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This Article is From Sep 26, 2018

रिटायर्ड आईएएस का दावा- यूपी में मंत्रियों के प्राइवेट PRO 7 प्रतिशत कमीशन पर बांट रहे ठेका

उत्तर प्रदेश के रिटायर्ड आईएएस सूर्यप्रताप सिंह ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट लिखकर उत्तर प्रदेश के कुछ मंत्रियों को भ्रष्टाचार में लिप्त बताया है.

रिटायर्ड आईएएस का दावा- यूपी में मंत्रियों के प्राइवेट PRO 7 प्रतिशत कमीशन पर बांट रहे ठेका
उत्तर प्रदेश विधानसभा की फाइल फोटो.
  • रिटायर्ड आईएएस सूर्यप्रताप सिंह का दावा
  • यूपी में मंत्रियों के पीआरओ सात प्रतिशत कमीशन पर बांट रहे ठेका
  • कहा- सरकार नहीं प्राइवेट पीआरओ रखते हैं मंत्री
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नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश के रिटायर्ड आईएएस सूर्यप्रताप सिंह ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट लिखकर उत्तर प्रदेश के कुछ मंत्रियों को भ्रष्टाचार में लिप्त बताया है. उन्होंने कहा है कि कई मंत्रियों ने प्राइवेट पीआरओ रखे हैं, जो सात प्रतिशत कमीशन लेकर ठेके दे रहे हैं. सिंह के मुताबिक सचिवालय सेवा के कर्मचारियों को पीएस या पीए बनाने की व्यवस्था है, क्योंकि गड़बड़ी पर उसके खिलाफ सरकारी नियमों के तहत कार्रवाई हो सकती है. मगर प्राइवेट व्यक्तियों को रखकर मंत्री काम करा रहे, जिससे गड़बड़ी होने पर उनके खिलाफ कोई एक्शन नहीं हो सकता. सूर्यप्रताप सिंह इससे पहले सचिव रहते अखिलेश यादव सरकार के खिलाफ भी मोर्चा खोल चुके हैं. सरकार से पटरी न खाने पर उन्होंने बाद में इस्तीफा देकर स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले ली. उन्होंने यूपी में मुख्यमंत्री को ईमानदार मगर मंत्रियों को भ्रष्ट बताया है. तंज कसते हुए कहा-जय हो ईमानदार सरकार की...जमाना रिश्वत का...।

सूर्यप्रताप सिंह ने फेसबुक पर लिखा

है पैसे का जोर, ज़माना रिश्वत का.... उ.प्र. में सात प्रतिशत वाले मंत्रियों के PRO जी को प्रणाम करो !
उत्तर प्रदेश में मंत्रियों के यहाँ अपनी पसंद से PRO/OSD रखने का चलन आजकल ज़ोरों पर है .... सचिवालय सेवा के कर्मचारी PS या PA भी तैनात हैं, जो राजकीय सेवक हैं लेकिन मंत्रीगणों को उनपर भरोसा नहीं है. स्थायी कर्मचारी कोई गड़बड़ करता है तो उसकी एक अकाउंटबिलिटी होती है और उसे ससपेंड किया जा सकता है .... लेकिन प्राइवट व्यक्ति यदि सरकारी काम काज देखता है तो न केवल नियम व नैतिकता के विरुद्ध है अपितु अनियमितता करने पर उसके विरुद्ध कोई करवाई भी नहीं की जा सकती ..... कई लोग ऐसे भी हैं जिनकी काग़ज़ पर नियुक्ति हेतु लिखापढ़ी भी नहीं है, उनका क्या करिएगा... कोई उत्तरदायित्व निर्धारण भी नहीं हो सकता. 
उदाहरण के लिए माध्यमिक शिक्षा विभाग में बोर्ड में मंत्री जी की ख़ास एक... हैं जिनके यहां म्यूचुअल स्थानांतरण की 400 पत्रावली रखी हैं और सौदेबाज़ी हो रही है कि रु. दो लाख दे ज़ाओ और आदेश ले जाओ ... हाल है, तथाकथित ईमानदार मंत्री जी के विभाग का. इसी प्रकार एक चिकित्सा शिक्षा विभाग के मंत्री के यहाँ कोई कन्नौजिया सर हैं और वे यहाँ ऊपर वाला सभी हिसाब किताब देखते हैं ... छह मेडिकल कॉलेज खोले जा रहे हैं उसमें निर्माण/आर्किटेक्ट के लिए सात कमिशन कनौजिया जी ने फ़िक्स किया है. इसी प्रकार सड़क निर्माण विभाग में भी सात प्रतिशत भेंट एक PRO जी को चढ़ायो और कोई भी ठेका पायो.... ये ईमानदारी का हिसाब किताब है. इस प्रदेश में किसी की भी सरकार बनवा लो , हाल यही रहना है. लगभग सभी मंत्रियों के यहां लूट मची है... मैंने गन्ना विभाग में चीनी विक्रय घोटाला मैंने पूर्व में लिखा ही था. ऐसा लग रहा है जैसे आगे मौक़ा मिले या नहीं. 
इस सरकार में मंत्रियों के यहां सात का अंक बड़ा लोकप्रिय है . किसी भी काम का सात कमीशन दो और काम कराओ. 
जय हो ..... ईमानदार सरकार की. ख़ूब लूटो और ऊपर से ईमानदारी का ढिंढोरा भी पिटो .....लोकतंत्र में कैसा मज़ाक़ चल रहा है. दूसरी सरकारों को बेईमान बता कर अपने को ईमानदार कहो काम हो जाएगा.... उल्टा चोर कोतवाल को डांटे. अरे, दूसरी सरकारें बेईमान थी तभी तो आपको लाए थे .... और अब आपने भी भ्रष्टाचार के रिकोर्ड तोड़ दिए .... जनता कहां जाए. 
2019 के चुनाव में शायद ये सब पैसा काम न आए .... लोग बहुत नाराज़ हैं ... ग़लतफ़हमी का इलाज जनता के पास है. 
उत्तर प्रदेश में ईमानदार मुख्यमंत्री के भ्रष्ट मंत्रियों की रिश्वतख़ोरी के बोझ के तले दम तोड़ती जनमानस की आशाएं .... दोनों हाथ बटोर, ज़माना रिश्वत का... ईमानदार सरकार, ज़माना रिश्वत का !!


 

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