
Karur Vijay Rally Stampede: तमिलनाडु के करूर में फिल्मी दुनिया से राजनीति में आए फेमस एक्टर विजय की रैली में हुई भगदड़ में महिलाओं और बच्चों समेत 38 लोगों की मौत की खबर है. इस हादसे में कई लोग घायल हैं, जिनका अस्पताल में इलाज चल रहा है. तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने हादसे में मारे गए लोगों के परिवारों को 10-10 लाख रुपये दिए जाने का ऐलान किया है, जबकि घायलों को 1-1 लाख रुपये दिए जाएंगे. इस हादसे में जिन लोगों की जानें चली गईं, उनके घर में कोहराम मचा हुआ है. जिन लोगों की जानें गईं, उनकी कमी पूरी करना तो असंभव है, हालांकि इस बुरे समय में आर्थिक मदद और इंश्योरेंस का पैसा (Stampede Life Insurance Claim) एक बड़ी राहत होती है.
एक्सीडेंटल डेथ मानी जाती है भगदड़ में मौत
आमतौर पर भगदड़ (Stampede) में हुई मौत को 'Accidental Death' यानी 'दुर्घटना में मौत' की श्रेणी में रखा जाता है. अमित कुमार ने NDTV से बातचीत में बताया कि ऐसी स्थितियों में जीवन बीमा (Term Insurance) या व्यक्तिगत दुर्घटना बीमा (Accident Insurance) का क्लेम परिवार वालों को मिल सकता है. अगर किसी व्यक्ति की जान किसी बाहरी कारण जैसे भगदड़ में चली जाती है, तो यह आमतौर पर बीमा दायरे में आता है. बीमा कंपनियां इसे अप्राकृतिक या अचानक हुई मौत मानती हैं.

कुमार ने बताया कि ज्यादातर लोगों के पास टर्म इंश्योरेंस होता है, जिसमें बीमा कंपनी पॉलिसीहोल्डर की मौत पर परिजनों/नॉमिनी को पैसे दे देती है. हालांकि कुछ स्थितियों में बीमा कंपनी क्लेम रिजेक्ट भी कर सकती है. बीमा कंपनियों के नियमों के अनुसार, यदि मौत अचानक, अप्रत्याशित और भीड़ के दबाव या भगदड़ के कारण हुई है, तो क्लेम दिया जाता है. हालांकि एक पेच ये है कि व्यक्ति किसी गैर-कानूनी या खतरनाक गतिविधि में शामिल न रहा हो. ऐसी गतिविधियां, जिसे बीमा कंपनी 'खतरनाक' मानती है, जैसे अवैध प्रदर्शन या किसी प्रतिबंधित स्थल पर मौजूद होना, तो बीमा दावा खारिज हो सकता है.
क्या है इंश्योरेंस क्लेम का नियम?
पॉलिसीहोल्डर की मौत के बाद बीमा कंपनी को परिवार की ओर से जानकारी दी जाती है. वहीं अगर बीमा कंपनी को जैसे ही पॉलिसीहोल्डर्स की मौत की जानकारी मिलती है, परिवार या नॉमिनी को तुरंत सूचना देनी होती है.
कुमार ने बताया कि क्लेम के लिए मृत्यु प्रमाणपत्र, पॉलिसी दस्तावेज और घटना से जुड़े अन्य जरूरी डॉक्युमेंट्स, जैसे FIR, पोस्टमार्टम रिपोर्ट वगैरह जमा करने होते हैं. हर पॉलिसी की अपनी शर्तें तय होती हैं, ऐसे में क्लेम से पहले इन्हें ध्यान से पढ़ना चाहिए. ताकि ये समझ सकें कि किन परिस्थितियों में क्लेम मिल सकता है और किन परिस्थितियों में नहीं.

कब मिलता है इंश्योरेंस क्लेम?
- सबसे जरूरी और बेसिक शर्त ये है कि इंश्योरेंस पॉलिसी एक्टिव होनी चाहिए और मौत तय परिस्थितियों से अलग स्थिति में न हुई हो.
- भगदड़ में हुई मौत को एक्सीडेंटल डेथ माना जाता है. स्टैंडर्ड टर्म इंश्योरेंस और पर्सनल एक्सीडेंट इंश्योरेंस, दोनों में ये लागू है.
- क्लेम के लिए आम तौर पर मृत्यु प्रमाण पत्र, पुलिस रिपोर्ट या पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट और घटना का सत्यापन जरूरी होता है.
कब इंश्योरेंस क्लेम नहीं मिलता?
- यदि भगदड़ में जिस व्यक्ति की मौत हुई हो, वो किसी गैर-कानूनी गतिविधि, अवैध सभा या झगड़े, नशे वगैरह में शामिल था तो बीमा कंपनी क्लेम रिजेक्ट भी कर सकती है.
- अगर पॉलिसी की शर्तों में खासतौर पर भगदड़ या 'सिविल अनरेस्ट' और 'दंगे' जैसी घटनाओं को एक्सक्लूड किया गया हो, तब क्लेम नहीं मिलेगा.
- देश में कुछ कंपनियां 'Stampede Insurance' यानी भगदड़ में मौत होने की स्थिति वाली अलग से पॉलिसी भी देती हैं. इनमें खास तौर पर भगदड़ में मौत, चोट, विकलांगता, एंबुलेंस खर्च वगैरह का कवरेज शामिल होता है.
बीमा सलाहकार से ले सकते हैं सलाह?
अमित कुमार ने बताया कि अगर मामला जटिल है या किसी तरह के संशय वाली स्थिति है तो बीमा सलाहकार या विशेषज्ञ से राय लेना फायदेमंद होता है. वे पॉलिसी की शर्तों को समझने, जरूरी डॉक्युमेंट सब्मिशन और सही प्रक्रिया बताने में मदद करते हैं. उन्होंने फिर से दोहराया कि सबसे जरूरी बात है- पॉलिसी के नियम और शर्तों को ध्यान से पढ़ और समझ लिया जाए. समय रहते सही जानकारी जुटाना और डॉक्युमेंट दुरुस्त रखना जरूरी होता है.
बता दें कि तमिलनाडु वेत्री कड़गम (टीवीके) नेता विजय की ये रैली करूर के वेलुसामीपुरम में शनिवार शाम 7:20 बजे शुरू हुई थी. इसी बीच आगे जाकर लोगों की भीड़ बढ़ती चली गई, जो भगदड़ में बदल गई और देखते ही देखते कई लोग काल के गाल में समा गए.
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