
उत्तर प्रदेश के अकबरपुर में अस्पताल की लापरवाही का दिल दहलाने वाला मामला सामने आया है, जिसने एक बार फिर राज्य की खस्ताहाल चिकित्सा व्यवस्था की पोल खोल दी. जिला महिला अस्पताल में एक नवजात की मौत हो गई, जब प्रसव के दौरान डस्टबिन में गिर गया और गंभीर चोटों के कारण उसकी जान चली गई. इस घटना ने न केवल परिवार को गहरे सदमे में डाल दिया, बल्कि सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाली और जिम्मेदारों की लापरवाही को उजागर कर दिया.

क्या है पूरा मामला?
अकबरपुर के रूरा क्षेत्र के निवासी सुनील ने अपनी पत्नी सरिता को प्रसव पीड़ा शुरू होने पर जिला महिला अस्पताल में भर्ती कराया था. सरिता को लेबर रूम में रखा गया, लेकिन देर रात जब उनकी प्रसव पीड़ा बढ़ी, तो सास, घबराहट में, स्टाफ को बुलाने के लिए बाहर गईं. इसी दौरान सरिता ने बच्चे को जन्म दिया, लेकिन नवजात फिसलकर डस्टबिन में जा गिरा. डस्टबिन में गिरने से बच्चे को गंभीर चोटें आईं, और उसकी मौत हो गई. जैसे ही सरिता और सुनील को इस दुखद घटना की जानकारी हुई, उन्होंने अस्पताल में हंगामा शुरू कर दिया. परिवार का आरोप है कि अस्पताल स्टाफ की अनुपस्थिति और लापरवाही के कारण उनके बच्चे की जान गई. सुनील ने कहा, “हमने इस बच्चे के लिए कई सपने देखे थे, लेकिन एक पल में सब चकनाचूर हो गया.”
अस्पताल प्रशासन की प्रतिक्रिया
घटना के बाद अस्पताल प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग के जिम्मेदार अधिकारी टालमटोल करते नजर आए. परिवार का आरोप है कि अस्पताल ने नवजात के शव का अंतिम संस्कार जल्दी करने के लिए उन पर दबाव डाला. हालांकि, सुनील ने इस लापरवाही के खिलाफ लिखित शिकायत दर्ज की और जिम्मेदारों पर सख्त कार्रवाई की मांग की. स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी मीडिया से बात करने से बचते रहे, और अभी तक इस मामले में कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है.
लापरवाही का सीधा उदाहरण
यह घटना सरकारी अस्पतालों में बढ़ती लापरवाही और संसाधनों की कमी का स्पष्ट उदाहरण है. उत्तर प्रदेश में सरकारी स्वास्थ्य सेवाएं पहले से ही स्टाफ की कमी, अपर्याप्त सुविधाओं, और प्रशासनिक उदासीनता से जूझ रही हैं. इस मामले में, लेबर रूम में समय पर स्टाफ की अनुपस्थिति ने एक मासूम की जान ले ली. यह घटना उन परिवारों के लिए गहरे दुख का कारण बनी, जो सरकारी अस्पतालों पर भरोसा करते हैं.
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