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New Labour Code: वर्क-लाइफ बैलेंस, सोशल सिक्योरिटी और छुट्टियां... आपके जीवन में कितना कुछ बदल जाएगा?

New Labour Code: सरकार ने नए लेबर कोड के जरिए ऐसा बड़ा बदलाव लाने की कोशिश की है, जिससे कर्मचारियों की दुनिया पूरी तरह बदल सकती है.

New Labour Code: वर्क-लाइफ बैलेंस, सोशल सिक्योरिटी और छुट्टियां... आपके जीवन में कितना कुछ बदल जाएगा?
New labour Code की ये बातें जरूर नोट कर लीजिए

देश में श्रम कानूनों को लेकर दशकों से चर्चा होती रही है, लेकिन अब सरकार ने नए लेबर कोड के जरिए ऐसा बड़ा बदलाव लाने की कोशिश की है, जिससे कर्मचारियों की दुनिया पूरी तरह बदल सकती है. नए नियम का असर सिर्फ वेतन या नौकरी की सुरक्षा तक ही सीमित नहीं रहेगा, बल्कि कर्मचारी और इंडस्‍ट्री दोनों की जिम्मेदारियां और अधिकार नए सिरे से तय होंगे. एक ऐसे दौर में जब सैलरी स्ट्रक्चर और काम के घंटे को लेकर चर्चा हो रही है, जानना जरूरी हो जाता है कि आपको और आप जैसे करोड़ों कर्मचारियों को नए लेबर कोड के तहत क्या-क्या फायदा हो सकता है. पिछले कुछ दिनों से लगातार हम नए लेबर कोड्स के अलग-अलग पहलुओं पर बताते आ रहे हैं, जिन्‍हें आप यहां क्लिक कर पढ़ सकते हैं. अब एक बार फिर से हम आपको बताने जा रहे हैं कि नया लेबर कोड आपके जीवन में क्‍या बदलाव लाएगा और कंपनियों पर इसका क्‍या असर होगा.

कर्मचारी के वेतन पर असर: टेक-होम, PF और ग्रेच्युटी

नए कोड के तहत बेसिक सैलरी कुल वेतन के 50% से कम नहीं हो सकती, जिससे टेक-होम (हाथ में आने वाली) सैलरी कम हो सकती है लेकिन रिटायरमेंट फायदे जैसे PF और ग्रेच्युटी में इजाफा होगा. कई कंपनियां अब अपना स्ट्रक्चर बदल रही हैं जिससे कर्मचारी को भविष्य में ज्यादा फंड मिलेगा. उदाहरण के लिए, अगर अभिषेक की सैलरी 50,000 थी, जिसमें पुराना बेसिक 20,000 था, तो अब बेसिक बढ़कर 25,000 कर दिया जाएगा, जिससे PF और ग्रेच्युटी कटौती बढ़ेगी और रिटायरमेंट पर बड़ी रकम मिल पाएगी.

वर्क लाइफ बैलेंस: साप्ताहिक 48 घंटे और जरूरी छुट्टियां

नए कानून में साप्ताहिक वर्किंग अवर्स को 48 घंटे तक सीमित किया गया है. अगर कोई कर्मचारी ओवरटाइम करता है तो उसके रेट और नियम अब ज्यादा पारदर्शी होंगे. छुट्टियों और ब्रेक के प्रावधान भी अधिक स्पष्ट किए गए हैं, जिससे काम का दबाव कम होगा. अब कंपनियों में ब्रेक टाइम, ओवरटाइम की पेमेंट और छुट्टियों में पारदर्शिता से कर्मचारी का कार्य तनाव घटेगा और परिवार व पर्सनल जीवन के लिए वक्त मिलेगा.

नौकरी सुरक्षित: फिक्स्ड टर्म और विवाद समाधान

नए कोड में फिक्स्ड टर्म एम्प्लॉयमेंट, स्थायी नौकरी तथा ग्रेच्युटी/रिटायरमेंट लाभ को जरूरी बनाया गया है. इससे कॉन्ट्रैक्ट बेस या प्रोजेक्ट बेस पर काम करने वाले लोगों की नौकरी ज्यादा सुरक्षित होगी और उन्हें भी रिटायरमेंट पर ग्रेच्युटी का फायदा मिलेगा. अभिषेक जैसे युवा, जो अक्सर स्टार्टअप या शॉर्ट टर्म प्रोजेक्ट पर काम करते हैं, उनकी भी सामाजिक सुरक्षा मजबूत होगी.

कंपनियों और उद्योगों पर असर

अब कंपनियों को कर्मचारियों के लिए पीएफ और ग्रेच्युटी नियमों का पालन करना आसान और जरूरी होगा. सैलरी स्ट्रक्चर में बदलाव से कुछ कंपनियों पर ज्यादा खर्च आ सकता है, लेकिन लॉन्ग टर्म में इससे कर्मचारी संतुष्ट रहेंगे, रिटेंशन बढ़ेगा और लेबर टर्नओवर कम होगा. अधिकारी और एचआर टीम को भी नियमों की जानकारी और पालन करना आसान होगा. कुल मिलाकर, कंप्लायंस का बोझ कम और पारदर्शिता ज्यादा होगी.

सामाजिक सुरक्षा और पहचान

नया कोड प्लेटफॉर्म, ई-कॉमर्स और अनौपचारिक क्षेत्रों जैसे काम करने वालों को पहली बार औपचारिक पहचान और सामाजिक सुरक्षा देगा. छोटे उद्योगों/फैक्ट्रियों को भी अंशदायी पेंशन, इंश्योरेंस व मेडिकल लाभ जैसी सुविधाओं से जोड़ा जाएगा. श्रमिकों के जीवन में स्थायिता और भविष्य की चिंता कम होगी.

नई व्यवस्था से कर्मचारी की फाइनेंसियल प्लानिंग, नौकरी की स्थायिता, वर्क-लाइफ बैलेंस और भविष्य की चिंता दूर होगी. कंपनियों के लिए भी लॉन्ग टर्म में बेहतर अनुभव रहेगा, विवाद कम होंगे और प्रोडक्टिविटी भी बढ़ेगी. इसके जरिए करोड़ों कर्मचारियों को सुरक्षित भविष्य, जबकि कंपनियों को मजबूत वर्कफोर्स मिलने वाला है.

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