
'लुटेरे की याद में बिल्कुल मेला नहीं लगेगा. अगर लगा तो आप राष्ट्रद्रोही हैं. अगर इस देश के हैं, तो ऐसी इजाजत नहीं मांगेंगे. आप ही कह रहे हैं कि सोमनाथ को लूटा था, तो ऐसे आदमी की याद में आप कार्यक्रम क्यों कर रहे हैं. बिल्कुल नहीं होगा, बिल्कुल नहीं होगा... फिर भी आपको लगता है कि नेजा मेला लगाना है, तो पहले जाकर एप्लिकेशन दीजिएगा.'
एडिशनल एसपी श्रीश चंद्र के इस बयान के बाद सालार गाजी को लेकर विवाद खड़ा हो गया है. ग़ाज़ी मियां के मेले के आयोजक जब पुलिस के पास अनुमति लेने पहुंचे तो उन्हें पुलिस ने साफ़ मना कर दिया. इसके बाद यूपी के उन शहरों से भी मेले की अनुमति ना देने की मांग उठने लगी, जहां ये सालाना जलसा लगता रहा है. इनमें बहराइच के अलावा बाराबंकी, अमरोहा, भदोही, मुरादाबाद समेत कई अन्य ज़िले शामिल हैं.
क्या है गाजी विवाद
औरंगज़ेब को लेकर जारी विवाद के बीच यूपी में गाजी विवाद बढ़ गया है. ये विवाद सैयद सालार मसूद ग़ाज़ी उर्फ़ ग़ाज़ी मियां के मेले को लेकर शुरू हुआ है. इसको नेज़े का मेला भी कहा जाता है. हिंदू संगठन सैयद सालार मसूद ग़ाज़ी को मुग़ल आक्रांता कहकर मेले का विरोध कर रहे हैं. वहीं मुस्लिमों की रहनुमाई करने वाले उसे सूफ़ी संत क़रार दे रहे हैं.

सैयद सालार मसूद ग़ाज़ी की दरगाह यूपी के बहराइच ज़िले में है. सैकड़ों सालों से यहां एक बड़ा मेला लगता रहा है. बहराइच के अलावा भी यूपी के कई ज़िलों में गाज़ी मियां का मेला लगता रहा है, लेकिन इस साल इसको लेकर बड़ा विवाद सामने आया है.
कौन था सैयद सालार मसूद ग़ाज़ी
- सैयद सालार मसूद ग़ाज़ी मुग़ल आक्रमणकारी था
- रिश्ते में वो महमूद ग़ज़नवी का भांजा लगता था
- 11वीं सदी में साल 1014 में अजमेर में जन्म
- साल 1030-31 के आसपास अवध के इलाकों में आया
- राजा सुहेलदेव ने 21 राजाओं को साथ लेकर युद्ध किया
- साल 1034 में राजा सुहेलदेव के साथ युद्ध में मारा गया
- सुहेलदेव ने बहराइच में चित्तौरा झील के पास मसूद ग़ाज़ी को मार गिराया
- उसके मरने के बाद बहराइच में उसकी मज़ार बनी और कई ज़िलों में उसकी इबादत होने लगी
- बहराइच के दरगाह शरीफ में दफना दिया गया
- गुजरात के सोमनाथ मंदिर को लूटने का आरोप भी ग़ाज़ी पर था
क्यों कहा जाने लगा संत?
- 200 साल बाद 1250 में कब्र पर मकबरा बनने का दावा
- दिल्ली के मुगल शासक नसीरुद्दीन महमूद ने मकबरा बनवाया
- कई मुगल शासकों ने मसूद गाजी को संत बताया
- फिरोज शाह तुगलक ने मकबरे के पास कई गुंबद बनवाए
- आगे चलकर दरगाह मशहूर हुई, हिंदू श्रद्धालु भी जाने लगे
गाजी पर राजनीति क्या है
ग़ाज़ी मियां का मेला या नेज़े के मेले की शुरुआत ढाल गाड़ने से होती है. ढाल गाड़ने के बाद अमूमन मई के महीने में ये मेला लगता है. सबसे बड़ा मेला बहराइच के लगता है, जहां लाखों की संख्या में लोग शामिल होते रहे हैं. अब इस पूरे विवाद के राजनैतिक पहलू को समझें तो लोकसभा चुनाव के बाद जिस तरह से पीडीए के नाम पर सपा ने यूपी में 37 सीटें जीतीं और बीजेपी को बड़ा नुकसान उठाना पड़ा, उसके बाद अब बीजेपी वापस अपने पुराने पिच यानी हिंदुत्व को धार देती दिखाई दे रही है. संभल इसका केंद्र बिंदु है. मसूद गाज़ी के विवाद से हिंदुत्व के साथ साथ ओबीसी कार्ड भी मज़बूत करने की क़वायद दिखाई दे रही है.

क्या बोले सपा सांसद जियाउर्रहमान बर्क?
- 12वीं सदी के महान सूफी संत थे गाजी
- सूफी संत के बारे में अफवाह फैलाई जा रही
- बिना तथ्यों के एएसपी बयान दे रहे
- गाजी को सोमनाथ मंदिर पर हमले से जोड़ना गलत
- सोमनाथ मंदिर पर हमले के वक्त गाजी की उम्र 11 साल
- इतिहास में हमले के वक्त उनकी मौजूदगी का जिक्र नहीं
- नफरत की हवा को बढ़ाने का काम किया जा रहा

महाराजा सुहेलदेव राजभर समाज से आते थे. आज राजभरों के सबसे बड़े नेता ओम प्रकाश राजभर हैं. वो भले बीजेपी के साथ हैं, लेकिन बीजेपी सुभासपा की बैसाखी की जगह अपना वोटबैंक तैयार करना चाहती है.
यूपी बनेगा अखाड़ा
जिस तरह से आज़म ख़ान के परिवार को अदालतों से राहत मिल रही है और जिस तरह के संबंध अखिलेश यादव और चन्द्र शेखर आज़ाद के रहे हैं, उसको देखते हुए ये माना जा सकता है कि बीजेपी इस मुद्दे के नाम पर अपने हिंदू वोटों को सहेजने में जुटी दिखाई दे रही है. फ़िलहाल औरंगज़ेब और मसूद ग़ाज़ी का विवाद थमेगा या इसके बाद कोई नया विवाद सामने आएगा, ये कहा नहीं जा सकता, लेकिन जिस तरह से संभल से शुरू हुआ विवाद अब राजनैतिक मुद्दा बन चुका है, इससे यूपी में हिंदुत्व बनाम पीडीए की लड़ाई रोचक होती दिखाई दे रही है.
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं