देश में प्रधानमंत्री जन धन योजना (PMJDY) के लाभार्थियों की संख्या बढ़कर 57.11 करोड़ हो गई है और इन खातों में 2.74 लाख करोड़ रुपये जमा हैं. इस योजना की आधिकारिक वेबसाइट पर ये जानकारी दी गई है. वित्तीय सेवा विभाग के सचिव एम नागाराजू ने बताया है कि मौजूदा वित्त वर्ष में सरकार इन जन धन खातों में डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (DBT) के जरिये 3.67 लाख करोड़ रुपये ट्रांसफर करने की योजना बना रही है. उन्होंने बताया कि देश में 57.11 करोड़ जनधन खातों में 274033.34 करोड़ रुपये जमा हैं. इन खातों में से 78.2 फीसदी ग्रामीण और अर्ध-सरकारी इलाकों में हैं, जिनमें महिलाओं की हिस्सेदारी 50 फीसदी है.
'हर खाते में 4,815 रुपये बैलेंस'
बताया गया कि देश में 13.55 लाख बैंक मित्र पूरे देश में ब्रांचलैस बैंकिंग सेवाएं प्रदान कर रहे हैं. एक कार्यक्रम में वित्तीय सेवा विभाग के सचिव एम नागाराजू ने कहा कि पूरे देश में जन धन खातों में अब औसत बैलेंस बढ़कर 4,815 रुपये हो गया है. उनके मुताबिक, सरकार चालू वित्त वर्ष में कुल 3.67 लाख करोड़ रुपये डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (डीबीटी) के जरिए ट्रांसफर करने की योजना बना रही है.
इस मामले में बहुत तेजी से बढ़ा देश
हैदराबाद के एडमिनिस्ट्रेटिव स्टाफ कॉलेज ऑफ इंडिया एएससीआई के कार्यक्रम में उन्होंने आगे कहा कि भारत की वित्तीय समावेशन की यात्रा किसी चमत्कार से कम नहीं है. 2014 में लॉन्च हुई प्रधानमंत्री जन धन योजना (PMJDY) एक अहम पड़ाव साबित हुआ है और इससे 57 करोड़ से अधिक लोग बैंकिंग सिस्टम से जुड़े हैं.
उन्होंने आगे कहा कि भारत का वित्तीय समावेशन सूचकांक (Financial Inclusion Index) मार्च 2025 में बढ़कर 67 हो गया है. यह दिखाता है कि देश में वित्तीय सेवाओं की पहुंच में सुधार के साथ-साथ गुणवत्ता में भी इजाफा हो रहा है. 2021 में लॉन्च किया गया वित्तीय समावेशन सूचकांक, बैंकिंग, बीमा, पेंशन, निवेश और डाक सेवाओं सहित 97 संकेतकों (Indicators) पर आधारित है.
इसके तीन उप-सूचकांक, पहुंच, उपयोग और गुणवत्ता (Access, Uses and Quality) न केवल इंफ्रास्ट्रक्चर के विस्तार को मापते हैं, बल्कि यह भी मापते हैं कि लोग वास्तव में वित्तीय उत्पादों का उपयोग करते हैं या नहीं और क्या वे उन्हें समझते हैं.
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