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टर्म इंश्योरेंस प्लान लेते समय ना करें ये गलती, नहीं तो रिजेक्ट हो सकता है क्लेम

अगर आप टर्म प्लान लेने जा रहे हैं तो कुछ गलतियों से आपको बचना चाहिए, जिससे जब इसकी जरूरत आपके परिवार को हो, तो क्लेम लेने में किसी समस्या का सामना ना करना पड़े.

टर्म इंश्योरेंस प्लान लेते समय ना करें ये गलती, नहीं तो रिजेक्ट हो सकता है क्लेम
  • पॉलिसी लेते समय अपनी स्वास्थ्य स्थिति, आदतों और बीमारियों की सही और पूरी जानकारी कंपनी को देना आवश्यक होता है
  • मेडिकल टेस्ट कराना जरूरी है ताकि पॉलिसी जारी करने वाली कंपनी क्लेम प्रक्रिया में कोई समस्या ना करे
  • सस्ते प्रीमियम के चक्कर में कम भरोसेमंद बीमा कंपनी से टर्म प्लान लेना परिवार के लिए नुकसानदेह हो सकता है
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जब फाइनेंशियल प्लानिंग की बात होती है तो अक्सर हम इन्वेस्टमेंट और सेविंग्स पर फोकस करते हैं. लेकिन एक चीज जो लोग भूल जाते हैं, वो है टर्म लाईफ इंश्योरेंस. एक ऐसी पॉलिसी जो मुश्किल समय में भी आपके परिवार के लिए फाइनेंशियली सिक्योरिटी बन सकती है. इसलिए आज के समय में हेल्थ इंश्योरेंस के साथ एक अच्छा टर्म प्लान इंश्योरेंस जरूर होना चाहिए. 

क्या है टर्म इंश्योरेंस?

सबसे पहले बात करते हैं कि टर्म इंश्योरेंस क्या है. जैसे नाम से पता चल रहा है, यानी एक निश्चित कंडीशन के लिए आपके पास लाइफ कवरेज होगा. अगर कल को इंश्योरेंस लेने वाले शख्स की मृत्यु होती है तो परिवार के पास फाइनेंशियली सिक्योरिटी जरूर हो. ये एक फिक्स टर्म के लिए होती है, इसलिए इसे टर्म लाइफ इंश्योरेंस कहा जाता है.

टर्म इंश्योरेंस प्लान लेते समय ना करें ये गलती

अगर आप टर्म प्लान लेने जा रहे हैं तो कुछ गलतियों से आपको बचना चाहिए, जिससे जब इसकी जरूरत आपके परिवार को हो, तो क्लेम लेने में किसी समस्या का सामना ना करना पड़े.

सही जानकारी दें

दरअसल टर्म प्लान लेने से पहले अपनी सेहत, आदत और बीमारियों की जानकारी देनी होती है. ऐसे में अगर आपने किसी भी बीमारी को छुपाया है, कॉन्ट्रैक्ट में बताया नही है, तो ऐसे में कंपनी क्लेम को रिजेक्ट कर सकती है. चाहे आप शुगर के बॉर्डर लाइन पर हैं, इसकी भी जानकारी आपको कंपनी को देनी होगी. 

मेडिकल टेस्ट के लिए जाएं

अक्सर देखा जाता है कि पॉलिसी होल्डर्स टेस्ट कराने में बचते हैं. कंपनियां भी यही चाहती हैं कि सिर्फ सर्टिफिकेट के आधार पर आपको पॉलिसी जारी कर दें और जब क्लेम की बारी आए तो वो ये दिखा सकें कि पॉलिसी होल्डर पहले से ही बीमार था. ऐसे में अगर टेस्ट कराया होता तो जिम्मेदारी कंपनी की या डॉक्टर्स की होगी. इसलिए मेडिकल टेस्ट कराना जरूरी होता है.

सस्ता टर्म प्लान ना देखें

ऐसी बीमा कंपनी से प्लान खरीदें जो क्लेम करने में कोई समस्या नहीं करती हों. सस्ते प्रीमियम के चक्कर में कहीं से भी टर्म प्लान लेने से बचना चाहिए. जरा सोचिए, ऐसा कवर लेने से क्या फायदा जो 1 या 2 हजार रुपये सस्ता हो, पर आपके जाने के बाद परिवार के किसी काम ना आ पाए.

टर्म प्लान का टाइम सही रखें

अमूमन 60 से 65 साल की उम्र तक का कवर लेना चाहिए. 15 से 20 साल का प्लान खरीदने का कोई फायदा नहीं है. 60 साल की उम्र के बाद ही टर्म प्लान की जरूरत पड़ती है. इसके अलावा 50 साल की उम्र के बाद कोई प्लान लेना बहुत महंगा हो सकता है. इसलिए कोशिश करें कि 25 से 30 साल के बीच प्लान ले लिया जाए. 

हर साल कराएं रिन्यू

एक बार प्लान लेने के बाद दूसरी साल रिन्यू ना कराने की गलती नहीं करनी. क्योंकि ऐसा होने पर एक साल के बैनिफिट्स प्लान से खत्म हो जाएंगे. फिर दुबारा से आपको शुरूआत करनी पड़ सकती है. इसके लिए ऑटो पे सिस्टम का इस्तेमाल आप कर सकते हैं, जिससे भूल से भी रिन्यू का प्रोसेस ना रुक पाए. 

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