प्रतीकात्मक फोटो
लखनऊ:
इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने एक छात्रा की बलात्कार के बाद हत्या के दोषी एक व्यक्ति को फांसी देने के निचली अदालत के निर्णय को शुक्रवार को बहाल रखा. न्यायमूर्ति आर.आर. अवस्थी और न्यायमूर्ति महेन्द्र दयाल की पीठ ने सितम्बर 2012 में कक्षा सात की एक छात्रा की बलात्कार के बाद हत्या के मामले में पुतई नामक दोषी व्यक्ति को निचली अदालत द्वारा सुनायी गयी फांसी की सजा को बरकरार रखते हुए टिप्पणी की कि यह सजा बिल्कुल तर्कसंगत है.
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अदालत ने इसी मामले में एक अन्य दोषी दिलीप को दी गयी उम्रकैद की सजा को भी बरकरार रखा है. न्यायालय ने दोनों दोषियों द्वारा निचली अदालत के निर्णय के खिलाफ दायर अपीलों पर यह निर्णय दिया. शासकीय अधिवक्ता विमल श्रीवास्तव ने इन अपीलों का विरोध करते हुए कहा कि लखनऊ की अपर सत्र अदालत ने 2014 में पुतई और दिलीप को जो सजा सुनायी थी वह परिस्थितिजन्य सबूतों पर आधारित थी, जिनसे यह साबित होता है कि दोनों दोषियों ने किस वहशीपन से इस वारदात को अंजाम दिया.
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पुतई और दिलीप के खिलाफ लखनऊ के मोहनलालगंज थाने में पांच सितम्बर 2012 को 12 वर्षीय लड़की की बलात्कार के बाद हत्या करने के आरोप में मामला दर्ज कराया गया था.
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