
- राजभर ने यूपी में सामाजिक न्याय समिति की रिपोर्ट लागू कराने के लिए कई पिछड़े नेताओं को सहयोग का पत्र लिखा है
- ओम प्रकाश राजभर ने "सामाजिक न्याय समिति" की रिपोर्ट लागू कराने के लिए लामबंदी शुरू की
- ओम प्रकाश राजभर ने जेपी नड्डा के अलावा कई पिछड़े नेताओं को इस मामले में आवाज़ उठाने की अपील की है
यूपी में पिछड़ों की राजनीति करने वाले सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) अध्यक्ष और मंत्री ओम प्रकाश राजभर ने "सामाजिक न्याय समिति" की रिपोर्ट लागू कराने के लिए लामबंदी शुरू की. इसको लेकर ओम प्रकाश राजभर ने जेपी नड्डा के अलावा कई पिछड़े नेताओं को इस मामले में आवाज़ उठाने की अपील की है. सामाजिक न्याय समिति की रिपोर्ट कहती है कि उत्तर प्रदेश में 27% ओबीसी आरक्षण को तीन हिस्सों में बांट दिया जाये. इसमें पिछड़ा वर्ग को 7%, अत्यंत पिछड़ा वर्ग को 9% और सर्वाधिक पिछड़ा वर्ग को 11% आरक्षण दिया जाये.
सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के अध्यक्ष और यूपी के पंचायती राज मंत्री ओम प्रकाश राजभर ने जेपी नड्डा, अखिलेश यादव, लालू प्रसाद यादव, मल्लिकार्जुन खड़गे, मायावती, डॉ. संजय निषाद और अनुप्रिया पटेल को इस बारे में चिट्ठी लिखी है. इस चिट्ठी के ज़रिए वो यूपी में पिछड़ों के आरक्षण में बंटवारे की सिफारिशों को लागू करवाने के लिए अलग-अलग दलों के नेताओं से सहयोग मांग रहे हैं.
सामाजिक न्याय समिति की रिपोर्ट के मुताबिक़, यूपी में पिछड़ों को दिए गए 27% आरक्षण का ज़्यादा फ़ायदा पिछड़ों में कुछ मज़बूत जातियों को मिल रहा है. ऐसे में 27 प्रतिशत आरक्षण को तीन टुकड़ों में बांट कर सबको लाभ देने का आइडिया इस रिपोर्ट में है. इसका आधार पिछड़ा, अति पिछड़ा और सर्वाधिक पिछड़ा वर्ग है. 27 प्रतिशत आरक्षण में पिछड़ा वर्ग को 7%, अति पिछड़ा वर्ग को 9% और सर्वाधिक पिछड़ा वर्ग को 11% आरक्षण दिया जाये.
उत्तर प्रदेश में साल 2027 में विधानसभा के चुनाव होने हैं. 2024 के लोकसभा चुनाव में सपा ने पीडीए के नारे की बदौलत यूपी की 80 में से 37 सीटें जीत ली थीं. यूपी के विधानसभा चुनाव में दो मुद्दे चलते हैं. इनमें एक हिंदू मुस्लिम राजनीति है और दूसरा जाति की राजनीति है. बीजेपी के पास योगी आदित्यनाथ का हिन्दुवादी चेहरा है तो वहीं सपा बसपा और क्षेत्रीय दल जातियों की राजनीति से अपना प्रभाव बढ़ाते हैं.
ओम प्रकाश राजभर की 'सामाजिक न्याय समिति' की रिपोर्ट की मांग यूपी में जातीय राजनीति में नई बहस छेड़ सकती हैं. देशभर में जातीय जनगणना की घोषणा हो चुकी है. ऐसे में पिछड़े वर्ग की लामबंदी में सामाजिक न्याय समिति की रिपोर्ट लागू करने की मांग से नई चर्चा शुरू हो सकती है. देखना होगा कि राजभर की इस मांग के समर्थन में कौन कौन आता है. सबसे ख़ास ये देखना होगा कि बीजेपी राजभर की इस मांग को कितना गंभीरता से लेती है.
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