इलाहाबाद हाईकोर्ट ने भारत में अवैध तरीके से रह रहे चीनी नागरिक को जमानत देने से इंकार कर दिया है. चीनी नागरिक को नोएडा की बीटा 2 थाने की पुलिस द्वारा जून 2022 में उसकी गर्लफ्रेंड के साथ नकली पासपोर्ट और निकली आधार कार्ड के साथ गिरफ्तार किया गया था. चीनी नागरिक कोविड 19 में भारत आया था लेकिन वीजा अवधि खत्म होने के बावजूद भारत में अवैध तरीके से रह रहा था. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने चीनी नागरिक की जमानत अर्जी पर टिप्पणी करते हुए उसकी जमानत याचिका को नामंजूर कर दिया और कहा कि कोर्ट साक्ष्य अधिनियम (Evidence Act) की धारा 57(11) के अधिदेश की अनदेखी करके भारत और चीन के बीच संबंधों को नज़रअंदाज़ नहीं कर सकती और संभावना है कि यदि आवेदक को ज़मानत पर रिहा कर दिया जाता है तो वह अवैध रूप से देश छोड़ सकता है क्योंकि एक अन्य सह-आरोपी इस मामले में पहले ही देश छोड़ चुका है और अभी भी लापता है.
कोर्ट ने चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि एक और तथ्य यह भी है कि भारत और चीन के बीच कोई प्रत्यर्पण संधि (Extradition Treaty) नहीं है. इसलिए अगर आवेदक अवैध रूप से देश छोड़ देता है तो उसे न्याय के दायरे में वापस लाना संभव नहीं होगा. कोर्ट ने इन तथ्यों के साथ चीनी नागरिक की जमानत अर्जी को खारिज कर दिया. यह आदेश जस्टिस अरुण कुमार सिंह देशवाल की सिंगल बेंच ने सु फाई उर्फ कोई की जमानत अर्जी को नामंजूर करते हुए दिया है. आवेदक Xue Fei@ Koei ने अपने खिलाफ जून 2022 में नोएडा में दर्ज मामले में जमानत के लिए इलाहाबाद हाईकोर्ट से गुहार लगाते हुए जनवरी 2023 में जमानत याचिका दायर की थी. आवेदक और उसकी महिला मित्र पेटखे रेनूओ (Petekhrienuo) के खिलाफ 14 जून 2022 को नोएडा के बीटा 2 थाने में एसआई प्रमोद कुमार ने आईपीसी की धारा 419, 420, 467, 468, 471, 120B, 201 और विदेशी अधिनियम (Foreigners Act) की धारा 14(A), 14(B), 14(C), 14AB, 14C और आईटी एक्ट की धारा 66D में एफआईआर दर्ज कराई थी.
मामले के अनुसार नेपाल के रास्ते भारत में अवैध तरीके से प्रवेश करते समय दो चीनी नागरिकों युयान हेयांग और लू लोंग को पुलिस ने गिरफ्तार किया था और उनसे मिली जानकारी के आधार पर आवेदक को गिरफ्तार किया गया था. चीन के नागरिक सु फाई ने युआन हैंलोंग निवासी डुबेई किस्चेंग ज्हेंग्जी बुहान और लूलांग निवासी रेनही रोड होगेशन बुहान (दोनों चीन) से काठमांडू नेपाल के रास्ते से भारत में अवैध रूप से एंट्री कराई थी. उसके बाद पुलिस टीम नोएडा के फ्लैट संख्या 401, जे.पी. ग्रीन्स सोसाइटी पहुंची जहां पर आवेदक रह रहा था और तलाशी के दौरान आवेदक का एक जाली पासपोर्ट और आधार कार्ड भी बरामद किया गया था जो लाक्पा शेरपा (Lakpa Sherpa) के नाम से था. यह भी पाया गया था कि आवेदक ने अपने वीज़ा ई-एफआरआरओ रिपोर्ट (Foreigners Regional Registration Office) में जालसाजी करके इसकी वैधता 2020 से 2022 तक बढ़ा दी थी.
