मायावती की फाइल फोटो
- यूपी में उप-चुनावों से पहले एक बड़ा राजनैतिक उलटफ़ेर हुआ है.
- मायावती अपनी धूर विरोधी समाजवादी पार्टी को समर्थन देने का फैसला किया है.
- गोरखपुर और फूलपुर में 11 मार्च को मतदान होना है
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लखनऊ:
यूपी में समाजवादी पार्टी और बीएसपी 23 साल तक चली दुश्मनी के बाद फिर साथ आ गए हैं. समजावादी पार्टी राज्यसभा चुनाव में बीएसपी उम्मीदवार को वोट देगी और बीएसपी विधान परिषद चुनावों में समाजवादी पार्टी उम्मीदवार को. यही नहीं, बीएसपी गोरखपुर और फूलपुर उपचुनावों में समाजवादी पार्टी को समर्थन करेगी. इसे 2019 के लोकसभा चुनाव के लिए एक गैर बीजेपी महागठबंधन का संकेत भी माना जा रहा है.
23 साल बाद मायावती समाजवादी पार्टी के साथ किसी सियासी में दाखिल हो रही हैं. इसमें मायावती की सियासी जरूरत भी है और दूसरी तरफ समाजवादी पार्टी के नए अध्यक्ष अखिलेश से उन्हें वैसी अदावत भी नहीं जैसी उनके पिता मुलायम के साथ थी. पहला समझौता राज्यसभा-विधान परिषद चुनाव का हुआ है.
राज्यसभा की एक सीट जीतने के लिए 36.36 वोट चाहिए. समाजवादी पार्टी के पास 47 वोट हैं. यानी जीत से 10.64 वोट ज्यादा. बीएसपी के पास 19 वोट हैं, यानी जीत से 17.36 वोट कम. समाजवादी पार्टी बीएसपी को 10.64 वोट देगी और कांग्रेस को पास 7 हैं. इस तरह बीएसपी राज्यसभा की एक सीट जीत जाएगी. बदले में वो समाजवादी पार्टी के विधान परिषद उम्मीदवार को वोट करेगी.
मायावती ने रविवार को लखनऊ में कहा कि उन्होंने राज्यसभा और विधान परिषद चुनावों में समाजवादी पार्टी के साथ तालमेल किया है. राज्यसभा में समाजवादी पार्टी उन्हें वोट देगी और विधान परिषद में वो समाजवादी उम्मीदवार को वोट दिलाएंगी.
उधर रविवार को गोरखपुर में जोनल कोऑर्डिनेटर घनश्याम खरवार और फूलपुर में डॉ. अशोक गौतम ने समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार को समर्थन देने का ऐलान किया.
इस नए रिश्ते पर यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने चुटकी ली और रहीम का एक दोहा सुनाया कि, 'कह रहीम कैसे निभे बेर-केर को संग'. यानी कंटीली बेर और नाजुक केले का साथ कभी नहीं निभ सकता.
समाजवादी पार्टी की तरफ से इसका फौरन जवाब भी आ गया. पार्टी के एमएलसी उदयवीर सिंह ने कहा कि दोनों पार्टियों के रिश्ते अब अच्छे हैं. विधान परिषद और विधानसभा में वो तालमेल के साथ मुद्दे उठा रहे हैं. ये बेर और केले का साथ नहीं है.
योगी और मौर्या के लिए इन वजहों से ये उपचुनाव बना सबसे बड़ी चुनौती
इसके पहले सूबे में हुए लोकसभा चुनाव में बसपा खाता नहीं खोल पाई थी. वहीं विधानसभा चुनावों में उसकी करारी हार हुई थी, जबकि समाजवादी पार्टी की भी दोनों चुनावों में शर्मनाक हार हुई थी. इस नए समीकरण को आने वाले लोकसभा चुनावों में बीजेपी के खिलाफ एक महागठबंधन को तौर पर देखा जा रहा है. गोरखपुर और फूलपुर में 11 मार्च को मतदान होना है, जबकि नतीजे 14 मार्च को आएंगे.
यूपी में राहुल गांधी के लिए अच्छे संकेत नहीं, लोकसभा चुनाव 2019 के लिए कैसे बनेगा मोर्चा
गौरतलब है कि पिछले विधानसभा चुनाव में सपा को 28 प्रतिशत और बहुजन समाजवादी पार्टी को 22 प्रतिशत वोट मिले थे. दोनों को जोड़ ले तो ये 50 प्रतिशत वोट हो जाता है ऐसी स्थिति में बीजेपी के लिए उपचुनाव में सपा के प्रत्याशियों को हराना बेहद मुश्किल हो जाएगा.
