नाजिया को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वीरता पुरस्कार से नवाजेंगे
- नाजिया ने अपने मोहल्ले में चल रहे जुए के धंधे को बंद करवाया
- बदमाश नाजिया का पीछा करते थे और उसकी पिटाई भी हुई
- नाजिया ने हार नहीं मानी और निडर होकर सबका सामना किया
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नई दिल्ली:
उत्तर प्रदेश की नाजिया उन 18 बच्चों में शामिल हैं जिन्हें 24 जनवरी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार से नवाजा जाएगा. नाजिया ने अपने मोहल्ले में चल रहे जुए और सट्टे के अवैध धंधे के खिलाफ न सिर्फ आवाज उठाई बल्कि उसे बंद करवाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. नाजिया रिपब्लिक डे परेड में भी हिस्सा लेंगी.
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18 साल की नाजिया आगरा जिले के मंटोला इलाके की रहने वाली हैं. उनके पड़ोस में पिछले कई सालों से अवैध रैकेट चल रहा था. जुए के इस कारोबार से वहां रहने वाले लोग और दुकानदार आतंकित थे. किसी में आवाज उठाने की हिम्मत नहीं थी, लेकिन नाजिया डरी नहीं. नाजिया ने साहस दिखाते हुए सबूत इकट्ठा किए और 13 जुलाई 2016 को पुलिस को इस गोरखधंधे की जानकारी दी. उनकी शिकायत पर पुलिस ने रेड डाली और चार लोगों के गिरफ्तार कर लिया. यही नहीं सट्टेबाजी का अवैध धंधा भी बंद हो गया.
कहानी यहीं खत्म नहीं होती. नाजिया ने हिम्मत का काम किया था, लेकिन उन्हें इसकी कीमत भी चुकानी पड़ी. उन्हें लगातार धमकियां मिल रही थीं. यहां तक कि उनका घर से निकलना और स्कूल आना जाना तक मुहाल हो गया. बदामश हर वक्त उनका पीछे करते और एक बार तो उन्हें किडनैप करने की भी कोशिश की गई. यही नहीं नाजिया और उनके माता-पिता की पिटाई भी की गई. इन सबका असर नाजिया की सेहत पर पड़ने लगा, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी. उन्होंने इस सब की जानकारी अधिकारियों को दी. इसके बावजूद हालात नहीं बदले और उत्पीड़न जारी रहा.
आखिरकार नाजिया ने ट्वीट कर राज्य के मुख्यमंत्री से मदद मांगी. तब कहीं जाकर बदमाशों के खिलाफ कार्रवाई हुई और नाजिया को सुरक्षा मुहैया कराई गई.
नाजिया ने अपने अद्वितीय पराक्रम से दूसरों के लिए आवाज उठाई और अंजाम की परवाह किए बगैर निडर होकर सामना किया. नाजिया के शौर्य को हमारा सलाम.
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18 साल की नाजिया आगरा जिले के मंटोला इलाके की रहने वाली हैं. उनके पड़ोस में पिछले कई सालों से अवैध रैकेट चल रहा था. जुए के इस कारोबार से वहां रहने वाले लोग और दुकानदार आतंकित थे. किसी में आवाज उठाने की हिम्मत नहीं थी, लेकिन नाजिया डरी नहीं. नाजिया ने साहस दिखाते हुए सबूत इकट्ठा किए और 13 जुलाई 2016 को पुलिस को इस गोरखधंधे की जानकारी दी. उनकी शिकायत पर पुलिस ने रेड डाली और चार लोगों के गिरफ्तार कर लिया. यही नहीं सट्टेबाजी का अवैध धंधा भी बंद हो गया.
कहानी यहीं खत्म नहीं होती. नाजिया ने हिम्मत का काम किया था, लेकिन उन्हें इसकी कीमत भी चुकानी पड़ी. उन्हें लगातार धमकियां मिल रही थीं. यहां तक कि उनका घर से निकलना और स्कूल आना जाना तक मुहाल हो गया. बदामश हर वक्त उनका पीछे करते और एक बार तो उन्हें किडनैप करने की भी कोशिश की गई. यही नहीं नाजिया और उनके माता-पिता की पिटाई भी की गई. इन सबका असर नाजिया की सेहत पर पड़ने लगा, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी. उन्होंने इस सब की जानकारी अधिकारियों को दी. इसके बावजूद हालात नहीं बदले और उत्पीड़न जारी रहा.
आखिरकार नाजिया ने ट्वीट कर राज्य के मुख्यमंत्री से मदद मांगी. तब कहीं जाकर बदमाशों के खिलाफ कार्रवाई हुई और नाजिया को सुरक्षा मुहैया कराई गई.
नाजिया ने अपने अद्वितीय पराक्रम से दूसरों के लिए आवाज उठाई और अंजाम की परवाह किए बगैर निडर होकर सामना किया. नाजिया के शौर्य को हमारा सलाम.
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