
प्रधानमंत्री जन धन योजना (PMJDY) ने 11 साल पूरे कर लिए हैं और इस दौरान 56 करोड़ से ज्यादा बैंक खाते खोले गए हैं. इन खातों में कुल जमा राशि 2.68 लाख करोड़ रुपए तक पहुंच गई है. यह योजना अगस्त 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुरू की थी ताकि हर घर बैंकिंग सेवाओं से जुड़ सके.
ग्रामीण और महिलाओं पर खास असर
सरकार के मुताबिक, 67% जन धन खाते ग्रामीण और अर्ध-शहरी इलाकों में खोले गए हैं. वहीं, 56% खाते महिलाओं के नाम पर हैं. इससे साफ है कि यह योजना गांव और महिलाओं को औपचारिक बैंकिंग व्यवस्था से जोड़ने में सफल रही है.
रूपे कार्ड और डिजिटल लेनदेन
अब तक जन धन खातों से जुड़े 38 करोड़ रूपे कार्ड जारी किए गए हैं. इन कार्ड्स ने डिजिटल पेमेंट को बढ़ाने में बड़ी भूमिका निभाई है. 2017-18 में रूपे कार्ड से 67 करोड़ ट्रांजैक्शन हुए थे, जो 2024-25 में बढ़कर 93.85 करोड़ तक पहुंच गए.
डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर से मदद
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि पीएमजेडीवाई ने डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (DBT) को आसान बनाया है. इसके जरिए लोगों तक सरकारी योजनाओं का पैसा सीधे बैंक खाते में पहुंच रहा है. इससे करप्शन कम हुआ और पारदर्शिता बढ़ी.
KYC अपडेट को लेकर गांव-गांव में अभियान
वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने बताया कि सरकार 30 सितंबर तक एक खास अभियान चला रही है. इसमें देश की हर ग्राम पंचायत में कैंप लगाए जाएंगे, जहां नए जन धन खाते खोले जाएंगे, बीमा और पेंशन योजनाओं में नामांकन होगा और पुराने खातों का KYC अपडेट किया जाएगा.
बीमा और पेंशन कवरेज में बढ़ोतरी
सरकार का कहना है कि लगभग हर घर बैंक खाते से जुड़ चुका है. अब बीमा और पेंशन कवरेज भी लगातार बढ़ रहा है. इसका फायदा खासकर गरीब और कमजोर वर्ग के लोगों को मिल रहा है.
खाते और जमा राशि में जबरदस्त बढ़ोतरी
जन धन खातों की संख्या तीन गुना बढ़ चुकी है. वहीं, इन खातों में जमा राशि 12 गुना बढ़कर अब 2.67 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा हो गई है. यह दिखाता है कि लोग बचत और बैंकिंग की ओर ज्यादा आकर्षित हो रहे हैं.
जन धन योजना ने आम लोगों को बैंकिंग से जोड़कर न सिर्फ बचत की आदत डाली बल्कि उन्हें बीमा, पेंशन और लोन जैसी सुविधाओं तक पहुंच दी. यह देश की सबसे बड़ी वित्तीय समावेशन (financial inclusion) योजना मानी जाती है.
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