गोरखपुर और फूलपुर लोकसभा सीटें योगी आदित्यनाथ और केशव प्रसाद मौर्य के इस्तीफे के बाद खाली हुई हैं. दोनों नेता लोकसभा से इस्तीफा देकर उत्तर प्रदेश विधानसभा के सदस्य बन चुके हैं.
VIDEO: सपा का साथ देगी बसपा
23 साल बाद मायावती समाजवादी पार्टी के साथ किसी सियासी में दाखिल हो रही हैं. इसमें मायावती की सियासी जरूरत भी है और दूसरी तरफ समाजवादी पार्टी के नए अध्यक्ष अखिलेश से उन्हें वैसी अदावत भी नहीं जैसी उनके पिता मुलायम के साथ थी. पहला समझौता राज्यसभा-विधान परिषद चुनाव का हुआ है.
राज्यसभा की एक सीट जीतने के लिए 36.36 वोट चाहिए. समाजवादी पार्टी के पास 47 वोट हैं. यानी जीत से 10.64 वोट ज्यादा. बीएसपी के पास 19 वोट हैं, यानी जीत से 17.36 वोट कम. समाजवादी पार्टी बीएसपी को 10.64 वोट देगी और कांग्रेस को पास 7 हैं. इस तरह बीएसपी राज्यसभा की एक सीट जीत जाएगी. बदले में वो समाजवादी पार्टी के विधान परिषद उम्मीदवार को वोट करेगी.
मायावती ने रविवार को लखनऊ में कहा कि उन्होंने राज्यसभा और विधान परिषद चुनावों में समाजवादी पार्टी के साथ तालमेल किया है. राज्यसभा में समाजवादी पार्टी उन्हें वोट देगी और विधान परिषद में वो समाजवादी उम्मीदवार को वोट दिलाएंगी.
उधर रविवार को गोरखपुर में जोनल कोऑर्डिनेटर घनश्याम खरवार और फूलपुर में डॉ. अशोक गौतम ने समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार को समर्थन देने का ऐलान किया.
इस नए रिश्ते पर यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने चुटकी ली और रहीम का एक दोहा सुनाया कि, 'कह रहीम कैसे निभे बेर-केर को संग'. यानी कंटीली बेर और नाजुक केले का साथ कभी नहीं निभ सकता.
समाजवादी पार्टी की तरफ से इसका फौरन जवाब भी आ गया. पार्टी के एमएलसी उदयवीर सिंह ने कहा कि दोनों पार्टियों के रिश्ते अब अच्छे हैं. विधान परिषद और विधानसभा में वो तालमेल के साथ मुद्दे उठा रहे हैं. ये बेर और केले का साथ नहीं है.
BSP (Bahujan Samaj Party) Gorakhpur in-charge Ghanshyam Chandra Kharwar declared support to Samajwadi Party (SP) candidate Praveen Kumar Nishad in upcoming Gorakhpur by-poll pic.twitter.com/4f1YSou3ho
— ANI UP (@ANINewsUP) March 4, 2018
योगी और मौर्या के लिए इन वजहों से ये उपचुनाव बना सबसे बड़ी चुनौती
इसके पहले सूबे में हुए लोकसभा चुनाव में बसपा खाता नहीं खोल पाई थी. वहीं विधानसभा चुनावों में उसकी करारी हार हुई थी, जबकि समाजवादी पार्टी की भी दोनों चुनावों में शर्मनाक हार हुई थी. इस नए समीकरण को आने वाले लोकसभा चुनावों में बीजेपी के खिलाफ एक महागठबंधन को तौर पर देखा जा रहा है. गोरखपुर और फूलपुर में 11 मार्च को मतदान होना है, जबकि नतीजे 14 मार्च को आएंगे.
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गौरतलब है कि पिछले विधानसभा चुनाव में सपा को 28 प्रतिशत और बहुजन समाजवादी पार्टी को 22 प्रतिशत वोट मिले थे. दोनों को जोड़ ले तो ये 50 प्रतिशत वोट हो जाता है ऐसी स्थिति में बीजेपी के लिए उपचुनाव में सपा के प्रत्याशियों को हराना बेहद मुश्किल हो जाएगा.
गोरखपुर और फूलपुर लोकसभा सीटें योगी आदित्यनाथ और केशव प्रसाद मौर्य के इस्तीफे के बाद खाली हुई हैं. दोनों नेता लोकसभा से इस्तीफा देकर उत्तर प्रदेश विधानसभा के सदस्य बन चुके हैं.
VIDEO: सपा का साथ देगी बसपा
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