
52 जुमा, साल में एक होली संभल के सीओ अनुज चौधरी के इस बयान से देश में ऐसी बहस छिड़ीं कि त्योहार को लेकर ही फालतू बयानबाजी होने लगीं. जब कुछ लोग हिंदू-मुस्लिम की बहस में पड़कर भाईचारे को खत्म करने पर आमदा हैं, तब वृंदावन के बांके बिहारी मंदिर (Banke Bihari Temple) से ऐसी खबर आ रही है कि जो हर किसी के लिए मिसाल से कम नहीं. खासकर उन लोगों के लिए जो बेतुकी बयानबाजी कर त्योहार से पहले ही आपसी सौहार्द को बिगाड़ने की कोशिश में लगे हैं. वृंदावन के बांके बिहारी मंदिर में भगवान कृष्ण के लिए मुस्लिम बुनकरों के बनाए गए कपड़ों पर प्रतिबंध लगाने से मना कर दिया है.
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बांके बिहारी की पोशाक बनाते रहेंगे मुस्लिम बुनकर
बांके बिहारी मंदिर में भगवान कृष्ण के लिए मुस्लिम बुनकरों के बनाए गए कपड़ों पर प्रतिबंध लगाने की मांग की गई थीं. लेकिन मंदिर प्रशासन ने बुधवार को इस प्रस्ताव को खारिज कर दिया. मंदिर प्रशासन ने बिल्कुल साफ कर दिया कि भगवान परिधानों के लिए चयन प्रक्रिया में किसी तरह का कोई बदलाव नहीं किया जाएगा. शाही ईदगाह मस्जिद विवाद में शामिल श्री कृष्ण जन्मभूमि संघर्ष न्यास के अध्यक्ष दिनेश फलाहारी ने मंगलवार को मंदिर प्रशासन को एक ज्ञापन सौंपा था. इसमें कहा गया था, अगर कोई विधर्मी जो हमारे धर्म का पालन नहीं करता है, ठाकुरजी (भगवान कृष्ण) को अपने हाथों से बनाई गई कोई भी चीज़ प्रदान करता है तो उसे स्वीकार नहीं किया जा सकता है. जो भी ऐसा करते हैं वे बड़ा पाप कर रहे हैं.
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मंदिर प्रशासन ने इस बारे में क्या कुछ बताया
मंदिर प्रशासन के एक सदस्य ज्ञानेंद्र किशोर गोस्वामी ने टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया, “हमें मुस्लिम बुनकरों द्वारा बनाई गई पोशाकों का उपयोग बंद करने का प्रस्ताव मिला है. हमारी प्राथमिक चिंता ठाकुरजी को चढ़ाई जाने वाली पोशाकों की शुद्धता और पवित्रता सुनिश्चित करना है. यदि मुस्लिम समुदाय के सदस्यों की ठाकुरजी में आस्था है, तो हमें उनसे पोशाकें स्वीकार करने में कोई आपत्ति नहीं है.” उन्होंने कहा कि कोई भी व्यक्ति प्रस्ताव प्रस्तुत करने के लिए स्वतंत्र है. गोस्वामी ने कहा कि 164 साल पुराने इस मंदिर में प्रतिदिन विभिन्न पृष्ठभूमियों से 30,000 से 40,000 भक्त आते हैं, वीकेंड और त्यौहारों पर यह संख्या एक लाख को पार कर जाती है.
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