- कांग्रेस, सपा और बसपा मिलकर कुल 46 प्रतिशत वोट हासिल करने में सक्षम
 - सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव को फिलहाल गठबंधन पर बातचीत से परहेज
 - 1996 में कांग्रेस से गठबंधन के अनुभव के मद्देनजर बसपा असमंजस में
 
पांच राज्यों में चुनावों के बाद अब लोकसभा चुनाव को लेकर यूपी में समाजवादी पार्टी और बसपा के बीच गठबंधन की बातचीत शुरू हुई है. कांग्रेस को लेकर अभी भ्रम है कि वह इसका हिस्सा होगी या नहीं, लेकिन सियासत के जानकार कहते हैं कि तीन राज्यों में कांग्रेस की जीत के बाद बने माहौल में गठबंधन में कांग्रेस का होना फायदेमंद है. विश्लेषकों का मानना है कि यदि यह तीनों दल एक साथ हो जाएं तो बीजेपी के लिए कठिन चुनौती बन सकते हैं.
समाजवादी पार्टी में चुनाव के मद्देनजर सम्मेलनों का सिलसिला जारी है. गठबंधन करने के बहुत पहले से संगठन का काम चल रहा है. संगठन के हर हिस्से को काम पर लगाया जा रहा है. अखिलेश वक्त से पहले गठबंधन की तफसील बताने से बचते हैं.
समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव से जब पूछा गया कि “तीन राज्यों में कांग्रेस ने जीत हासिल की है. आपकी पार्टी और बसपा से कोई नहीं गया वहाँ पर…क्या यूपी में गठबंधन निश्चित? उन्होंने कहा, ''उस पर अभी कोई बातचीत नहीं करनी है.” समाजवादी पार्टी के एमएलसी सुनील साजन का कहना है कि समाजवादी पार्टी लगातार ऐसा प्रयास कर रही है कि हम एक ऐसा गठबंधन का स्वरूप निकालें जिससे कम से कम उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी का सफाया हो.
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यूपी में बसपा ने 1996 में कांग्रेस से गठबंधन कर चुनाव लड़ा था. मायावती कहती हैं कि उनका वोट तो कांग्रेस को ट्रांसफर हुआ लेकिन कांग्रेस का उन्हें नहीं मिला. पिछले विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी ने कांग्रेस से गठबंधन किया…लेकिन उम्मीद के मुताबिक कामयाबी नहीं मिली.
तीन राज्यों में कांग्रेस की जीत के बाद सियासी माहौल बदला है. सियासत के जानकार कहते हैं कि गठबंधन के लिए अब कांग्रेस के लिए ज़्यादा माफ़िक़ माहौल है. जानकार कहते हैं कि तीन राज्यों की जीत के बाद अगर कांग्रेस ज़्यादा सीटें न मांगे तो गठबंधन से तीनों दलों को फ़ायदा होगा. इन चुनावों के बाद राहुल गांधी का कद बड़ा हुआ है. कांग्रेस कार्यकर्ताओं में जोश और हौसला आया है. आम लोगों को कांग्रेस लड़ती-संघर्ष करती नज़र आई है और मुस्लिम वोटर में उसके लिए झुकाव पैदा हुआ है.
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पीक्स मीडिया रिसर्च के चुनाव विश्लेषक शमशाद ख़ान कहते हैं कि “जो बसपा का सबसे कम पर्सेंट है वह 19 पर्सेंट है और सपा का 22 पर्सेंट और कांग्रेस का छह. इसको जोड़ देते हैं तो यह ऑलमोस्ट 46 पर्सेंट वोट हो जाते हैं... 47 पर्सेंट के आसपास. अगर यह एलायंस एक हो जाएगा तो आज के समय में जो बीजेपी के पास 73 सीटें हैं उसमें से बीजेपी सिर्फ़ 15 सीटों पर सिमटकर रह जाएगी. उसका सबसे बड़ा कारण यह है कि 51 पर्सेंट वोट जहां हो जाती हैं, उस स्थिति में सिर्फ और सिर्फ़ 12 से 15 सीटें ही जीती जा सकती हैं जो बीजेपी के पास वर्तमान में हैं.
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जाहिर है कि गठबंधन की ऐसी कोशिशें बीजेपी को पसंद नहीं हैं. यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा है कि “पैरों के नीचे की जमीन खिसकती देखकर एक-दूसरे को गले लगाने का कुत्सित प्रयास कर रहे हैं.” अगर वाकई यह गठबंधन हो जाता है तो बीजेपी को लड़ने के लिए कुछ नए हथियार तलाशने पड़ सकते हैं.
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