज़मानत पर बाहर हैं. इस मामले में पुलिस की जांच में NDTV को कई खामियां नज़र आईं. सबसे बड़ी ये कि पुलिस FIR में इसे रोड रेज का मामला बताया गया जबकि वीडियो सबूत कुछ और कह रहे हैं. आरोपी और पीड़ित दोनों ही पक्षों का कहना है कि ये हमला गाय मारने को लेकर हुआ. मुख्य आरोपियों में से एक को तो इस मामले में अपनी भूमिका पर कोई पछतावा नहीं है.

छात्रा को जिंदा फूंक दिया

उत्तर प्रदेश के आगरा जिले के मलपुरा क्षेत्र के गांव लालऊ में हाईस्कूल की छात्रा को जिंदा जला देन की घटना सामने आई है. खबरों के मुताबिक, बदमाशों ने  घर के पास छात्रा पर पेट्रोल डालकर आग लगा दी. घटना उस वक्त हुई, जब छात्रा स्कूल से घर लौट रही थी. 15 वर्षीय छात्रा ने  सफदरजंग अस्पताल में गुरुवार को दम तोड़ दिया. पुलिस के मुताबिक लड़की को पहले आगरा के एस एन मेडिकल कॉलेज में ले जाया गया था, बाद में हालत गंभीर देखकर नई दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल भेज दिया गया था. 

कासगंज हिंसा
26 जनवरी को गणतंत्र दिवस के मौके पर यूपी का कासगंज कस्बा हिंसा की आग में तप उठा. दरअसल, कासगंज में गणतंत्र दिवस के मौक़े पर निकाली जा रही तिरंगा यात्रा के दौरान दूसरे समुदाय से हुई झड़प के दौरान हिंसा भड़क उठी थी. इस दौरान गोली लगने से चंदन गुप्ता नामक युवक की मौत हो गई थी. जिसके बाद आक्रोशित भीड़  कस्बे में आगजनी पर उतर आई. करीब तीन दिन तक कस्बे में हिंसा चली. दोनों तरफ से 112 आरोपियों को पुलिस ने गिरफ्तार किया था. 

विवेक तिवारी हत्याकांड
उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में  27 सितंबर की रात एक पुलिस कॉन्स्टेबल की गोली से 38 साल के विवेक तिवारी की मौत हो गई. वह ऐप्पल के एरिया मैनेजर थे. पुलिसकर्मी ने सिर्फ इस बात पर गोली मार दी थी क्योंकि चेकिंग के दौरान उसने अपनी SUV कार रोकने से पर इनकार कर दिया था. घटना रात के 1.30 बजे लखनऊ के गोमती नगर एक्सटेंशन इलाके की थी. गोली लगने के बाद उसे अस्पताल ले जाया गया, जहां उसकी मौत हो गई. इस घटना के बाद दोनों पुलिसकर्मियों को बर्खास्त कर जेल में डाल दिया गया. हालांकि इस दौरान कुछ पुलिसकर्मियों ने इसे गलत बताकर विरोध भी जताया था. 

थाने में पिटाई से एक पिता की मौत
यूपी के भदोही जिले के गोपीगंज के थाने में जून में एक ऐसी घटना हुई, जिसने सबको हिला दिया. पुलिस एक विवाद के मामले में फूलबाग निवासी 46 वर्षीय ऑटो चालक रामजी मिश्र को पकड़कर थाने लाई थी. लॉकअप में रामजी मिश्रा की मौत हो गई. बेटी दीपाली मिश्रा ने पुलिस पर पर पीट-पीटकर मार डालने का आरोप लगाया. रोती-बिलखती बेटियों का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ तो देश भर का ध्यान इस तरफ गया. पुलिस इस मामले में लीपापोती की कोशिश कर रही थी, मगर मामला सुर्खियों में आने पर बाद में भदोही के एसएसपी सचिंद्र पटेल का ट्रांसफर हुआ. 

वीडियो- हापुड़ लिंचिंग पर सुप्रीम कोर्ट ने मांगी रिपोर्ट 

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