हालांकि आवेदक चीनी नागरिक की वीज़ा की वैधता साल 2020 में ही समाप्त हो गई थी. यह भी पाया गया कि नोएडा की सोसाइटी में फ्लैट संख्या 401 को एचटीजेडएन प्राइवेट लिमिटेड (HTZN Pvt. Ltd) और उसके मालिक के बीच हुए एक समझौते के माध्यम से इस जाली दस्तावेज़ के आधार पर किराए पर लिया गया था. इसके बाद पुलिस ने आवेदक से पूछताछ के आधार पर गुड़गांव स्थित ताज होटल के रुम नंबर संख्या 815 की भी तलाशी ली थी जहां से चीनी नागरिक पेटे लिरिनुओ पेटे के कई जाली आधार कार्ड और अन्य आपत्तिजनक सामग्री भी बरामद की गई. सह-आरोपी पेटे ने यह भी बताया कि वो आवेदक की मित्र है और उसने आवेदक के कहने पर एक चीनी व्यक्ति के लिए सिम कार्ड और जाली आधार कार्ड भी खरीदे थे. इस बरामदगी के आधार पर पुलिस ने नोएडा में 14 जून 2022 को मामला दर्ज किया था.
जांच के दौरान पुलिस ने नोएडा के सेक्टर 63 स्थित डी 247/24 सहित कई स्थानों पर तलाशी ली जहां एचटीजेडएन टेक्नोलॉजी प्राइवेट लिमिटेड की एक फैक्ट्री भी मिली और रवि कुमार नटवरलाल उस कंपनी के निदेशक था. वह स्थान भी तियानशांग रेंजियन प्राइवेट लिमिटेड के नाम पर पंजीकृत था. जहां HTZN कंपनी के निदेशक रवि कुमार ने यह भी बताया कि आधिकारिक तौर पर वह HTZN टेक्नोलॉजी प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक था लेकिन इसे आवेदक और ज़ोनसन द्वारा चलाया जा रहा है. रवि कुमार ने पुलिस को बताया कि आवेदक और अन्य व्यक्ति स्क्रैप सामग्री से प्रोसेसर और चिप्स इकट्ठा करते थे और उसके बाद उन्हें चीन भेजने में शामिल थे. पुलिस द्वारा इस मामले में कई अन्य गवाहों के बयान भी दर्ज किए गए जिन्होंने बताया कि आवेदक अप्रत्यक्ष रूप से HTZN टेक्नोलॉजी प्राइवेट लिमिटेड कंपनी चला रहा है और नोएडा के घरबारा गाँव में स्थित होटल रेवेरा का भी प्रबंधन कर रहा था.
आवेदक के वकील ने कोर्ट में दलील दी कि आवेदक 14 जून 2022 से जेल में बंद है और अब तक कुल 76 गवाहों में से नौ गवाहों से पूछताछ की जा चुकी है इसलिए मुकदमे को पूरा होने में समय लगेगा और आवेदक को मुकदमे के पूरा होने तक जेल में नहीं रखा जा सकता. जबकि मुकदमे के जल्द खत्म होने की कोई संभावना नहीं है. आवेदक के वकील ने यह भी दलील दी कि आवेदक पर पैसे की हेराफेरी करने या किसी भी तरह से मनी लॉन्ड्रिंग में शामिल होने के आरोप में अभी तक पुलिस द्वारा आरोप पत्र दायर नहीं किया गया है. इस बात का भी कोई सबूत नहीं है कि आवेदक ने अपने वीज़ा के साथ-साथ जाली आधार कार्ड और भारतीय राष्ट्रीयता का पासपोर्ट तैयार करने में भी जालसाजी की है. यह भी कहा गया कि विदेशी अधिनियम की धारा 14 के तहत अपराध के लिए दो साल से 8 वर्ष तक की सजा का प्रावधान है जबकि आईटी एक्ट की धारा 66 (डी) के तहत अपराध के लिए तीन वर्ष तक की सजा का प्रावधान है.
