लोकल डेटा स्टोरेज के नियमों को लेकर केंद्रीय रिजर्व बैंक (Reserve Bank of India) की पेमेंट सर्विस प्रोवाइडर्स के साथ काफी वक्त से खींचतान चल रही है. इस लड़ाई में बुधवार को इस क्षेत्र की ग्लोबल दिग्गज Mastercard को बड़ा झटका लगा है. आरबीआई ने बड़ा एक्शन लेते हुए सर्विस प्रोवाइडर के भारत में नए ग्राहक जोड़ने पर रोक लगा दी है (RBI bans Mastercard). केंद्रीय बैंक ने कहा है कि कंपनी ने लोकल डेटा स्टोरेज के उसके नियमों का उल्लंघन किया है. केंद्रीय बैंक ने एक बयान में कहा, ‘रिजर्व बैंक ने आज (बुधवार) मास्टरकार्ड एशिया पैसेफिंग पीटीई लि. (मास्टर कार्ड) पर 22 जुलाई, 2021 से डेबिट, क्रेडिट या प्रीपेड कार्ड के नये घरेलू ग्राहक बनाने को लेकर प्रतिबंध लगा दिया.'
मास्टरकार्ड के लिए बहुत बड़ा झटका, UPI ने भी बढ़ाई चिंताएं
मास्टरकार्ड के लिए भारत में यह फैसला बहुत बड़ा झटका है क्योंकि उसकी इस बाजार में बड़ी हिस्सेदारी है. लंदन की पेमेंट स्टार्टअप कंपनी PPRO के अनुसार, पिछले साल भारत में हुए कुल कार्ड पेमेंट में अकेले 33 फीसदी कार्ड मास्टरकार्ड के थे.
वैसे भी ग्लोबल पेमेंट सर्विस प्रोवाइड भारत में UPI (United Payments Interface ) ट्रांजैक्शन के बढ़ती लोकप्रियता से चिंतित हैं. इसके कार्डलेस और कैशलेस पेमेंट सुविधाओं ने लोगों का भरोसा जीता है और इस माध्यम पर ज्यादा निर्भरता बढ़ाई है. अकेले पिछले महीने जून में ही 2.8 बिलियन यूपीआई ट्रांजैक्शन हुए थे, जिसमें लगभग 5.5 ट्रिलियन रुपये का लेन-देन हुआ था.
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क्या पुराने ग्राहकों पर पड़ेगा असर?
नहीं. मास्टरकार्ड के पुराने ग्राहकों पर इसका कोई असर नहीं पड़ेगा. आरबीआई ने कहा है कि इस फैसले से पुराने ग्राहकों पर कोई असर नहीं होगा. मास्टरकार्ड इशू करने वाले बैंक और नॉन-बैंकों को मास्टरकार्ड की ओर से दी गई गाइडलाइंस फॉलो करनी होंगी. इस आदेश के बाद मास्टरकार्ड 22 जुलाई, 2021 से नए कार्ड जारी नहीं कर पाएगा, लेकिन हां, वो अपने पुराने कस्टमरों को अपनी सेवाएं देता रहेगा.
2018 के सर्कुलर का किया है उल्लंघन
आरबीआई के अनुसार उसने पेमेंट सिस्टम के डेटा के रखरखाव को लेकर 6 अप्रैल, 2018 को एक सर्कुलर जारी किया था. इसके तहत सभी संबंधित सर्विस प्रोवाइडरों को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया गया कि वे छह महीने के भीतर भुगतान व्यवस्था से संबंधित सभी आंकड़े केवल भारत में ही रखने की व्यवस्था करें. साथ ही उन्हें इसके अनुपालन के बारे में आरबीआई को जानकारी देनी थी. लेकिन आरबीआई का कहना है कि इस ग्लोबल कंपनी ने देश में अबतक इस नियम का पालन नहीं किया है.
मास्टरकार्ड पर पाबंदी की घोषणा करते हुए रिजर्व बैंक ने कहा, ‘कंपनी को पर्याप्त समय और अवसर देने के बाद भी, वह भुगतान प्रणाली आंकड़ों के रखरखाव पर दिशानिर्देशों का अनुपालन करने में विफल रही है.'
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केंद्रीय बैंक इसके पहले अमेरिकन एक्सप्रेस बैंकिंग कॉर्प और डाइनर्स क्लब इंटरनेशनल लिमिटेड को भी अपने कार्ड नेटवर्क पर नए घरेलू ग्राहकों को जोड़ने से बैन कर दिया था. इनपर भी डेटा स्टोरेज से जुड़े मानदंडों का उल्लंघन करने का आरोप लगा था. बता दें कि मास्टरकार्ड, वीजा और अमेरिकन एक्सप्रेस तीनों ने डेटा स्टोरेज नियमों का विरोध किया है. इसके पीछे उनकी दलील बढ़ी हुई लागत है.
मास्टरकार्ड ने इस बैन पर क्या कहा है?
मास्टरकार्ड ने अपने एक बयान में कहा, ‘कंपनी कानून और नियामकीय दायित्वों को पूरा करने लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है. वर्ष 2018 में देश में ही घरेलू भुगतान लेनदेन आंकड़ा रखे जाने की आवश्यकता वाले आरबीआई के निर्देश के जारी होने के बाद से, हमने अपनी गतिविधियों और अनुपालन के बारे में लगातार जानकारी और रिपोर्ट प्रदान की है. हालांकि हम आरबीआई के रुख से निराश हैं, लेकिन हम उनकी चिंताओं को दूर करने के लिए आवश्यक अतिरिक्त विवरण प्रदान करने को लेकर उनके साथ काम करना जारी रखेंगे.'
(एजेंसियों से इनपुट के साथ)
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