क्या होता है इंस्टीट्यूशनल क्वारंटीन, होम क्वारंटीन से कितना होता है अलग, और क्या हैं इसपर नई गाइडलाइंस?

Institutional Quarantine Guidelines : संस्थागत क्वारंटीन में एक निश्चित स्थान तय किया जाता है जहां कोरोना के संदिग्ध या कोरोना के मरीजों को रखा जाता है. ये प्रक्रिया इसलिए की जाती है ताकि वे सामान्य लोगों से दूर रह सकें और संक्रमण फैलने से रुक सके.

क्या होता है इंस्टीट्यूशनल क्वारंटीन, होम क्वारंटीन से कितना होता है अलग, और क्या हैं इसपर नई गाइडलाइंस?

Omicron वेरिएंट के चलते इंस्टीट्यूशनल क्वारंटीन को फिर से बढ़ावा दिया जा रहा है. (प्रतीकात्मक तस्वीर)

नई दिल्ली:

दुनियाभर में कोरोनावायरस के नए वेरिएंट Omicron के बढ़ते खतरे के बाद क्वारंटीन को लेकर नई गाइडलाइन जारी कर दी गई हैं. खासतौर से महाराष्ट्र जैसे राज्य, जहां बड़ी संख्या में विदेश से लोग आते हैं, इस मामले में सतर्कता बरत रहे हैं. महाराष्ट्र ने गुरुवार को 6 'अल्ट्रा रिस्क' वाले देशों से आने वालों को सात दिन के इंस्टीट्यूशनल क्वारंटीन (Institutional Quarantine) में रहना जरूरी होगा. महाराष्ट्र ने साउथ अफ्रीका, बोत्सवाना और जिम्बाब्वे से आने वालों के लिए ये सख्त गाइडलाइन जारी की है. ओमिक्रॉन की दस्तक के बाद सभी राज्य अपने-अपने स्तर पर ये गाइडलाइन जारी कर रहे हैं. इस संदर्भ में राष्ट्रीय स्तर पर भी एक गाइडलाइन तय हो चुकी है.

ये गाइडलाइंस जानने से पहले समझिए संस्थागत क्वारंटीन क्या होता है और होम क्वारंटीन से कितना अलग है.

संस्थागत क्वारंटीन और होम क्वारंटीन में अंतर

कोरोना काल की पहली, दूसरी लहर और अब ऑमिक्रॉन के खतरे के बीच क्वारंटीन शब्द बहुत सुना गया. इसमें भी दो अलग-अलग श्रेणियां सुनने को मिलीं- संस्थागत यानी इंस्टीट्यूशनल क्वारंटीन और होम क्वारंटीन. आपको ये तो पता चल ही गया होगा कि क्वारंटीन का मतलब ही होता है पृथकवास. मरीज को दूसरों से पृथक यानी अलग रखा जाता है, ताकि वायरस का संक्रमण रोका जा सके.

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संस्थागत क्वारंटीन में एक निश्चित स्थान तय किया जाता है जहां कोरोना के संदिग्ध या कोरोना के मरीजों को रखा जाता है. ये प्रक्रिया इसलिए अपनाई जाती है ताकि वे सामान्य लोगों से दूर रह सकें और संक्रमण फैलने से रुक सके. इसमें पीड़ित को घर से अलग एक ऐसे स्थान पर रखा जाता है जहां कोरोना के उपचार से जुड़ी सभी सुविधाएं उपलब्ध होती हैं. लेकिन पीड़ित क्वारंटीन अवधि में किसी अन्य व्यक्ति से मिलजुल नहीं सकता. यह अस्पताल या केयरटेकिंग सेंटर जैसा होता है. कोविड के दौरान देशभर में ऐसे इंस्टीट्यूशन क्वारंटीन सेंटर बनाए गए थे.

जबकि होम क्वारंटीन में कोरोना पीड़ित घर पर ही रहता है. लेकिन इसके लिए भी जितना संभव हो, उसे घर में अलग कोना, कमरा दिया जाता है, जहां वो पृथक होकर रह सके. घर पर क्वारंटीन होने पर मरीज को अस्पताल जैसी सुविधा तो नहीं मिलती, लेकिन उसे डॉक्टर के संपर्क में लगातार रहने की सलाह दी जाती है. जो भी होम क्वारंटीन में रहता है उसे अपने कमरे से बाहर नहीं निकलना चाहिए और क्वारंटीन नियमों का पूरी तरह पालन करना चाहिए, ताकि घर के किसी दूसरे सदस्य को इस संक्रामक रोग का सामना न करना पड़े.

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नई गाइडलाइंस

  • ओमिक्रॉन के बाद नई गाइडलाइन के तहत सभी यात्रियों को एयर सुविधा पोर्टल पर लॉग इन कर पिछले 14 दिनों के यात्रा और लोकेशन पूरी जानकारी देनी होगी.
  • यात्रा के समय से कम से कम 72 घंटे पहले की RTPCR रिपोर्ट अपलोड करनी होगी. इस रिपोर्ट के निगेटिव होने की स्थिति में ही यात्रा संभव होगी.
  • जो लोग ओमिक्रॉन के तहत हाई रिस्क वाले देशों से आ रहे हैं उनका एयरपोर्ट पर ही टेस्ट होगा. टेस्ट की रिपोर्ट आने तक उन्हें एयरपोर्ट पर ही इंतजार करना होगा. रिपोर्ट अगर निगेटिव आती है तो भी उन्हें होम आइसोलेशन में रहना ही होगा. उनके सैंपल को ओमिक्रॉन की जांच के लिए जीनोम सीक्वेंसिंग के लिए भी भेजा जाएगा.
  • यात्रियों को थर्मल स्क्रीनिंग से भी गुजरना होगा. महामारी के लक्षण न होने पर ही यात्रा करने का मौका मिलेगा.
  • फ्लाइट में कोरोना के लक्षण दिखने पर यात्री को फ्लाइट में ही आइसोलेट किया जाएगा.
  • होम क्वारंटीन के दौरान किसी को कोरोना के लक्षण दिखते हैं तो उसे अपने नजदीक स्थित स्वास्थ्य केंद्र या फिर नेशनल हेल्पलाइन नंबर- +91-11-23978046- पर जानकारी देनी होगी.
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