
- राज्य चुनाव आयोग ने AI से वोटर लिस्ट का सर्वे कर सवा करोड़ फर्जी वोटर्स की पहचान की है
- सर्वे में पता चला कि एक ही व्यक्ति ग्राम पंचायत और नगरीय निकाय दोनों जगह वोटर के रूप में दर्ज है
- आयोग ने सभी जिलाधिकारियों को बीएलओ से सर्वे रिपोर्ट की जांच कराने और शासन को रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया है
उत्तर प्रदेश में अगले साल होने वाले पंचायत चुनाव से पहले फर्जी वोटर्स को लेकर एक बड़ी खबर है. उत्तर प्रदेश चुनाव आयोग ने यूपी के वोटर लिस्ट का आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस से एक सर्वे कराया है. इस सर्वे में सवा करोड़ ऐसे वोटर्स की जानकारी मिली है जो ग्राम पंचायत के अलावा नगरीय निकायों में भी वोटर हैं. यानी एक आदमी दो जगह वोटर बना बैठा है. इस मामले में पंचायती राज मंत्री ओम प्रकाश राजभर ने एनडीटीवी से इस बाबत जानकारी देते हुए कहा कि प्रदेशभर में सवा करोड़ फ़र्ज़ी वोटर्स का मामला सामने आया है.
इसको लेकर चुनाव आयोग ने सभी ज़िलों के ज़िलाधिकारियों को बीएलओ से इस सर्वे रिपोर्ट की जांच कराने को कहा है. जिन वोटर्स का नाम दो जगहों पर आया है, उनकी बीएलओ जांच कर शासन को रिपोर्ट सौंपेंगे. इस रिपोर्ट के आधार पर अगर इस फ़र्ज़ीवाड़े की पुष्टि होती है तो एक जगह से वोटर का नाम काटा जाएगा. ओम प्रकाश राजभर ने इस फ़र्ज़ीवाड़े के खेल के पीछे नेताओं की मिलीभगत को ज़िम्मेदार ठहरा दिया. उन्होंने कहा कि स्थानीय स्तर पर चुनाव जीतने के लिए नेता आसपास के इलाक़ों से अपने लोगों का नाम अपने क्षेत्र के वोटर लिस्ट से बीएलओ से मिलकर बनवा देते हैं.
गौरतलब है कि बिहार में वोटर लिस्ट को लेकर काफी बखेड़ा किया हुआ था. इसमें चुनाव आयोग ने 65 लाख नाम डिलीट किए थे. इसको लेकर मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा था. सुप्रीम कोर्ट ने वोटर लिस्ट में नाम जुड़वाने के लिए चुनाव आयोग से आधार को भी अन्य दस्तावेजों के साथ स्वीकार करने को कहा है.
बिहार में कांग्रेस ने वोटर लिस्ट को बड़ा मुद्दा बनाया था. कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने इसे वोट चोरी का नाम देते हुए 14 दिनों की वोट अधिकार यात्रा निकाली थी.
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