हरियाणा में सांप्रदायिक झड़पों के बाद अब जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने सांप्रदायिक सद्भाव केा बढ़ावा देने में योगदान के लिए हरियाणा की खाप पंचायतों, विभिन्न सामाजिक संगठनों, सिखों और अन्य लोगों की जमकर सराहना की है. जमीअत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने कहा कि इससे मेवात के पीड़ित मुसलमानों को न केवल हौसला मिला है, बल्कि मुसलमानों पर दंगा भड़काने का आरोप लगाकर धार्मिक उग्रवाद का माहौल तैयार करने की जो खतरनाक साजिश तैयार की गई थी, उसे भी उन्होंने विफल बना दिया. उन्होंने कहा कि वह खुलकर मुसलमानों के साथ सद्भाव का प्रदर्शन न करते तो जो माहौल बनाया जा रहा था उसके प्रभाव अन्य स्थानों पर भी हो सकते थे.
उन्होंने खाप पंचायतों, सामाजिक संगठनों, सिखों और हरियाणा के अन्य लोगों के कदम का स्वागत किया, जिन्होंने 31 जुलाई को नूंह और उसके पड़ोसी इलाकों में हुई झड़पों के बाद संकट की स्थिति में सांप्रदायिक सद्भाव को बढ़ावा दिया. मदनी ने कहा कि इन्होंने न केवल मेवात के मुसलमानों के साथ पूरी एकजुटता और सहानुभूति जताई, बल्कि ‘‘सांप्रदायिक ताकतों की साजिशों को भी उजागर किया.''
उन्होंने कहा, ‘‘इससे न केवल मेवात के उत्पीड़ित मुसलमानों को प्रोत्साहन मिला है, बल्कि समुदाय पर धार्मिक चरमपंथ का माहौल बनाने का आरोप लगाने की खतरनाक साजिश भी नाकाम हो गई है.''
मदनी ने आरोप लगाया कि पुलिस ‘‘मुस्लिम युवकों की गिरफ्तारी'' कर रही है. उन्होंने दावा किया, ‘‘पुलिस की मौजूदगी में सांप्रदायिक समूहों के समर्थन में रैलियां आयोजित की जा रही हैं, जिसमें वे खुलेआम मुसलमानों के आर्थिक बहिष्कार का आह्वान कर रहे हैं, लेकिन सत्तारूढ़ दल इस बुरी प्रवृत्ति को रोकने के लिए न तो राज्य में और न ही केंद्र में कुछ कर रहा है.''
बता दें कि भीड़ द्वारा 31 जुलाई को विश्व हिंदू परिषद की जलाभिषेक यात्रा को रोकने की कोशिश के बाद नूंह में भड़की सांप्रदायिक हिंसा में दो होमगार्ड सहित छह लोगों की मौत हो गई थी.
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