
कहते हैं न, शौक बड़ी चीज है. शौक ही है, जो भारतीयों को आवश्यकता से विलासिता की ओर भी ले जा रहा है. एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारतीय उद्यमी 'जियो जी भर के' मंत्र के साथ जी रहे हैं. HSBC प्राइवेट बैंक की एक रिसर्च के अनुसार, भारत के अमीर उद्यमी अपने पैसे को लग्जरी लाइफस्टाइल पर खर्च कर रहे हैं, क्योंकि उनका सकारात्मक दृष्टिकोण और ग्लोबल आउटलुक उन्हें सीमाओं के पार उनके दायरे को बढ़ाने में मदद करता है.
वेल्थ को लेकर आश्वस्त हैं भारतीय उद्यमी
भारतीय उद्यमी दुनिया भर के अन्य देशों के उद्यमियों की तुलना में अपने पर्सनल वेल्थ आउटलुक को लेकर सकारात्मक बने हुए हैं. 95 फीसदी उद्यमी मानते हैं कि अलगे कुछ वर्षों में उनकी संपत्ति में बढ़ोतरी होगी. वहीं 56 फीसदी भारतीय उद्यमियों को विश्वास है कि उनके वेल्थ में तेजी से वृद्धि होगी, जबकि 39 फीसदी का मानना है कि उनकी वेल्थ में मामूली वृद्धि होगी.
लग्जरी लाइफ पर 59 फीसदी खर्च
HSBC की 'ग्लोबल एंटरप्रेन्योरियल वेल्थ रिपोर्ट 2025' से पता चलता है कि भारत में उद्यमियों द्वारा व्यक्तिगत उपयोग के लिए रियल एस्टेट पर 64 फीसदी, हेल्थ और फिटनेस पर 61 फीसदी और लग्जरी अनुभव पर 59 फीसदी खर्च किया गया पैसा, दुनिया के दूसरे देशों के उद्यमियों की तुलना में काफी अधिक है.
HSBC इंडिया के इंटरनेशनल वेल्थ और प्रीमियर बैंकिंग के प्रमुख संदीप बत्रा ने कहा, 'लग्जरी लाइफस्टाइल, ग्लोबल मोबिलिटी और विविध पोर्टफोलियो में भारतीय उद्यमियों का निवेश न केवल उनके पैसे के भविष्य को लेकर उनके विश्वास को दर्शाता है, बल्कि यह भी दिखाता है कि वे वैश्वीकरण के नए चरण में वैश्विक अवसरों और मजबूत इंटरनेशनल वेल्थ कॉरिडोर का लाभ उठाने के लिए तैयार हैं.'
लग्जरी पॉजिटिवटी की वजह क्या है?
यह पॉजिटिविटी भारत, ब्रिटेन, संयुक्त अरब अमीरात और सिंगापुर जैसे बाजारों में विशेष रूप से अधिक है. भारत में इस सकारात्मकता के मुख्य कारण नए निवेश और उद्यम के अवसर, निवेश पोर्टफोलियो का अच्छा प्रदर्शन, स्थानीय अर्थव्यवस्था के लिए अनुकूल आर्थिक परिदृश्य और व्यवसाय का अच्छा प्रदर्शन हैं.
रिपोर्ट के अनुसार, भारत के उद्यमियों का आउटुलक विशेष रूप से ग्लोबल है, जिसमें 73 फीसदी के पास मल्टी-रेसिडेंसी का स्टेटस है, जो वैश्विक औसत 56 फीसदी से काफी अधिक है.
विदेश जाकर बसने को तैयार हैं 78 फीसदी उद्यमी
अधिकांश उद्यमी विदेश में बसने के लिए तैयार हैं, जिसमें ब्रिटेन और अमेरिका टॉप डेस्टिनेशन बने हुए हैं. इसके बाद स्विट्जरलैंड, यूएई और सिंगापुर का स्थान आता है. क्रॉस बॉर्डर मूवमेंट के लिए 78 फीसदी उद्यमियों का मानना है कि वे विदेशों में जाकर अपना और अपने परिवार का जीवन स्तर बेहतर बना सकते हैं. वहीं, 75 फीसदी उद्यमियों का मानना है कि ऐसा कर वे निवेश के नए अवसर पा सकते हैं. जबकि 71 फीसदी उद्यमियों का मानना है कि भारत से बाहर बस कर व्यवसाय को नए बाजारों तक बढ़ाया जा सकता है.
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