केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा देश में इलेक्ट्रिक व्हीकल पर जोर दे रही है. सरकार की मंशा साफ है कि एक तरफ सरकार प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिहाज से इस ओर ध्यान दे रही है साथ ही पेट्रोल डीजल पर अत्यधिक निर्भरत को कम करने के लिए भी प्रयासरत है. सरकार के बजट का काफी हिस्सा कच्चा तेल आयात करने पर खर्च होता है . यही कारण है कि सरकार की ओर से इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री को बढ़ाने के लिए सब्सिडी दी जा रही है.
उधर, सरकार इस बात पर भी जोर दे रही है कि इलेक्ट्रिक वाहन बनाने वाली कंपनियों को भी राहत दी जाए. इसके अलावा कंपनियों पर भी बाजार का दवाब है कि वे अपने-अपने उत्पादों की कीमतों को बाजार के हिसाब से तय करें और प्रतियोगी बने रहें.
अब केंद्र सरकार ने इलेक्ट्रिक व्हीकल पर दी जाने वाली सब्सिडी को कुछ कम करने का मन बना लिया है. अभी तक जो 15000 रुपये प्रति किलोवाट की सब्सिडी को 10000 रुपये प्रति किलोवाट करने का फैसला किया है. यह नया नियम 1 जून से लागू हो रहा है.
सरकार के इस फैसले पर इस व्यापार से जुड़े लोगों का कहना है कि यदि सरकार नीतिगत फैसलों से इलेक्ट्रिक व्हीकल इंडस्ट्री को सपोर्ट करती रहती है तब इस इंडस्ट्री को ज्यादा समस्या नहीं होगी. इंडस्ट्री के लोगों का कहना है कि इस समय इलेक्ट्रिक वाहनों की हिस्सेदारी बाजार में मौजूद वाहनों के 5 प्रतिशत हो चुकी है और यदि यह तेजी गति से बढ़ता रहा तो जल्द ही 60 फीसदी तक पहुंच जाएगा. अगले 10 साल में देश में इलेक्ट्रिक टू व्हीलर और थ्री व्हीलर की संख्या में तेजी से बढ़ोतरी होनी की पूरी संभावना है.
गौरतलब है कि केंद्र सरकार की ओर से मिलने वाली सब्सिडी में कमी को देखते हुए जून के बाद इलेक्ट्रिक व्हीकल बनाने वाली कंपनियां अपने प्रोडक्ट की कीमत बढ़ाने पर भी विचार कर सकती हैं. केंद्र सरकार ने Fame II सब्सिडी स्कीम के तहत इलेक्ट्रिक टू व्हीलर पर ₹10000 प्रति किलोवाट की सब्सिडी देने का फैसला किया है. इससे पहले यह सब्सिडी ₹15000 प्रति किलोवाट थी. आंकड़ों की बात करें तो मार्च में देश में 86000 इलेक्ट्रिक व्हीकल टू व्हीलर बिके थे, जबकि अप्रैल में इसकी संख्या कम हो गई है और मई में इलेक्ट्रिक व्हीकल की अब तक की बिक्री 39000 यूनिट पर रही है.
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