उत्तर प्रदेश के एटा जिले में एक पुलिस निरीक्षक और कम से कम दो कांस्टेबल को एक फर्जी मुठभेड़ के बाद ढाबा मालिक और नौ अन्य लोगों को गिरफ्तार करने और जेल भेजने के आरोप में निलंबित कर दिया गया है. पुलिस की ओर से पहले दावा किया था कि इन लोगों के पास से अवैध शराब और कैनबिस (गांजा) बरामद हुआ था. कहा जा रहा है कि यह सब कार्रवाई तब की गई जब ढाबे पर खाना खा रहे दो पुलिसकर्मियों से ढाबे के मालिक ने खाने का पैसा मांगा.
ढाबा मालिक और अन्य लोगों को चार फरवरी को गिरफ्तार किया गया था. इसमें ग्राहक भी शामिल हैं, जिन्होंने कथित तौर पर ढाबा संचालक का पक्ष लिया था. पुलिस की ओर से जारी प्रेस नोट में कहा गया था कि आरोपी शराब और ड्रग्स की तस्करी करने की कोशिश कर रहे थे और रात्रि में एक मुठभेड़ के बाद उन्हें गिरफ्तार किया गया.
पुलिस ने प्रेस नोट में आगे कहा कि उनके पास से 6 कंट्री मेड रिवॉल्वर, 12 जिंदा कारतूस, दो किलो गांजा और 80 लीटर शराब बरामद हुई थी.
हालांकि, ढाबा मालिक के भाई की कहानी बिल्कुल अलग है. ढाबा मालिक के भाई प्रवीण कुमार ने मीडियाकर्मियों को बताया कि 4 फरवरी को दोपहर 2 बजे, कुछ पुलिसकर्मी मेरे ढाबे में खाना खाने आए थे. मेरा भाई वहां था... मैं घर पर था. खाने के पैसे को लेकर पुलिसकर्मियों और मेरे भाई का विवाद हो गया. वो लोग रोज आते थे लेकिन कभी पैसे नहीं देते थे. कभी-कभी वे 100 रुपये दे देते थे, वास्तव में वह उससे चार गुना ज्यादा कीमत का खाना खा जाते थे."
उसने कहा कि उन लोगों ने शराब पी हुई थी.. उन्होंने मेरे भाई को मारा, गाली दी और धमकी दी. कुछ देर बाद दो पुलिस जीप मेरे ढाबे पर आई और मेरे भाई समेत अन्य लोगों पुलिस थाने ले गई. मेरे भाई के पास अवैध शराब मिली है यह कहते हुए केस थोप दिए. कुमार ने कहा कि पुलिस ने दावा किया मेरे भाई और अन्य लोगों को एक मुठभेड़ के बाद गिरफ्तार किया गया.
ए़डीजी रैंक के अधिकारी राजीव कृष्ण ने बयान में कहा, "कोतवाली देहात पुलिस स्टेशन के प्रभारी के खिलाफ गंभीर आरोप लगाए गए थे. मैंने एटा के एसपी क्राइम से जांच करने को कहा था और प्रथम दृष्टया आरोप साबित हुए हैं."
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