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This Article is From Mar 14, 2025

VIDEO: बांके बिहारी मंदिर में भी जमकर उड़ा गुलाल, होली खेलने के लिए जुटी लोगों की भीड़

वृंदावन के बांके बिहारी मंदिर में जमकर गुलाल उड़ा. कान्हा का हर भक्त होली के उत्सव में झूम रहा है.

VIDEO: बांके बिहारी मंदिर में भी जमकर उड़ा गुलाल, होली खेलने के लिए जुटी लोगों की भीड़
बांके बिहारी में होली की धूम
मथुरा:

यूपी के वृंदावन के बांके बिहारी मंदिर में जमकर होली खेली जा रही है. होली का पर्व धूमधाम और उल्लास के साथ मनाया जा रहा है. मंदिर में भक्तों की भारी भीड़ जुटी है. भीड़ में शामिल लोग रंगों से रंगे हुए हैं. इसी तरह देश के बाकी मंदिरों में भी होली खेली जा रही है. उत्तर प्रदेश के हर हिस्से में गुलाल और अबीर उड़ने के साथ रंगों से एक-दूसरे को सराबोर करने हुरियारे निकल पड़े. राज्य के अलग-अलग हिस्सों में होली खेली जा रही है. यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ ने भी फूल और रंगों से होली खेली. 

बांके बिहारी मंदिर ने पेश की भाईचारे की मिसाल

वृंदावन के प्रसिद्ध बांके बिहारी मंदिर के सेवायतों ने भगवान के लिए मुस्लिम कारीगरों द्वारा बनाई जाने वाली पोशाकों का इस्तेमाल बंद करने की मांग को खारिज कर दिया था. इस बात पर बल दिया कि मंदिर की परंपराओं में धार्मिक भेदभाव का कोई स्थान नहीं है. यह मांग श्री कृष्ण जन्मभूमि मुक्ति संघर्ष न्यास के नेता दिनेश शर्मा ने उठाई थी. उन्होंने मंदिर प्रबंधन से मुस्लिम कारीगरों की सेवा लेने से बचने और यह सुनिश्चित करने का आग्रह किया कि भगवान कृष्ण की पोशाक केवल उन लोगों द्वारा तैयार की जाए जो ‘‘धार्मिक शुचिता'' का ध्यान रखते हों.

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बांके बिहारी की पोशाक बनाते रहेंगे मुस्लिम

मंदिर के सेवायतों को लिखे पत्र में दक्षिणपंथी समूह ने दलील दी कि भगवान की पोशाक उन लोगों द्वारा नहीं बनाई जानी चाहिए जो हिंदू परंपराओं या गोरक्षा का सम्मान नहीं करते हैं. पत्र में यह भी चेतावनी दी गई कि अगर मांग को नहीं माना गया तो संगठन विरोध-प्रदर्शन शुरू करेगा. मांग को नकारते हुए मंदिर के सेवायत ज्ञानेंद्र किशोर गोस्वामी ने कहा, ‘‘ऐसा किया जाना संभव ही नहीं है. वैसे भी, हम किसी सम्प्रदाय विशेष से भेदभाव या परहेज नहीं करते. जो श्रद्धालु ठाकुरजी को पोशाक अर्पित करते हैं वे स्वयं शुचिता का पालन करके ही पोशाक बनाते हैं.''

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धर्म के आधार पर कारीगरों का चुनाव नहीं

गोस्वामी ने कहा कि कारीगरों का मूल्यांकन धर्म के आधार पर नहीं किया जा सकता है. उन्होंने हिंदू धर्मग्रंथों से ऐतिहासिक उदाहरणों का हवाला दिया जहां पुण्य और पापी दोनों व्यक्ति एक ही परिवार में पैदा हुए. उन्होंने कहा, ‘‘भगवान कृष्ण के नाना उग्रसेन के परिवार में कंस जैसे पापी का जन्म हुआ तो हिरण्यकश्यप जैसे हरि विरोधी के घर में प्रह्लाद रूपी नारायण भक्त ने जन्म लिया. इस प्रकार कहना यह है कि अच्छे और बुरे मनुष्य तो कहीं भी, किसी भी धर्म, सम्प्रदाय या कुल में हो सकते हैं.''

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