आईपीसी की धारा 467 को छोड़कर सभी अपराधों के लिए सात वर्ष तक की सजा का प्रावधान है. आवेदक चीनी नागरिक की याचिका पर केंद्र सरकार के वकील आरपीएस चौहान और राज्य सरकार की तरफ से एजीए रूपक चौबे ने याचिका का विरोध करते हुए कोर्ट से याची को जमानत न देने की मांग की. एजीए रूपक चौबे ने कोर्ट को बताया कि सह-अभियुक्त के बयान के साथ-साथ अन्य गवाहों से भी ऐसा प्रतीत होता है कि आवेदक ही इस पूरी अवैध गतिविधि का सरगना है जो स्क्रैप से प्रोसेसर और चिप्स निकालकर उन्हें चीन भेजता था. आवेदक भारत में भी अवैध व्यापार करता है और HTZN प्राइवेट लिमिटेड कंपनी और तियानशांग रेनजियान प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के माध्यम से धन की हेराफेरी करता है। सरकारी वकील ने कोर्ट में ये भी कहा कि आवेदक द्वारा भारत से अवैध रूप से अर्जित धन को सह-आरोपी रवि कुमार के माध्यम से जो HTZN प्राइवेट लिमिटेड कंपनी और तियानशांग रेंजियन प्राइवेट लिमिटेड कंपनी का निदेशक था उससे बिटकॉइन/क्रिप्टोकरेंसी खरीदकर निकाला जा रहा है और यह निर्विवाद है कि आवेदक ने अपने वीज़ा दस्तावेजों में जालसाजी की है और उन्हें 2020 से 2022 तक बढ़ा दिया है.
याचिकाकर्ता ने भारत में अपनी नापाक गतिविधियों को अंजाम देने के लिए जाली भारतीय पासपोर्ट और आधार कार्ड भी तैयार किया है और यह देश के हित के विरुद्ध है. कोर्ट ने माना कि आवेदक के खिलाफ मुख्य आरोप यह है कि उसने जाली पासपोर्ट, जाली आधार कार्ड तैयार किया है और अपने वीज़ा की वैधता में छेड़छाड़ की है और भारत में अवैध रूप से रह रहा था. कई गवाहों के बयानों से यह भी स्पष्ट है कि आवेदक स्वयं ही बिना किसी वैध अनुमति के चिप्स और प्रोसेसर वाले पैकेट चीन निर्यात करने के लिए पोर्ट कूरियर कार्यालय गया था. कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि आज की तारीख में आवेदक के पास भारत में रहने के लिए कोई वैध वीज़ा नहीं है और इस बात का कोई उचित स्पष्टीकरण नहीं है कि आवेदक के पास जाली भारतीय पासपोर्ट, आधार कार्ड और जाली वीज़ा क्यों था. कोर्ट ने चिंता व्यक्त करते हुए स्पष्ट किया कि कोर्ट साक्ष्य अधिनियम की धारा 57(11) के अधिदेश की अनदेखी करके भारत और चीन के संबंधों को नज़रअंदाज़ नहीं कर सकता और संभावना है कि यदि आवेदक को ज़मानत पर रिहा कर दिया जाता है तो वो अवैध रूप से देश छोड़ सकता है. क्योंकि एक अन्य सह-आरोपी तानसोंग दोरजी पहले ही देश छोड़ चुका है और अभी भी उसका पता नहीं चल पाया है.
कोर्ट ने आवेदक Xue Fei Koei की जमानत अर्जी को खारिज करते हुए कहा कि एक और तथ्य प्रासंगिक है कि भारत और चीन के बीच कोई प्रत्यर्पण संधि नहीं है इसलिए अगर आवेदक अवैध रूप से देश छोड़ देता है तो उसे न्याय के कटघरे में वापस लाना संभव नहीं होगा. इस कोर्ट की समन्वयक बेंच ने सह-अभियुक्तों की ज़मानत याचिका पहले ही खारिज कर दी है और यह न्यायालय इस बात से संतुष्ट है कि केस डायरी में ऐसी सामग्री है जो प्रथम दृष्टया दर्शाती है कि आवेदक ने पासपोर्ट, आधार कार्ड और वीज़ा तैयार करने में जालसाजी की है और भारत में अवैध रूप से रहकर ऐसी गतिविधियां की है जो आर्थिक अपराध की श्रेणी में आती है इसलिए आवेदक ज़मानत पर रिहा होने का हकदार नहीं है. इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कि आवेदक लगभग साढ़े तीन साल से जेल में है हाईकोर्ट ने ट्रायल कोर्ट को निर्देश दिया कि मुकदमे को यथाशीघ्र खत्म करे.
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं