केंद्र सरकार ने एक बार फिर स्पष्ट कर दिया है कि वह कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन योजना (Old Pension Scheme) को बहाल करने पर विचार नहीं कर रही है. लोकसभा में पूछे गए एक प्रश्न के लिखित जवाब में केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने बुधवार को कहा कि केंद्र सरकार के कर्मचारियों के लिए राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली (National Pension System) के बदले पुरानी पेंशन योजना (NPS To OPS) स्वीकार करने की समय सीमा बढ़ाने का कोई प्रस्ताव नहीं है. बता दें कि यह कर्मचारी संगठनों के लिए एक झटका है.
2003 में शुरू की गई की न्यू पेंशन स्कीम
केंद्र सरकार के कर्मचारियों के लिए न्यू पेंशन स्कीम की शुरुआत 2003 में की गई थी. कार्मिक राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने एक प्रश्न के लिखित उत्तर में कहा कि एक जनवरी, 2004 से केंद्र सरकार की सेवा में (सशस्त्र बलों को छोड़कर) सभी नयी भर्तियों के लिए एनपीएस अनिवार्य है.
केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा कि तीन मार्च, 2023 को जारी आदेश के संबंध में कोई और निर्देश जारी करने का कोई प्रस्ताव नहीं है.
क्या है पुरानी पेंशन योजना और एनपीएस में अंतर? (OPS vs NPS)
पुरानी पेंशन योजना में कर्मचारी को रिटायरमेंट के बाद एक निश्चित राशि पेंशन के रूप में मिलती थी जबकि एनपीएस में कर्मचारी और सरकार दोनों एक निश्चित राशि का योगदान करते हैं और रिटायरमेंट के समय यह राशि निवेश के आधार पर बढ़कर कर्मचारी को मिलती है.
पुरानी पेंशन योजना बहाल करने की लगातार उठ रही मांग
पिछले कुछ समय से कई कर्मचारी संगठन पुरानी पेंशन योजना बहाल करने की मांग कर रहे हैं. कर्मचारियों का मानना है कि ओल्ड पेंशन स्कीम में उन्हें एक निश्चित पेंशन मिलती है जिससे उनकी रिटायरमेंट के बाद की जिंदगी सुरक्षित रहती है. जबकि एनपीएस में निवेश का जोखिम होता है और रिटायरमेंट के समय मिलने वाली राशि निवेश पर निर्भर करती है.
सरकार का क्या तर्क है?
सरकार का मानना है कि एनपीएस एक बेहतर विकल्प है क्योंकि इसमें कर्मचारी भी अपना योगदान करते हैं और निवेश के माध्यम से धन बढ़ाने का मौका मिलता है. इसके अलावा, ओपीएस को बहाल करने से सरकार पर वित्तीय बोझ बढ़ जाएगा.
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