नागा साधु का जीवन आखिर होता कैसा है? ये सवाल लोगों के लिए किसी पहेली से कम नहीं है. नागा साधु का नाम सुनते ही जेहन में सबसे पहले यही सवाल आता है कि आखिर ये नागा साधु (Naga Sadhu) बनते कैसे हैं और किस तरह का जीवन ये जीते हैं. जब भी कुंभ या महाकुंभ (MahaKumbh) लगता है तो सबसे ज्यादा आकर्षण का केंद्र भी ये नागा साधु ही होते हैं. नागा साधु का जीवन कैसा होता है, नागा साधु बनते कैसे हैं, कुंभ में और कुंभ के बाद ये लोग किस तरह से रहते हैं, क्या ये हमेशा बिना कपड़ों के रहते हैं या कपड़े पहन लेते हैं, किस तरह की साधना नागा बनने के लिए करनी होती है? ऐसे तमाम राज एक नागा साधु ने एनडीटीवी के सामने खोले हैं.
कमल गिरी नाम के साधु और श्मशान घाट पर भभूत लगाकर धूनी रमाए बैठे उनके गुरु ने अपने जीवन, अपनी दिनचर्या और साधु की सोच को लेकर खुलकर बात की. उन्होंने बताया कि गुरु की 12 साल सेवा करने के बाद ही नागा साधु बन सकते हैं. इस दौरान अगर गुरु खाई में कूदने को कहे तो खाई में भी कूदना पड़ता है.
कैसे बनते हैं नागा साधु?
जूना अखाड़ा के एक नागा बाबा ने बताया कि नागा साधु कभी टेंशन नहीं लेता. उन्होंने कहा कि संत भगवान का स्वरूप होते हैं. संतों की सेवा करना भगवान की सेवा करने जैसा होता है. नागा साधु बनने के लिए कितनी तप और तपस्या करनी पड़ती है? इस सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि जिन लोगों ने सतयुग और त्रेता युग में तपस्या की होती है और हवन, यज्ञ किया होता है उनको इनाम में इस युग में जन्म मिलता है. जप, तप, साधना,धर्म सब दान में छिपा हुआ है. नागा साधु अपने गुरु को तन, मन, धन सब अर्पण कर देते हैं, तब जाकर गुरु से सतयुग वाला आशीर्वाद मिलता है. उससे सबका भविष्य तरण-तारण होता है. उन्होंने कहा कि जो भी मनुष्य कुंभ में डुबकी लगाता है और संतों का आशीर्वाद पाता है उसे 100 जन्मों के लिए मुक्ति मिल जाती है. संत भगवान का रूप होते हैं और सब पर कृपा करते हैं.
12 साल का हठ योग और नागा साधु
वहीं कमलगिरि नागा बाबा ने कहा कि जो 12 साल तक तन, मन, धन से गुरु की सेवा करते हैं और उनकी हर बात को सहन करते हैं, तब गुरु की इच्छा से वह नागा बाबा बन पाते हैं. गुरु धर्म ध्वज के नीचे ले जाकर उनको नागा बाबा बनाते हैं.12 साल गुरु की सेवा के बाद सबसे पहले गुरु योगी बनते हैं. फिर जब गुरु की इच्छा होती है तब हठ योग किया जाता है. गुरु ही नागा साधु बनने का आशीर्वाद देते हैं.
कुंभ के बाद नागा साधु कहां जाते हैं?
इस सवाल के जवाब में बाबा कमलगिरि ने बताया कि जब कुंभ होता है कि पूरे संसार के लोग वहां आते हैं. जिस तरह से आम लोग आते हैं वैसे ही नागा साधु भी कुंभ पहुंचते हैं. जिस तरह से आम लोग दिखाई नहीं देते वैसे ही वह भी वापस लौट जाते हैं. जिन-जिन राज्यों के साधु आते हैं वह कुंभ के बाद अपनी जगहों पर कुटिया में वापस चले जाते हैं.
क्या नागा साधु हमेशा बिना वस्त्र के रहते हैं?
एनडीटीवी से बातचीत में नागा साधु ने बताया कि वह हमेशा इसी तरह से बिना वस्त्रों के और शरीर पर भभूत लगाए रहते हैं. साधु जिस तरह से कुंभ में बिना वस्त्रों के आते हैं कुंभ के बाद भी वह वैसा ही जीवन जीते हैं. कुछ भी नहीं बदलता है.
क्या नागा साधु को ठंड नहीं लगती?
जो एक बार गुरु की सेवा कर लेता है उसे इतनी सहन शक्ति प्राप्त हो जाती है कि सर्दी और गर्मी का भी कोई असर नहीं होता है. जब नागा साधु से प्रयागराज की सर्दी को लेकर सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि यहां तो क्या ही सर्दी है. सर्दी देखनी ही है तो हिमाचल की देखिए. वहां भी उनको ठंड नहीं लगती है. उन्होंने कहा कि कितनी भी सर्दी पड़ रही हो अगर गुरु का हुक्म आया कि ए... उठ ये सामान ला, तो जाना ही है और गुरु की आज्ञा का पालन करना ही है.
गुरूजी अगर रात के 12 बजे कड़कड़ाती ठंड में कहते हैं कि ऐ उठ और डुबकी लगाकर आ. तो ठंडे पानी से नहाने चले जाते हैं. कुल मिलाकर गुरु परीक्षा लेते हैं. अगर गुरु कहेंगे कि यहां से छलांग लगा तो हम लगाएंगे ही. क्यों कि हमें गरु पर विश्वास है और विश्वास में ही भगवान है. हमें विश्वास है कि गुरु सब संभाल लेंगे. इसके लिए उन्होंने भक्त प्रह्लाद का उदाहरण दिया, जो जलती आग में बैठ गए थे.
क्या नागा साधु की कोई इच्छा नहीं होती?
नागा साधु का तप यही होता है कि बाहरी दुनिया को देखकर उनका मन नहीं भटकता. लोभ, काम, क्रोध, अहंकार का त्याग करके ही वह सन्यासी बनते हैं. गाड़ी, घोड़ा, जमीन, जायदाद सब था, लेकिन इन सबका त्याग करके ही हम साधु बने हैं. उन्होंने कहा कि अगर उनको हेलिकॉप्टर खरीदने की जरूरत पड़ी तो वह उसे भी आसानी से खरीदने की क्षमता रखते हैं क्यों कि वह नागा बाबा हैं. उन्होंने बताया कि जब भी वह शहर में आते हैं तो शरीर के निचले हिस्से में कपड़ा लगा लेते हैं. लेकिन श्री दिगंबर साधु कपड़े का भी इस्तेमाल नहीं करते हैं.
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