
- इलाहाबाद हाई कोर्ट ने संभल के तालाब की जमीन पर बने मैरिज हाल और मस्जिद के ध्वस्तीकरण याचिका को खारिज किया
- मस्जिद कमेटी ने ध्वस्तीकरण आदेश पर रोक की मांग करते हुए याचिका दाखिल की थी
- मस्जिद पक्ष ने ध्वस्तीकरण के लिए गांधी जयंती और दशहरे के दिन कार्रवाई करने पर आपत्ति जताई
उत्तर प्रदेश के संभल में तालाब की जमीन पर बने मैरिज हाल और मस्जिद के ध्वस्तीकरण मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट में मस्जिद कमेटी की ओर से दाखिल याचिका को खारिज कर दिया है. कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष को ट्रायल कोर्ट में अपील करने को कहा है. इलाहाबाद हाई कोर्ट में आज शनिवार को सुबह दस बजे मामले में सुनवाई हुई. इससे पहले शुक्रवार को भी इलाहाबाद हाई कोर्ट में छुट्टी के दिन अर्जेंट बेंच बैठी और याचिका पर सुनवाई हुई थी.
किसने दाखिल की है याचिका?
इलाहाबाद हाई कोर्ट में मस्जिद, मैरिज हाल और अस्पताल के खिलाफ पारित ध्वस्तीकरण आदेश पर रोक लगाने की मांग में याचिका दाखिल की गई थी. मस्जिद शरीफ गोसुलबारा रावा बुजुर्ग और मस्जिद के मुतवल्ली मिंजर की ओर से याचिका कोर्ट में लगाई गई थी. शुक्रवार 3 अक्टूबर को हाई कोर्ट में याचिका दाखिल हुई है और कोर्ट से याचिकाकर्ताओं ने अर्जेंट बेसिस पर सुनवाई की मांग की थी. याचिका में उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता, 2006 की धारा 67 के अंतर्गत कार्यवाही करने में सक्षम न्यायालय द्वारा 2 सितंबर 2025 को पारित आदेश को चुनौती दी गई थी.
मस्जिद पक्ष का अरोप...
मस्जिद पक्ष की ओर से दलील दी गई है कि मैरिज हॉल को ध्वस्त कर दिया गया है. ध्वस्तीकरण के लिए 2 अक्टूबर गांधी जयंती और दशहरे का दिन चुना गया. बुलडोजर कार्रवाई के दौरान भीड़ की वजह से कोई बड़ा हादसा या बवाल भी हो सकता था. आरोप है कि मैरिज हॉल तालाब की जमीन पर बना हुआ है. तालाब की जमीन पर बने अवैध मैरिज हॉल को दो अक्टूबर को 4 बुलडोजरों की मदद से महज 4 घंटे में जमींदोज कर दिया गया. मस्जिद का कुछ हिस्सा भी सरकारी जमीन पर बना हुआ है. मस्जिद को भी प्रशासन की तरफ से अवैध निर्माण के लिए नोटिस दिया गया था. इसके बाद मस्जिद कमेटी को चार दिन की मोहलत दी गई थी.
हालांकि, मोहलत खत्म होने से पहले ही मस्जिद कमेटी के लोगों ने खुद हथौड़ा चलाकर मस्जिद की दीवारें गिराना शुरू कर दिया. शुक्रवार को सुनवाई के दौरान कोर्ट ने मस्जिद पक्ष से जमीन के कागजात दाखिल करने को कहा था. याचिका में राज्य सरकार, डीएम, एसपी संभल, एडीएम, तहसीलदार और ग्राम सभा को पक्षकार बनाया गया है. इलाहाबाद हाई कोर्ट ने मस्जिद की ओर से अधिवक्ता अरविंद कुमार त्रिपाठी और शशांक श्री त्रिपाठी ने पक्ष रखा. वहीं सरकार की तरफ से चीफ स्टैंडिंग काउंसिल जेएन मौर्य और स्टैंडिंग काउंसिल आशीष मोहन श्रीवास्तव ने पक्ष रखा. जस्टिस दिनेश पाठक की सिंगल बेंच में मामले की सुनवाई हुई.
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