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अगर नहीं बनती टैक्स देनदारी, तो ITR फ़ाइल करना ज़रूरी है क्या...?

ITR फ़ाइल करना हर उस शख्स के लिए अनिवार्य होता है, जिसने एक वित्तवर्ष के दौरान बेसिक करमुक्त आय की सीमा से अधिक धन कमाया है, या कमाई भले ही करमुक्त आय की सीमा से कम रही हो, लेकिन कुछ खास लेनदेन किए हों...

अगर नहीं बनती टैक्स देनदारी, तो ITR फ़ाइल करना ज़रूरी है क्या...?
वित्तवर्ष 2023-24 के लिए ITR फ़ाइल करने की आखिरी तारीख 31 जुलाई, 2024 है...
नई दिल्ली:

वित्तवर्ष 2023-24 (FY2023-24) के लिए इन्कम टैक्स रिटर्न (Income Tax Return) या ITR फ़ाइल करने की आखिरी तारीख बहुत ज़्यादा दूर नहीं रही है, और अगर जुर्माने और ब्याज चुकाने से बचना चाहते हैं, तो यह काम 31 जुलाई, 2024 से पहले हो जाना चाहिए. ITR फ़ाइल करना हर उस शख्स के लिए अनिवार्य होता है, जिसने एक वित्तवर्ष के दौरान बेसिक करमुक्त आय की सीमा से अधिक धन कमाया है, या कमाई भले ही करमुक्त आय की सीमा से कम रही हो, लेकिन कुछ खास लेनदेन किए हों.

बहुत-से साथी करते हैं सवाल...?

बहुत-से साथी और मित्र अक्सर सवाल करते हैं कि अगर उनकी कुल सालाना आय पुराने टैक्स रिजीम के हिसाब से ₹5,00,000 या नए टैक्स रिजीम के हिसाब से ₹7,00,000 से कम है, और इन्कम टैक्स एक्ट की धारा 87ए के चलते उनकी टैक्स देनदारी शून्य है, तो उन्हें ITR क्यों फ़ाइल करना चाहिए. बस, इसीलिए यह ख़बर लिखना ज़रूरी है, ताकि सभी जान सकें कि ITR फ़ाइल करना किनके लिए अनिवार्य है.

सालाना आय बेसिक करमुक्त आय से ज़्यादा हो तो...

दरअसल, नियमानुसार यदि आपकी आय में से साल के दौरान कभी भी TDS काटा गया है, तो आपके लिए ITR फ़ाइल करना अनिवार्य है, भले ही ITR रिफ़ंड क्लेम करने के लिए फ़ाइल किया जाए. इसके अलावा, ITR फ़ाइल करना उन सभी के लिए ज़रूरी होता है, जिनकी कुल सालाना आय बेसिक करमुक्त आय की सीमा से ज़्यादा हो. वैसे, आपको बता दें - पुराने टैक्स रिजीम के तहत 60 वर्ष आयु तक के करदाताओं के लिए बेसिक करमुक्त आय की सीमा ₹2,50,000 है, 60 वर्ष से 80 वर्ष आयु तक के वरिष्ठ नागरिक करदाताओं के लिए बेसिक करमुक्त आय की सीमा ₹3,00,000 है, और 80 वर्ष से अधिक आयु के अतिवरिष्ठ नागरिक करदाताओं के लिए बेसिक करमुक्त आय की सीमा ₹5,00,000 है. उधर, नए टैक्स रिजीम में सभी आयुवर्ग के करदाताओं के लिए बेसिक करमुक्त आय की सीमा ₹3,00,000 है.

रिफ़ंड तभी मिलेगा, जब फ़ाइल करेंगे ITR...

यहां ध्यान दें, जिनकी कुल सालाना आय बेसिक करमुक्त आय की सीमा से अधिक है, लेकिन करयोग्य आय पुराने रिजीम में ₹5,00,000 और नए रिजीम में ₹7,00,000 से कम रहेगी, उनकी टैक्स देनदारी शून्य ही रहेगी, और अगर TDS कट भी गया है, तो रिफ़ंड हासिल हो जाएगा. लेकिन वह रिफ़ंड तभी हासिल होगा, जब आप ITR फ़ाइल करेंगे.

किनके लिए अनिवार्य है ITR फ़ाइल करना...?

इनके अलावा, करयोग्य आय कितनी भी हो, उन लोगों को भी अनिवार्य रूप से ITR फ़ाइल करना होगा, जिनकी पेशेवर आय एक वित्तवर्ष के दौरान ₹10,00,000 से अधिक रही हो, या जिनके एक या एक से अधिक बैंक बचत खातों में कुल जमा राशि ₹50,00,000 से अधिक रही हो. ऐसे लोगों को भी अनिवार्य रूप से ITR फ़ाइल करना होगा, जिन्हें विदेश से किसी प्रकार की आय हुई हो. एक वित्तवर्ष के दौरान विदेश यात्रा पर ₹2,00,000 या उससे अधिक खर्च करने वालों को भी अनिवार्य रूप से इन्कम टैक्स रिटर्न फ़ाइल करना होगा. जिन लोगों की एक वित्तवर्ष के दौरान ₹25,000 से ज़्यादा TDS कटौती हुई हो, उनके लिए भी ITR फ़ाइल करना अनिवार्य है. और हां, भले ही कमाई कितनी भी कम हो, ऐसे लोगों के लिए भी ITR फ़ाइल करना अनिवार्य है, जिनका बिजली का बिल एक साल में ₹1,00,000 से ज़्यादा आया हो.

Belated ITR से भी होता है नुकसान...

यह भी ध्यान रखें, अगर आप ज़रूरी होने के बावजूद वित्तवर्ष 2023-24 (FY2023-24), यानी आकलन वर्ष 2024-25 (AY2024-25) के लिए 31 जुलाई, 2024 से पहले ITR फ़ाइल नहीं करते हैं, तो आप देरी से ITR फ़ाइल (Belated ITR) कर सकेंगे. लेकिन अगर आप Belated ITR भी फ़ाइल नहीं करते हैं, तो बकाया टैक्स राशि पर 1 फ़ीसदी प्रतिमाह की दर से ब्याज वसूल किया जाएगा. इसके अलावा, यानी टैक्स की बकाया रकम पर ब्याज के अलावा, ऐसे करदाता से ₹5,000 का जुर्माना भी लिया जाएगा (यदि वार्षिक आय ₹5,00,000 से कम होगी, तो जुर्माने की रकम ₹1,000 रह जाएगी, और यदि कुल आय बेसिक करमुक्त आय की सीमा से भी कम होगी, तो जुर्माना नहीं वसूला जाएगा). यही नहीं, अगर आप Belated ITR फ़ाइल कर देते हैं, तो मिलने वाले रिफ़ंड (यदि कोई है) पर किसी तरह का ब्याज आपको नहीं दिया जाएगा.

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