- UP बीजेपी में जल्द ही संगठनात्मक बदलाव होगा और नए अध्यक्ष की नियुक्ति अगले दो से चार दिनों में हो सकती है.
- नए अध्यक्ष के चयन को लेकर ब्राह्मण समाज, ओबीसी वर्ग और दलित समुदाय से विभिन्न नामों पर चर्चा चल रही है.
- डॉ दिनेश शर्मा और सांसद हरीश द्विवेदी ब्राह्मण समाज के संभावित अध्यक्ष के प्रमुख उम्मीदवार माने जा रहे हैं.
उत्तर प्रदेश में बहुत जल्द बीजेपी के संगठन के बड़ा बदलाव होने वाला है।. आने वाले दो चार दिनों में यूपी बीजेपी को नया अध्यक्ष मिल सकता है. इसकी कवायद लंबे समय से चल रही है. माना जा रहा है कि नए अध्यक्ष का नाम तय हो चुका है और बहुत जल्द इसका ऐलान कर दिया जाएगा. इस बीच सवाल है कि कौन होगा वो नेता जिसकी अगुवाई में बीजेपी संगठन 2027 का विधानसभा चुनाव लड़ेगी?
ये एक ऐसा सवाल है, जिसका जवाब किसी के पास नहीं है. राजनैतिक गलियारों में कई चर्चाएं हैं. पहली चर्चा ये है कि अध्यक्ष किस वर्ग से होगा? दूसरी ये कि किस इलाके से होगा? तीसरी ये कि किस खेमे का होगा? चौथी ये कि पुरुष होगा या महिला? नए अध्यक्ष का नाम भले ना पता हो. लेकिन चर्चाएं में कई नाम हैं. राजनैतिक गलियारों में यूं तो कई नाम हैं, लेकिन कहा जा रहा है कि सब कयासबाजी है.
नया अध्यक्ष ब्राह्मण समाज से होगा!
पहली कयासबाजी ये है कि नया अध्यक्ष ब्राह्मण समाज से होगा. इस रेस में सबसे आगे पूर्व डिप्टी सीएम डॉ दिनेश शर्मा हैं. डॉ दिनेश शर्मा 5 साल यूपी के डिप्टी सीएम रह चुके हैं. लखनऊ से आते हैं और वर्तमान में राज्यसभा में हैं और संगठन में राष्ट्रीय उपाध्यक्ष की भूमिका निभा चुके हैं. दूसरा नाम पूर्वांचल से आने वाले हरीश द्विवेदी का है जो बस्ती से सांसद रहे और बीजेपी के सचिव हैं. महेंद्र नाथ पांडेय के बार लगातार दो बार ओबीसी वर्ग के अध्यक्ष होने की वजह से ब्राह्मण अध्यक्ष की चर्चा तेज है.
पीडीए कार्ड भी खेल सकती है बीजेपी
दूसरी चर्चा ये है कि सपा के पीडीए कार्ड को देखते हुए कोई ओबीसी इस बार भी पार्टी की अगुवाई करेगा. इसमें एक नाम पूर्व केंद्रीय मंत्री साध्वी निरंजन ज्योति का है, जो निषाद समाज से आती हैं. इसके अलाव बुंदेलखंड से आने वाले लोध नेता बीएल वर्मा का नाम भी चर्चा में है, जो वर्तमान में केंद्रीय मंत्री हैं. दूसरा नाम पश्चिम से आने वाले लोध नेता और यूपी सरकार के मंत्री धर्मपाल सिंह का है. पार्टी के एक तबके में राज्यसभा सांसद अमरपाल मौर्य का भी नाम घूम रहा है.
इसके अलावा तीसरी चर्चा किसी दलित को अध्यक्ष बनाने की है. इसमें पहला नाम विधान परिषद सदस्य विद्यासागर सोनकर का है. दूसरा नाम पूर्व केंद्रीय मंत्री रामशंकर कठेरिया का है, जो आगरा और इटावा से सांसद रहे. इसके अलावा एक नाम पश्चिमी यूपी के जाटव समाज से आने वाली कांता कर्दम का भी है, जो महिला नेता होने के साथ साथ राज्यसभा की सांसद हैं.
बीजेपी का एक वर्ग ये मानता है कि चर्चाओं में रहने वाले कभी अध्यक्ष नहीं बनते. ऐसे में कोई ऐसा भी नाम सामने आ सकता है, जो सभी को चौंका दे. हालांकि, जो भी होगा, वो संघ और बीजेपी का पुराना कार्यकर्ता होगा. दूसरे दल से आए किसी व्यक्ति को संगठन की ज़िम्मेदारी दी जाये, इसकी संभावना ना के बराबर मानी जा रही है.
अब बात करते हैं प्रक्रिया की. यूपी बीजेपी के अध्यक्ष के नाम पर चर्चा के लिए यूपी बीजेपी के महामंत्री संगठन धर्मपाल सिंह दिल्ली में हैं. उनकी मुलाकात पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा और संगठन महामंत्री बीएल संतोष से होने के बाद नाम पर अंतिम मुहर लग जाएगी. इसके बाद यूपी के सभी जिलों के चुनाव अधिकारियों, जिलाध्यक्ष और महानगर अध्यक्षों को लखनऊ बुलाया जाएगा.
लखनऊ में बीजेपी के जिला चुनाव अधिकारियों, जिलाध्यक्ष और महानगर अध्यक्षों की मौजूदगी में यूपी बीजेपी के चुनाव अधिकारी पीयूष गोयल नए अध्यक्ष के नाम का प्रस्ताव रखेंगे. मौजूद नेता उस नाम पर अपनी सहमति देंगे. अगर केंद्र की तरफ़ से प्रस्तावित नाम पर सहमति मिली तो उसके बाद नए अध्यक्ष के नाम की घोषणा कर दी जाएगी. हालांकि, ये पूरी प्रक्रिया रस्म अदायगी मानी जाती है. ऊपर से आए नाम पर सामूहिक विरोध हो, ऐसी संभावना नहीं होती.
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