- बागपत की खाप पंचायत ने समाज में मर्यादा बनाए रखने के लिए लड़कों के हाफ पैंट पहनने पर सख्त प्रतिबंध लगाया है
- पंचायत ने 18 वर्ष से कम उम्र के लड़कों को स्मार्टफोन न देने का निर्णय लिया, जिससे अनुचित प्रभाव रोका जा सके
- मैरिज होम में शादियों को लेकर खाप ने विरोध जताते हुए गांव और घरों में पारंपरिक विवाह कराने पर बल दिया है
पश्चिमी उत्तर प्रदेश के बागपत में खाप चौधरियों की एक बड़ी पंचायत आयोजित की गई, जिसमें समाज में सुधार और मर्यादा बनाए रखने के नाम पर कई सख्त निर्णय लिए गए हैं. इस पंचायत में न केवल लड़कियों, बल्कि लड़कों के पहनावे और उनके मोबाइल फोन इस्तेमाल करने को लेकर भी कड़े नियम बनाए गए हैं.
लड़कों के लिए 'ड्रेस कोड' और स्मार्टफोन पर पाबंदी
पंचायत में सबसे चर्चा का विषय लड़कों के हाफ पैंट (बरमूडा) पहनने पर रोक रहा. देशखाप चौधरी ब्रजपाल सिंह धामा ने स्पष्ट किया कि समाज में मर्यादा बनाए रखना जरूरी है. खाप का मानना है कि लड़के हाफ पैंट पहनकर घर के अंदर और बाहर घूमते हैं, जो कि शोभनीय नहीं है. इससे समाज की बहू-बेटियों के सामने गलत प्रभाव पड़ता है. लड़कों को अब फुल पैंट या पारंपरिक कुर्ता-पजामा पहनने की सलाह दी गई है. पंचायत ने निर्णय लिया कि 18 साल से कम उम्र के लड़कों को स्मार्टफोन नहीं दिया जाना चाहिए. खाप के अनुसार, कम उम्र में फोन का उपयोग युवाओं को गलत दिशा में ले जा रहा है.

मैरिज होम में शादियों का विरोध
शादियों के बढ़ते खर्च और टूटते रिश्तों पर चिंता जताते हुए पंचायत ने 'मैरिज होम' कल्चर के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. खाप का मानना है कि शादियां गांव और घरों में ही होनी चाहिए. उनका तर्क है कि मैरिज होम में होने वाली शादियां अक्सर जल्दी टूट जाती हैं, जबकि पारंपरिक तरीके से घर से होने वाली शादियों में सामाजिक जुड़ाव अधिक रहता है. शादियों में फिजूलखर्ची रोकने के लिए अब व्हाट्सएप (WhatsApp) पर भेजे गए शादी के कार्ड को ही आधिकारिक निमंत्रण मानकर स्वीकार करने का फैसला लिया गया है.

पूरे उत्तर प्रदेश में अभियान चलाने की तैयारी
चौधरी ब्रजपाल सिंह धामा ने बताया कि यह केवल एक जिले का फैसला नहीं है, बल्कि इसे पूरे उत्तर प्रदेश में लागू करने के लिए अन्य खापों से भी संपर्क किया जाएगा. पंचायत ने हाल ही में राजस्थान में लिए गए इसी तरह के सामाजिक फैसलों का भी पुरजोर समर्थन किया है. उन्होंने कहा, "समाज की मर्यादा सर्वोपरि है. जब लड़के हाफ पैंट पहनकर गलियों में निकलते हैं, तो वह अच्छा नहीं लगता. हम चाहते हैं कि युवा अपने संस्कारों और अपनी संस्कृति की ओर लौटें."
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